पाद शब्द सुनतेही कुछ अजीबसी अनुभूति होती है. लोग पाद को धृणात्मक तरीके से देखने है. कभी हम ग्रुप में होते है तब कोई पाद दे तो वो व्यक्ति हसी का कारण बन जाता है. पाद मारना ये प्रकृति प्रदत्त शारीरिक क्रिया है.
गुदामार्ग या मलद्वार से निकलने वाली हवा (गैस) को हम लोग पाद या अपान वायु कहते है. यांनी गुदामार्ग से आंत्रवायु को बाहर निकालने की क्रिया को पादना कहते हैं और इसकी संज्ञा पाद है .
पशु , पक्षी, प्राणी, जीव जंतु सभी पादते है. खास कर महिलाएं कम पादते दिखती है मगर महिलाएं भी पाद मारती है. हा ये बात अलग है कि महिलाओ में पाद रोकनेकी शक्ति थोड़ी ज्यादा होती है. इसीलिए हमें पता नहीं चलता है. कई लोग बदनामी के डर से पादको दबाना चाहते है मगर ऐसा करना स्वास्थ्य के लिये हानिकारक होता है. इससे शरीर में कई प्रकार की बीमारी होती है.
पाद रोकने से कई बार ये गैस दिमाग में जाकर सिरदर्द का कारण बनती है. जो पाद रोक लिया जाता है वह नींद में पक्का निकलती है. पाद निकलने से BP कंट्रोल में रहता है और ये आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है.
समुद्र में विशालकाय मछली ब्लू व्हेल के पादने पर जो बुलबुला बनता है वह इतना चौड़ा होता है कि उसमें एक घोड़ा आ सकता है. आपको जानकर बड़ा आश्चर्य होगा की
आपके पिछवाड़े से निकलने वाली पाद की स्पीड एक सेकंड में 10 फुट होती है. वह केक पर लगने वाली मोमबत्ती को आसानी से बुझा सकती है.
जब पाद बाॅडी में बनकर तैयार होती है तो उस समय इसका तापमान 98.6°F होता है. पाद में आग लग सकती है यह ज्वलनशील होता है. नहाते समय पाद में से ज्यादा बदबू इसलिए आती है क्योंकि हमारी नाक नमी में अच्छे से काम करती है. पाद और टट्टी के बीच अंतर बताने का काम आपके पिछवाड़े में मौजूद नर्व करती है. लेकिन कई बार यदि टट्टी बहुत पतली हो जाए तो ये नर्व कंफ्यूज हो जाती है और पाद के साथ थोड़ी बहुत लैटरिंग भी निकल आती है.
पाद में खास करके 59% नाइट्रोज़न, 21% हाइड्रोज़न, 9% काॅर्बनडाई-ऑक्साइडस, 7% मिथेन, 3% ऑक्सीज़न और 1% बकवास चीज होती है. पाद की वजह से ब्लड प्रेसर कंट्रोल में रहता है और ये स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक होता है.
पाद में अधिक मात्रा में नाइट्रोजन और काॅर्बनडाई ऑक्साइडस होता है, उनमें से बदबू नही आती लेकिन ये आवाज बहुत ज्यादा करती है. पादते समय पिछवाड़े को जितना ज्यादा टाईट करोगे उतनी ज्यादा आवाज आएगी.
पृथ्वी पर मौजूद सभी जीव-जंतुओं में सबसे ज्यादा पाद दीमक मारता है. यह गाय से भी ज्यादा मिथेन छोड़ता है. कुत्तों के अंदर इतनी क्षमता होती है कि ये खुद का पाद भी देख सकते है. मध्य युग में लोग पाद को जार में बंद करके सूंघते थे. उनका मानना था कि ऐसा करने से मौत से बचा जा सकता है.
एक आम इंसान दिन में लगभग 14 बार पादता है और अपनी पूरी जिंदगी में लगभग 402,000 बार पाद मारता है.
ऐसी दवाईयाँ भी आती है जिसे खाने पर आपके पाद में से गुलाब और चाॅकलेट जैसी खूशबू आती है.
हवाई यात्रा के समय लोग ज्यादा गैस (पाद) छोड़ते है इसलिए जहाजों में बदबू कम करने के लिए चारकोल फिल्टर का इस्तेमाल किया जाता हैं. इंसान को सबसे ज्यादा पाद फलियां खाने के बाद आती है. आपके पाद में से बदबू आने का कारण उसमें मौजूद 1% से भी कम हाइड्रोजन सल्फाइड होता है.
फ्लोरिडा में 13 साल के लड़के को स्कूल से बहुत अधिक पादने के कारण गिरफ्तार कर लिया था. इंसान के मरने के 3 घंटे बाद तक भी पाद आ सकती है. अंतरिक्ष मे उड़ान करने वाले यात्री पाद नही सकते, क्योंकि वहाँ पेट में द्रव्य से गैस को अलग करने के लिए गुरूत्वाकर्षण बल ही नही है.
चिम्पेंजी इतनी जोर से लगातार पादते है कि वैज्ञानिक इनके पाद को फाॅलो करके इन्हे जंगल में ढूंढ लेते है. यदि कोई इंसान 6 साल 9 महीने तक लगातार पाद मारें तो एटम बम जितनी एनर्जीं प्रोड्यूस कर सकता है.
यदि आपको ऐसे चैम्बर में डाल दिया जाए जिसमें पूरे तरीके से आपका पाद भरा हो, तो भी आपकी दम घुटने से मौत नही होगी. धरती पर मौजूद सभी इंसान एक साल में लगभग 17 करोड बार पाद मारते हैं.
पाद का नाम सुनते ही हर इंसान अपनी नाक बंद कर लेता है. इस दुनिया में हर कोई पाद मारता है. बहुत से लोगों को यह लगता है कि पादना एक बहुत ही बुरी आदत होती है और लोग इसको पीढी दर पीढ़ी बुरा मानते आ रहे हैं.
… पाद आने का मतलब यह है कि आप अच्छी मात्रा मे फाइबर खा रहे हैं और पाचक बैक्टिरिया भी आपके अंदर मौजूद हैं. एक इंसान रोज़ औसतन 20 बार तक पादता है. वेजिटेरियन लोगों के शरीर में नॉन वेज खाने वालों से ज़्यादा गैस बनती है. ऐसा वेजिटेरियन डाइट में मौजूद कार्बोहाइड्रेट की वजह से होता है. कई सारी सब्ज़ियों में सल्फर होता है.
अगर आप बहुत ही कम पादते हैं, तो इसका मतलब है कि आपकी डाइट में फाइबर की कमी है. इसी तरह पाद की अति भी खराब सेहत की निशानी होती है.
आयुर्वेद के अनुसार, शरीर के अधिकांश रोगों का कारण पेट की खराबी से होता है. गलत खानपान पेट में कई जीर्ण रोगों का कारण बनता जो आगे चलकर शरीर की विभिन्न बीमारियों में तब्दील हो जाता है. इसीलिए, आयुर्वेद में पाचन तंत्र पर खास ध्यान देने की सलाह दी गई है. पाचन को दुरुस्त रखने के लिए तमाम तरह के टैबलेट और सिरप मौजूद हैं,
गुजरात के सूरत में एक बार अनोखे ‘पाद’ मुकाबले का आयोजन किया गया. इस मुकाबले में भाग लेने वालों को ‘सबसे लंबी’, ‘सबसे धमाकेदार’ और ‘सबसे संगीतमय’ पाद छोड़नी थी. देश में पहली बार हुए पदेड़ुओं के इस मुकाबले में तीन श्रेणियों में ट्राफियां दी जानी थी और तीनों श्रेणियों के मुकाबले का नामकरण कुछ इस तरह से किया गया था,
‘सबसे लंबी पाद ट्रॉफी, ‘सबसे धमाकेदार पाद ट्रॉफी’ और ‘सबसे संगीतमय पाद ट्रॉफी’.
लेकिन मजे की बात यह है कि सारे पदेड़ुओं को ऐन मौके पर शर्म आ गई और मुकाबले में आखिरी में केवल तीन पदेड़ू ही उतरे. और ये भी कोई कमाल नहीं दिखा पाए.
इस प्रतियोगिता के लिये 20 लोग आए थे लेकिन 3 ही शामिल हुए. 60 लोगों ने ‘सबसे लंबी’, ‘सबसे तेज’ और ‘सबसे सुरीली’ पाद के लिए पंजीकरण किया था लेकिन आयोजन स्थल पर मात्र 20 लोग ही पहुंचे थे.
इस मुकाबले को देखने के लिए 70 लोगों के साथ कुछ मीडिया चैनल वाले भी मौजूद थे. उन्होंने कहा कि इस प्रतियोगिता के विजेताओं के लिए तीन ट्रॉफी रखी गई थीं लेकिन इसमें से कोई भी ट्रॉफी बांटी नहीं जा सकी. हालांकि इस प्रतियोगिता में शामिल प्रतियोगियों को उपहार प्रदान किये गए.
बचपन में कोई पाडता था, तो बच्चे लोग उसे हसी मज़ाक में लेते थे और तुरंत बोलने लग जाते थे कि……
आदा पाड़ा कौन पाड़ा, तांबाजी का घोड़ा पाड़ा.
इसी तरह मराठी लोग कहते है कि…
आदा पाड़ा कौन पाड़ा, ताम्बेजी चा घोड़ा पाड़ा.
इसी तरह गुजराती लोग कहते है कि….
आदु पाडु कौन पाडु, तांबाजी नुं घोडु पाडु.
पाद को भले हम लोग मज़ाक में लेते है मगर पाद स्वास्थय के लिये फायदेमंद होती है. पाद के लिये एक जोक्स मशहूर है…..
एक बार आदा और पादा दोनों बाहर गांव की ट्रैन में जा रहे थे. बाजुमें एक मुस्लिम भाई बैठा था. ट्रैन स्टेशन पर रुकी. पादा पानी लेने निचे उतरा. कुछ देर बाद ट्रैन शुरू हो गई. आदा पादा को बुलाने के लिये जोरसे चिल्लाने लगा… पादा … पादा …. बाजुमें बैठा मुसलमान बोला ,… अल्लाह कसम… मै नहीं पादा…..!!!
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