“पंजाब” केसरी लाला लाजपत राय.

पंजाब केसरी लाला लाजपत राय.

“पंजाब केसरी” के नामसे प्रसिद्ध लाला लाजपत राय जी का जन्म पंजाब के मोगा जिले के धुडीके में पंजाबी हिंदू परिवार मे हुआ था. लाला जी भारत के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे. श्री लाला जी की एक गर्जना से मौजूदा अंग्रेज सरकार भी कांपने लगती थी. 

      पंजाब के लाला लाजवत राय, महाराष्ट्र के बाल गंगाधर तिलक, बंगाल के बिपिन चंद्र पाल को, ” लाल -बाल -पाल ” के नाम से संबोधित किया जाता था. आपके पिताश्री मुंशी राधा कृष्णन उर्दू और फारसी सरकारी स्कूल के शिक्षक थे. तथा आपकी माता का नाम गुलाब देवी था. 

          स्वामी दयानंद सरस्वती के सानिध्य मे आनेके बाद किशोरावस्था में आप आर्य समाज के विचारों से प्रभावित हुए थे. लोकमान्य तिलक के आप प्रसंशक थे. 

          सन 1870 के दशक के अंत में, उनके पिता जी का रेवाड़ी में स्थानांतरण हुआ , जहाँ उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सरकारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, रेवाड़ी, प्रांत में की थी. बचपन से ही उन्हें देश की सेवा करने की इच्छा थी इसलिए उन्होंने देश को विदेशी शासन से मुक्त कराने का संकल्प किया था. 

       लालाजी ने बाबू चूरामणी (वकील) के साथ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की हिसार जिला शाखा और सुधारवादी आर्य समाज की भी स्थापना की थी. आप गोखलेजी के साथ सन 1905 में कांग्रेस प्रतिनिधि के रूप में इंग्लैंड गए और वहां की जनता के सामने भारत की आजादी का पक्ष रखा. सन 1907 में उन्होंने पूरे पंजाब मे खेती से संबंधित आंदोलन का नेतृत्व किया और वर्षों बाद सन 1926 में जिनेवा में राष्ट्र के श्रम प्रतिनिधि बनकर गए.

      सन 1914 में, उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए खुद को समर्पित करने के लिए कानून का अभ्यास बिच मे छोड़ दिया और सन 1914 में ब्रिटेन और फिर सन 1917 में संयुक्त राज्य अमेरिका चले गए. अक्टूबर 1917 में उन्होंने न्यूयॉर्क में, ” इंडियन होम रूल लीग ऑफ अमेरिका ” की स्थापना की. वहा सन 1917 से सन 1920 तक संयुक्त राज्य अमेरिका में रहे. 

       नागपुर में सन 1920 के दिन आयोजित अखिल भारतीय छात्र संघ सम्मेलन के अध्यक्ष के नाते छात्रों से उन्होंने राष्ट्रीय आंदोलन से जुड़ने का आव्हान किया तथा सन 1921 में वे जेल गए. 

        सन 1927 में, लाजपत राय ने अपनी मां की स्मृति में महिलाओं के लिए तपेदिक ( क्षय ) अस्पताल बनाने और चलाने के लिए एक ट्रस्ट की स्थापना की, जिस स्थान पर उनकी मां गुलाब देवी की लाहौर में तपेदिक ( क्षय ) से मृत्यु हो गई थी. इसे गुलाब देवी चेस्ट अस्पताल के रूप में जाना जाता है और अब गुलाब देवी मेमोरियल अस्पताल वर्तमान पाकिस्तान के सबसे बड़े अस्पताल में से एक है जो एक समय में 2000 से अधिक रोगियों को अपने रोगियों के रूप में सेवा देता है.

     लाहौर में लाजपत राय की एक प्रतिमा को बाद में भारत के विभाजन के बाद शिमला में केंद्रीय वर्ग में स्थानांतरित कर दिया गया था. सन 1959 में, लाला लाजपत राय ट्रस्ट का गठन उनके शताब्दी जन्म समारोह की पूर्व संध्या पर पंजाबी परोपकारी आर.पी. गुप्ता और बी.एम. ग्रोवर द्वारा किया गया था , जो लाला लाजपतराय कॉलेज को चलाते हैं. मुंबई में वाणिज्य और अर्थशास्त्र के लाला लाजपत राय मेमोरियल मेडिकल कॉलेज, मेरठ का नाम उनके नाम पर रखा गया है.       

       सन 2010 में हरियाणा सरकार ने लाला जी की याद में हिसारमें लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय की स्थापना की है. 

      नई दिल्ली में लाजपत नगर और लाजपत नगर सेंट्रल मार्केट, लाजपत नगर में लाला लाजपत राय स्मारक पार्क, दिल्ली के चांदनी चौक में लाजपत राय मार्केट; खड़गपुर में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान में लाला लाजपत राय हॉल ऑफ रेजिडेंस, कानपुर में लाला लाजपत राय अस्पताल, उनके गृहनगर जगराओं के बस टर्मिनस, कई संस्थानों, स्कूलों और पुस्तकालयों को उनके सम्मान में नामित किया गया है, जिसमें प्रवेश द्वार पर उनकी प्रतिमा के साथ बस टर्मिनल भी शामिल है.

         इसके अलावा, भारत के कई महानगरों और अन्य शहरों में उनके नाम पर कई सड़कें हैं. इन्होंने पंजाब नेशनल बैंक और लक्ष्मी बीमा कंपनी की स्थापना भी की थी.

          लाजपत राय भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन , भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस , हिंदू सुधार आंदोलनों और आर्य समाज के नेतृत्व में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक दिग्गज नेता थे, जिन्होंने अपनी पीढ़ी के युवाओं को प्रेरित किया और पत्रकारिता लेखन के साथ उनके दिलों में देशभक्ति की भावना पैदा की.

             चंद्रशेखर आज़ाद और भगत सिंह जैसे युवा पुरुषों को राय के उदाहरण के बाद अपनी मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए अपने जीवन का बलिदान करने के लिए प्रेरित किया था.

       ता : 30 अक्टूबर,1928 को लाहौर में साइमन कमीशन विरोधी जुलूस का नेतृत्व करने के दौरान राय गंभीर रूप से घायल हुए और 17 नवंबर, 1928 को उनका निधन हो गया.

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