हिंदी फ़िल्म का खलनायक, ” प्राण ”  | Pran

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हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्रीज में हीरो और विलेन के रूपमें पहचाने जाने वाले प्राण का पुरा नाम श्री प्राण कृष्ण सिकन्द था. आपका जन्म तारिख :12 फरवरी 1920 के दिन पुरानी दिल्ली, ब्रिटिश भारत में हुआ था. प्राण हिल्दी फ़िल्म जगत में खलनायक की भूमिका के लिये प्रसिद्ध थे. उन्होंने हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्रीज में सन 1940 से सन 1990 के दशक तक दमदार खलनायक और नायक का किरदार निभाया था. 

           प्राण का जन्म ता : 12 फ़रवरी 1920 के दिन पुरानी दिल्ली, ( ब्रिटिश भारत ) में हुआ था. दर्शक उसे प्राण यांनी विलन मानते थे. आलम ये हुआ कि भारत भर में लोगों ने अपने बच्चों का नाम प्राण रखना छोड़ दिया था. 

         प्राण को पहली बार जब मनोज कुमार अपनी फ़िल्म उपकार के लिए प्राण के पास मलंग चाचा का किरदार लेकर पहुंचे, तो प्राण ने उनसे कहा कि कहीं वो मज़ाक तो नहीं कर रहे हैं ? लेकिन मनोज कुमार ने प्राण की पहचान बदलने का मनमे ठान लिया था. 

       उपकार उस जमाने की ” देश प्रेम ” दर्शाने वाली सुपर डुपर फ़िल्म थी. प्राण ने भी मलंग चाचा का किरदार दमदार निभाया था. इसके लिए उनको पहला फ़िल्म फेयर अवॉर्ड से नवाजा गया था. उसके कई डायलॉग फेमस हुए थे. उसमे एक था , ” राशन पे भाषण तो बहुत मिलते है, मगर भाषण पर राशन नहीं मिलता.” उस फ़िल्म का एक गाना, ” मेरी देश की धरती सोना उबले, उबले हिरे मोती, मेरे देश की धरती. “आज भी लोगों का मन पसंद गाना है. 

          उन्हें सन 1968 में उपकार फ़िल्म के लिये सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता पुरस्कार दिया गया. सन 1970 में उन्हें 

” आँसू बन गये फूल ” फ़िल्म के लिये फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता पुरस्कार से नवाजा गया. सन 1973 में उन्हें बेईमान फ़िल्म के लिये फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता पुरस्कार दिया गया.

    उन्होंने सन 1997 में फ़िल्मफेयर लाइफ टाइम एचीवमेंट अवार्ड जीता. सन 2000 में स्टारडस्ट द्वारा मिलेनियम के खलनायक द्वारा पुरस्कृत किया गया. सन 2001 में उन्हें , ” भारत सरकार ” ने कला क्षेत्र में योगदान देनेके के लिये पद्म भूषण से सम्मानित किया, तथा भारतीय सिनेमा जगत में योगदान के लिये सन 2013 में उन्हें दादा साहब फाल्के अवार्ड से सम्मानित किया गया.

         उन्होंने अभिनय काल के दौरान करीब 400 फ़िल्मों में काम किया. उन्होंने खानदान (1942), पिलपिली साहेब (1954) और हलाकू (1956) जैसी अनेक फ़िल्मों में मुख्य अभिनेता ( हीरो ) की भूमिका निभायी थी. उनका सर्वश्रेष्ठ अभिनय मधुमती (1958), जिस देश में गंगा बहती है, सन (1960), उपकार (1967), शहीद (1965), आँसू बन गये फूल (1969), जॉनी मेरा नाम (1970), विक्टोरिया नम्बर 203 (1972), बे-ईमान (1972), ज़ंजीर (1973), डॉन (1978) और दुनिया (1984) आदि फ़िल्मों के लिये माना जाता है.

            प्राण ने मैट्रिक तक पढ़ाई की. स्कूल जीवन में छठी कक्षा से ही उन्हें , सिगरेट पीने का चस्का लग गया था. पान की दुकान पर सिगरेट लेने गए प्राण की मुलाकात फ़िल्म पटकथा लेखक मोहम्मद वली से होनेके बाद उनको फ़िल्म में किरदार मिलने शुरू हुए. वली के कहने पर ही प्राण ने पंजाबी फिल्म ” यमला जट ” से अपना करियर शुरू किया. 

यमला जट फिल्म में काम करने के बदले उन्हें पचास रुपये प्रतिमाह मिलते थे. फिल्मों में काम पाने के लिए उन्हें कड़ा संघर्ष करना पड़ा था . इसके लिये उनको पत्नी के गहने तक बेचने पड़े थे. 

        यमला जत फ़िल्म के बाद प्राण धीरे-धीरे खलनायक तौर पर फिल्म इंडस्ट्री में छा गए. हालत ये हो गई कि लोग उन्हें देखते ही बदमाश, लफंगे, गुंडे और हरामी कहा करते थे. बच्चे और महिलाएं उन्हें देख के छिप जाया करते थे.

          मनोज कुमार की ‘शहीद’ और ‘उपकार’ ने प्राण की इमेज में काफी बदलाव किया और उसके बाद उन्होंने कई फिल्मों में सकारात्मक रोल मिले.अमिताभ और प्राण ने 14 फिल्मों में साथ काम किया और जंजीर, कसौटी, मजबूर जैसी कुछ फिल्मों में अमिताभ से ज्यादा पारिश्रमिक प्राण को मिला था. कई हीरो के मुकाबले प्राण को फिल्म में काम करने के बदले में ज्यादा पैसे मिलते थे.

            विक्टोरिया नं. 203, धर्मा जैसी कई फिल्में प्राण के बलबूते पर चली थी. प्राण अपने बुरे किरदारों को इतना डूब कर निभाते थे कि बरसों तक किसी मां ने अपने बेटे का नाम प्राण नहीं रखा. प्राण को दिलीप कुमारऔर धर्मेद्र दोनों हीरो पसंद थे. परेश रावल की एक्टिंग प्राण को पसंद थी. दक्षिण के शिवाजी गणेशन प्राण की पहेली पसंद थी. 

        प्राण ने अपने जीवन काल में करीब 400 फिल्मों में काम किया और ज्यादातर फिल्मों में उनका नाम कलाकारों की सूची में आखिर में बड़े अक्षरों में लिखा आता था- ‘और प्राण’. फ़िल्मी परदे पर क्रूर और बुरे आदमी का किरदार निभाने वाले प्राण निजी जिंदगी में बेहद भले और अच्छे इंसान थे. गरीब, बेसहारा और अनाथों की वें हमेशा मदद करते थे.  

          प्राण ने ता : 12 जुलाई 2013 के दिन मुम्बई स्थित लीलावती अस्पताल में 93 साल की उम्र में अन्तिम साँस ली. उल्लेखनीय है कि उनके जन्म और मृत्यु की तिथि की संख्या एक ही थी, तारीख 12 (बारह).

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