तारापोरवाला मछलीघर. ( मुंबई )|

taraporevala

      मछली जल की रानी है,

जीवन उसका पानी है.  

    हाथ लगाओ तो डर जायेगी,   

      बाहर निकालो तो मर जायेगी. 

 यह बालगीत बच्चों मे बहुत प्रसिद्ध है. रंगबेरंगी तैरती मछली देखना हर किसीको पसंद होता है. आज मुजे ऐसी ही तैरती फिरती कृत्रिम मछली का घर तारापोरवाला मछलीघर – मुंबई की बातें आप लोगोंसे शेयर करनी है. 

       इसे तारापोरवाला एक्वेरियम भी कहते है. यह दक्षिण मुंबई मे मरीन ड्राइव स्थित भारत का सबसे पुराना मछलीघर के नामसे पहचाना जाता है. यहां पर आपको समुद्र के खारा पानी तथा मीठे पानी की मछलियों देखनेको मिलती है. 

      तारापोरवाला मछलीघर को सन 1951 में तत्कालीन भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जी ने शुभारंभ किया था. मछलीघर का नाम एक पारसी परोपकारी दानशूर श्री डी.बी. तारापोरवाला के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने इसका निर्माण कार्य के लिये 2 लाख रुपये दान दिये थे.  

         इस मछलीघर मे मछली की 400 प्रजातिया देखनेको मिलती है. सालमे देश – विदेश के करीब चार लाख पर्यटक, दर्शक यहां मछलीघर की मुलाक़ात लेते है. 

       ये मछलीघर मार्च 2013 मे लंबे समय तक बंद रहनेके पश्चात नवीनीकरण के बाद ता : 27 फरवरी, 2015 के दिनसे फिरसे खुला किया गया था. पुनर्निर्मित एक्वेरियम में 12 फीट लंबी और 180 डिग्री की ऐक्रेलिक ग्लास टनल है. मछलीयों को बड़े कांच के टैंकों में रखा जाएगा, जिसको एल.ई.डी. बल्ब से रोशन किया जायेगा. 

     400 प्रकार की प्रजातियों और 2,000 मछलियां का 24 करोड़ रुपये (लोक निर्माण विभाग द्वारा किए गए निर्माण कार्यों के लिए लगभग 7.5 करोड़ रुपये और 16.5 करोड़ रुपये ) की लागत से पुनर्निर्मित किया गया है. 

    समुद्री मछली की नई प्रजाति में तारा,जोकर, हेलिकॉप्टर, एरोवाना, ग्रूपर, पीली-धारीदार तांग, नीली-चित्तीदार स्टिंगरे, हार्क, ट्रिगर ग्रूपर, मूरिश आइडल, बैंगनी, रेकुन बटरफ्लाई फिश, वाइट टैल ट्रिगर, क्लोन ट्रिगर फिश और ब्लू रिबन इल मछली तथा मीठे पानी की मछलियों की 40 नई जाती में रेड डेविल, जगुआर, इलेक्ट्रिक ब्लू जैक डेम्पी, फ्रंटोसा और कैटफ़िश शामिल हैं. 

           तारापोरवाला मत्स्यालय में मछलियों की कई दुर्लभ प्रजातियों के दर्शन किए जा सकते हैं. इनमें चीन, श्रीलंका, सिंगापुर, हॉगकांग और अन्य देशों की प्रजातियां सामिल है. 

       इस मछलीघर का रखरखाव मत्स्य विभाग द्वारा किया जाता है. एक्वेरियम के 16 समुद्री जल टैंकों और 9 ताजे पानी के टैंकों में, 31 प्रकारकी मछलियाँ हैं,जबकि 32 उष्ण कटिबंधीय टैंकों में 54 प्रकार की मछलियाँ हैं. जो मछलीघर के उष्ण कटिबंधीय खंड में पहले से ही अलग-अलग पारिस्थितिक तंत्र हैं जैसे कि गर्भवती मछलियों के लिए मॉस एक्वेरियम, प्लांटेशन एक्वेरियम जो पानी की लिली और अन्य जलीय पौधों और “द्वीप मछलीघर” की आयातित जाती है. जो विविध जगह से मंगाई है. 

        मछलीघर दर्शको के लिए खुला है, केवल सोमवार को बंद रहता है. समय सुबह 10:00 बजे से रात 5:00 बजे तक खुला रहता है. इसके प्रवेश शुल्क की बात करें तो वयस्क के लिये 60 रुपये प्रवेश शुल्क है. 12 वर्ष से कम आयु के बच्चे का प्रवेश शुल्क 30 रुपये है. सरकारी कर्मचारी के लिये फीस 30 रुपये रखा गया है. 

       फोटोग्राफी के लिए दर्शकों को यहां अतिरिक्त शुल्क अदा करना होता है. तस्वीरें निकालने के लिए 500 रुपये तथा वीडियो शूटिंग निकालने के लिए 1000 रुपये अलग शुल्क देना होता है.

      मुंबई मे सागरी मत्स्यसंशोधन केंद्र की परिकल्पना सबसे पहले सन 1923 मे बॉम्बे नेचरल हिस्ट्री सोसायटी संस्था के कार्यवाहक श्री.मिलार्ड ने की थी. इसके पश्चात सन 1951 मे करीब नव लाखकी लागत से तारापोर वाला मछलीघर का निर्माण कार्य शुरू हुआ था. 

      जिसमे श्री और श्रीमती विकाजी डी. बी.तारापोरवालाने दो लाख रुपये का दान दिया था जिसके नाम पर इस मछली घर का नाम रखा गया है.यहातक पहुंचने के लिये आपको पश्चिम रेल्वे के मुंबई स्थित चर्नीरोड स्टेशन उतरकर चौपाटी की ओर बाहर जाते ही आपको तारापोरवाला मछली घर के दर्शन होंगे. 

——====शिवसर्जन ====———

About पत्रकार : सदाशिव माछी -"शिव सर्जन"

View all posts by पत्रकार : सदाशिव माछी -"शिव सर्जन" →