इस दुनिया में तीन प्रकारके लोग रहते है. (1) खुद कमाके अपनी मौज मस्ती में खा पीकर जीने वाले. (2) दूसरों का हक छीनकर, लूटकर मौज मस्ती करने वाले . (3) खुद कमाकर, गरीबों में बाटकर, मानवता की खुसबू दूर तक फैलाकर, जिओ और जीने दो के, रास्ते पर चलने वाले.
आज मुजे ऐसे ही परोपकार की भावना रखने वाले श्री हरखचंद सावला जी की मानवता की महक आप प्रबुद्ध लोगों तक पहुचानी है. कुछ दिन पहले मुजे व्हाट्सएप्प के साथी मित्र श्री सुभाषभाई ने मानवता वादी हरखचंद सावला जी की पोस्ट भेजी. मै पढ़कर अतियंत प्रभावित हुआ.
मेरे अंदर का खोजी पत्रकार स्वभाव श्री हरखचंद सावला के बारेमें विगत ढूंढने में व्यस्त हो गया. विगत मिलते ही पता चला कि ये कोई सामान्य आदमी नहीं, बल्कि मनुष्य अवतार में छुपा कोई मसीहा है.
परल स्थित टाटा कॅन्सर हॉस्पिटल के सामने वाले फुटपाथ पर एक शख्स खड़ा था. फुटपाथ पर खड़ा रहकर वह शख्स वहां पर आने वाले कैंसर पीड़ित लोग और उनके रिश्तेदारों का गहराई से अध्ययन कर रहा था. बहार गावों से आनेवाले गरीब लोगों की परेशानी देखकर उनका दुःखी मन व्याकुल हो उठा.
घर जाकर रात भर सोया नहीं. रात भर सोचते रहा. वहां बाहरगांव से आनेवाले लोगों की परेशानी थी कि, क्या करें ? किसे मिले उनको कुछ पता नहीं रहता था. औषध की बात तो दूर उन लोगों के पास खानेकी सुविधा भी नहीं होती थी.
यह देखकर उसने अपना अच्छा कमाई का धंदा होटल को भाड़ेपर दे दिया. जमा हुए पैसे से उन्होंने टाटा अस्पताल के सामने स्थित कोंडाजी चालिके रास्ते पर कॅन्सरग्रस्त पेसेंट और उनके रिश्तेदारों को मुफ्त भोजन देनेका भगीरथ कार्य प्रारंभ किया. असंख्य लोगोंको उनका मिशन पसंद आया.
पांच पचीस से शुरू हुआ, इसमे दान दाता जुड़ते गये और करीब एक साल बाद ये आकड़ा 700 पार कर गया.
हरखचंद सावला ने आगे चलकर जरूरियात मंदो को मुफ्त औषध देना शुरू किया. उसके लिये उन्होने औषध बैंक और तीन फार्मासिस्ट तथा तीन डॉक्टरो के संग एक सोशल वर्कर की टीम बनाई. कॅन्सरग्रस्त बाल पेशंट के लिये टॉय बैंक खोली. और 60 से अधिक उपक्रम कार्यान्वित कीये.
श्रीमान श्री हरखचंद चावला गत 31 सालोंसे अविरत कैंसर पीड़ित के परिवारों की मदद कर रहा है. मुंबई की
टाटा कैंसर अस्पताल में देश भर से कैंसर मरीज का इलाज करवाने के लिए आते हैं उनमें हजारों ऐसे मरीज होते हैं जो गरीब होते हैं, जो अपने रहने का इंतजाम तक नहीं कर पाते और फुटपाथ पर रहनेको मजबूर होते है.
हरखचंद जीवन ज्योति कैंसर रिलीफ ऐंड केयर ट्रस्ट के नाम से एक संस्था चलाते हैं. और ऐसे ही लोगों की मदद करते है. इसी संस्था के जरिए ये गरीब मरीजों के केयरटेकर्स को मुफ्त खाना खिलाते हैं, उनके लिए कपड़ों का इंतजाम करते हैं और कुछ मरीजों के रहने की भी व्यवस्था करते हैं.
उन्होंने इस नेक काम की शुरुआत अपने पैसों से की थी, फिर धीरे-धीरे डोनेशन्स आना शुरू हुआ. और आज वे गरीब पेशेंट्स और उनके रिश्तेदारों की मदद करने में अग्रेसर हो गया. हर रोज करीब 700 जरूरमंत लोगों को इनकी संस्था खाना खिलाती है. यह NGO वृंदावन के वात्सल्य ग्राम स्थित 15 लाख स्कूली बच्चों को मुफ्त में स्वास्थय वर्धक खाना खिलाता है.
श्री हरखचंद सावला द्वारा स्थापित ” जीवन ज्योति ट्रस्ट अब 60 से अधिक मानवीय परियोजनाएं कार्यान्वित करता है. श्री हरखचंद सावला ट्रस्ट के मैनेजिंग ट्रस्टी हैं, जिन्होंने मुंबई, जलगांव, सांगली और कोलकाता सहित पूरे देश में 12 अलग-अलग केंद्रों में अपना विस्तार किया है.
कहते है की हर सफल व्यक्ति के पीछे एक महिला का हाथ होता है. इस बात को सार्थक करते उनकी धरम पत्नी उनकी सभी गतिविधियों में हर समय साथ देती है. उन्होंने पराई व्यक्तियों की व्यथा देखी, समजी और अपनी जिंदगी दाव पर लगा दी. उन्होंने लोअर परेल में एक पुस्तकालय का प्रबंधन किया.
सावला जी ने टाटा कैंसर अस्पताल के ठीक सामने एक धर्मार्थ गतिविधि शुरू की, जो कोंडाजी बिल्डिंग के बगल में स्थित है.उन्होंने इसे कैंसर रोगियों और गरीब और जरूरतमंद लोगों को दवाइयां, रहना, भोजन और मार्गदर्शन देकर एक छोटे आधार के रूप में शुरू किया. इस गतिविधि में कैंसर रोगियों और उनके रिश्तेदारों के लिए मुफ्त भोजन प्रदान करना शामिल था. उन्होंने पुराने अख़बारों, कपड़ों आदि को घर-घर जाकर इकट्ठा करने की गतिविधि शुरू की.
जैसे जैसे लोगों की संख्या बढ़ती गई, वैसे मदद करने वालोंकी संख्या भी बढ़ती गई. जरूरतमंद लोगों के लिए मुफ्त दवाओं की आपूर्ति शुरू की. उन्होंने तीन डॉक्टरों और तीन फार्मासिस्टों की स्वैच्छिक सेवाओं को सूचीबद्ध करते हुए एक दवा बैंक शुरू किया. कैंसर से पीड़ित बच्चों के लिए एक खिलौना बैंक खोला. पिछले चार दशक से लाखों कैंसर रोगियों और उनके रिश्तेदारों को हरखचंद सावला के रूप में मसीहा मिल गया.
आज जीवन ज्योति कैंसर रिलीफ ऐंड केयर ट्रस्ट के नाम से एक संस्था चलाते हैं. इसी संस्था के जरिए ये गरीब मरीजों के केयरटेकर्स को मुफ्त खाना खिलाते हैं, उनके लिए कपड़ों का इंतजाम करते हैं और कुछ मरीजों के रहने की भी व्यवस्था करते हैं.
यह एक धर्मनिरपेक्ष, गैर राजनीतिक, गैर सरकारी, और मानवता वादी पंजीकृत धर्मार्थ ट्रस्ट है.
लोग प्रभु को मंदिर, मस्जिद गुरूद्वारे में ढूंढते है, मगर प्रभु तो ऐसे मानवता वादी इंसानों में बसा है वे कहां मूर्तियों में मिलेगा. इस बात को समजने के लिये हमारी पास हरखचंद सावला जैसी कुनेह बुद्धि, दूर दृस्टि चाहिए. कोरोना काल में हम सब समझ चुके है कि हमें मंदिर, मस्जिद, चर्च, अगियारी, गुरुद्वारा से ज्यादा अस्पताल की जरुरत है , वेंटीलेटर की खास जरुरत है. प्रभु पृथ्वी लोग की रक्षा करें.
जय हिंद, जय महाराष्ट्र.
——===शिवसर्जन ===