एफिल टॉवर ( EIFFEL TOWER ) विश्व के प्रमुख निर्माणों मे एक है, जो फ्रांस की राजधानी पैरिस में विध्यमान एक लौह टावर है. एफ़िल टॉवर की संरचना गुस्ताव एफ़िल के द्वारा की गई है. और उन्हीं के नाम पर से एफ़िल टॉवर का नाम रखा गया है. इस टॉवर का निर्माण सन 1887 से 1889 के बिच शैम्प-दे-मार्स में सीन नदी के तट पर हुआ था. जब इसका निर्माण किया गया तब यह दुनिया की सबसे ऊंची वास्तु मानी जाती थी.
इस टॉवर की ऊंचाई 324 मीटर है. अर्थात 981 फीट है. जो की 81 मंजिला ईमारत की ऊंचाई के बराबर है. इस कलाकृति को देखने के लिये दुनिया भर से हर साल लाखों पर्यटक यहां पर आते है.शाम के वक्त इसे रोशनी से सजाया जाता है. रंग बिरंगी जगमगाती रोशनी को देखनेका मजा कुछ ओर ही होता है. मगर रात के समय टॉवर की तस्वीर खींचना मना है. इस टावर पर लगी लाइट्स के डिजाइन पर उसके कलाकारों का कॉपीराइट है.
एफिल टावर के सबसे उपर वाले माले पर पहुंचने के लिए करीब 1,665 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है. एफिल टावर मेटल का बना है , इसलिए यह सर्दियों में 6 इंच तक सिकुड जाता है. इसका का निर्माण 300 कारीगरों ने किया था. इसे बनाने में 18,038 लोहे के टुकड़े और 2.5 मिलियन कील का इस्तेमाल किया गया है.
रात के समय टावर को करीब 20 हजार बल्ब से रोशन किया जाता है. बिजली की बचत के लिये वर्ष 2013 से रात एक बजे के बाद सभी लाइट्स बंद कर दी जाती है. मार्च 2018 तक 18 बार इस टावर का रंग बदला जा चुका है.
हर सात – आठ साल में पूरे टावर पर पेंट किया जाता है.
एफिल टावर को सन 1889 में फ्रांस की क्रांति के 100 साल पुरे होने के उपलक्ष्य में बनाया गया था. इस टावर की लिफ्ट एक साल में लगभग 103000 किलोमीटर का सफर तय करती है. पहले पेरिस की बजाय स्पेन के बार्सिलोना में एफिल टावर का निर्माण किया जाने वाला था, मगर प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया गया था. एफिल टावर में प्रयोग की गई कुल धातु का वजन 700 टन के करीब है
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान हिटलर जब पेरिस पहुंचा तो एफिल टावर के लिफ्ट की केबल काट दी गई थी, ताकि वो इस टावर के सबसे ऊपर न पहुंच सके. आपको बता दें कि टावर को विश्व मेले के प्रवेश द्वार के रूप में तैयार किया था.
सन 1889 में फ़्रांस की क्रांति के शताब्दी महोत्सव के अवसर पर, वैश्विक मेलेका आयोजन किया गया था. इस मेले के प्रवेश द्वार के रूप में सरकार एक टावर बनाना चाहती थी. इस टावर के लिए सरकार के तीन मुख्य शर्तें थीं.
(1) टावर की ऊँचाई 300 मीटर होनी चाहिए
(2) टावर लोहे का होना चाहिए
(3) टावर के चारों मुख्य स्थंभ के बीच की दूरी 125 मीटर होनी चाहिए
इस प्रस्ताव पर कुल 107 इंजीनियरों ने डिजाइन दिए थे. जिसमें से गुस्ताव अइफ़िल की परियोजना मंज़ूर की गई. मौरिस कोच्लिन,एमिल नुगिए परियोजना के संरचनात्मक इंजीनियर थे और स्टीफेन सौवेस्ट्रे वास्तुकार थे. 300 मजदूरों ने मिलकर अइफ़िल टावर को 2 साल, 2 महीने और 5 दिनों में पूरा किया था. इसका उद्घाटन 31 मार्च 1889 के दिन हुआ था और 6 मई से यह टावर आम लोग और पर्यटकों के लिए खुला किया गया था.
शुरु मे इस टॉवर को कई नामी लोगोंने नकारा था. कई लोगो ने निंदा की थी. शुरुआती दौर में विचार यह था कि अइफ़िल टावर को सिर्फ 20 साल तक कायम रखा जाएगा और 1909 में इसे नष्ट कर दिया जाएगा. लेकिन इन 20 सालों के दौरान टावर ने पर्यटकों को इस कदर आकर्षित किया और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी इसे ऐसा उपयोगी माना गया कि इसे तोड़ने के बजाए इसे विश्व धरोहर के रूप में कायम रखने का फैसला किया गया.
टावर के चारों स्तंभ चार प्रमुख दिशाओं में बने हुए हैं और उन्हीं दिशाओं के अनुसार स्तंभों का नामकरण किया भी किया गया है जैसे कि , उत्तर स्तंभ, दक्षिण स्तंभ, पूरब स्तंभ और पश्चिम स्तंभ. फ़िलहाल, उत्तर स्तम्भ, दक्षिण स्तम्भ और पूरब स्तम्भ में टिकट घर और प्रवेश द्वार है, जहाँ से पर्यटक टिकट ख़रीदकर टावर में प्रवेश कर सकते हैं. उत्तर और पूरब स्तंभों में लिफ्ट की सुविधा है और दक्षिण स्तम्भ में सीढ़ियां हैं जो कि पहली और दूसरी मंज़िल तक पहुँचाती हैं. दक्षिण स्तम्भ में अन्य दो निजी लिफ्ट भी हैं जिनमें से एक सर्विस लिफ्ट है और दूसरी लिफ्ट दूसरी मंज़िल पर स्थित’ला जुल्स वेर्नेस’नामक रेस्टोरेंट के लिए है.
एफिल टॉवर की पहेली मंजिल की बात करें तो यह 57 मीटर की ऊंचाई पर है. पहेली मंज़िल का क्षेत्रफल 4200 वर्ग मीटर है. यहां पर एक साथ 3000 लोगों को समाने की क्षमता है. मंज़िल के चारों ओर बाहरी तरफ एक जालीदार छज्जा है जिसमें पर्यटकों की सुविधा के लिए पैनोरमिक टेबल ओर दूरबीन रखे हुए हैं जिनसे पर्यटक पैरिस शहर के दूसरी ऐतिहासिक इमारतों का नज़ारा देख सके. यहाँ कांच की दीवार वाला एक रेस्टोरेंट भी है, जिसमें बैठकर पर्यटक विविध व्यंजनों का स्वाद ले सकते है.यहां एक कैफ़ेटेरिया भी मौजूद है.
दूसरी मंजिल 115 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. इसका क्षेत्रफल 1650 वर्ग मीटर है जो कि एक साथ 1600 लोगों को समाने की क्षमता रखता है. दूसरी मंज़िल से पैरिस का सबसे बेहतर नज़ारा देखने को मिलता है, मौसम साफ़ हो तो आप 70 किमी दूरी तक देख सकते है. इस मंज़िल पर एक कैफ़ेटेरिया और सोविनियर खरीदने की दुकान है.
तीसरी मंजिल 275 मीटर की ऊँचाई पर है. इसका कुल क्षेत्रफल 350 वर्ग मीटर है. यहां एक साथ 400 लोगों को समाने की क्षमता है. इस मंज़िल को चारों ओर से कांच से बंद किया गया है. यहाँ गुस्ताव अइफ़िल का काँच का ऑफ़िस भी है. पर्यटक इसे बाहर से देख सकते हैं. ऑफ़िस में गुस्ताव अइफ़िल की मोम की मूर्ति भी रखी गई है. तीसरी मंज़िल के ऊपर एक उप-मंज़िल है जहाँ पर सीढ़ियों से जा सकते है. इस उप-मंज़िल के चारों ओर जाली लगी हुई है और यहाँ पैरिस की खूबसूरती का नज़ारा लेने के लिए कई दूरबीन रखे हैं. इस के ऊपर एक दूसरी उप मंज़िल है, मगर वहां पर जाना निषेध है.यहाँ रेडियो और टेलिविज़न की प्रसारण के एंटेना हैं.
दुनिया भर के पर्यटक एफिल टॉवर को देखने आते है.
सबसे ज़्यादा 2007 में कुल 69.60 लाख लोग टावर देखने आये थे.सन 2012 – 13 मे पहली मंज़िल का नवीनीकरण किया गया था. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान एफिल टावर को तीन महीने से ज्यादा समय के लिए बंद किया गया था. उसके बाद अब कोरोना काल मे इसे बंद किया गया है.
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