नास्त्रेदमस की भविष्यवाणियां|Nostradamus ki bhavishyavaniya.

माइकल दि नास्त्रेदमस फ़्रांस के एक विश्व प्रसिद्ध भविष्यवक्ता हो गये. उनका जन्म ता : 14 दिसंबर 1503 के दिन फ़्रांस के एक छोटे से गांव “सेंट रेमी” में हुआ था.     नास्त्रेदमस केवल भविष्यवक्ता ही नही थे, वें डॉक्टर और शिक्षक भी थे. ये प्लेग जैसी असाध्य बिमारियों का इलाज करते थे. इन्होने ने अपनी कविताओ के द्वारा भविष्य में होने वाली भावी घटनाओ का वर्णन किया था.        

माना जाता है कि आज तक उनकी नास्त्रेदमस की 70 प्रतिशत से ज्यादा भविष्यवाणियां सच साबित हुईं हैं. आजसे करीब 500 साल पहले नास्त्रेदमस ने लेस प्रोफेसीस नाम की एक किताब के जरिए कई भविष्यवाणियां की थीं. और इस किताब का पहला संस्करण 4 मई 1555 में प्रकाशित हुआ था. जो फ्रांस के मेस बाबहम ने फ्रांसीसी भाषा में किया था. नास्त्रेदमस की इस किताब में कुल 6338 भविष्यवाणियां हैं, जिनमें से अधिकतर अब तक सच साबित हुई हैं.

         पुस्तक के प्रकाशन पूर्व इतनी ख्याति हो चुकी थी कि प्रकाशन दिनांक को लंबी कतारें खरीददारों की लगी थीं और पुस्तक का प्रथम संस्करण एक ही दिन में समाप्त हो गया था.
        भविष्यकार नास्त्रेदमस ने अपनी पुस्तक में 12 सेंचुरिज यानी बारह सौ चतुष्पदियां लिखी हैं. उनमें से अब मात्र 955 अस्तित्व में हैं. इनमें से लगभग 3 हजार भविष्य कथनों का वर्णन है. गत 50 वर्षों में उनकी 800 भविष्यवाणियां सत्य की कसौटी पर सही उतरी हैं. सेंचुरीज में सन् 3797 तक के समयकाल की भविष्यवाणियां की गई हैं.

         नास्त्रेदमस ने अपनी सेंचुरीज किताब के बारे में बताते हुए लिखा था, की जो कुछ मैं लिख रहा हूं, आने वाला समय बताएगा कि मैं सही था मैंने जनहित में अपने भविष्य कथनों को उलझे हुए वाक्यों में लिखा है, मैंने यह सब दैवी प्रेरणा से प्राप्त किया है. विश्व अनेक त्रासदियों को झेलने वाला है, जो मैंने अपनी भविष्यवाणियों में स्थान एवं समय को बिलकुल गुप्त रखकर प्रतीकों के द्वारा स्पष्ट किया है.

       नास्त्रेदमस ने किशोरावस्था से ही भविष्यवाणियां करना शुरू कर दी थी. ज्योतिष में उनकी बढती दिलचस्पी ने उनके माता-पिता को चिंता में डाल दिया था, क्योंकि उस समय कट्टरपंथी ईसाई इस विद्या को अच्छी नजर से नहीं देखते थे. ज्योतिष से उनका ध्यान हटाने के लिए उन्हे चिकित्सा विज्ञान पढने मांट पेलियर भेज दिया गया जिसके बाद तीन वर्ष की पढाई पूरी कर नास्त्रेदमस चिकित्सक बन गए थे.

            तारीख 23 अक्टूबर 1529 को उन्होने मांट पोलियर से ही डॉक्टरेट की उपाधि ली और उसी विश्वविद्यालय में वें शिक्षक के रूपमें नियुक्त हुए. पहली पत्नी के देहांत के बाद 1547 में यूरोप जाकर उन्होने ऐन से दूसरी शादी कर ली. इस दौरान उन्होनें भविष्यवक्ता के रूप में खास नाम कमाया.

       नास्त्रेदमस के बारे में कई कहानियाँ अस्तित्व में है, मगर इनमें से किसी के लिए कोई सबूत नहीं है. एक किंवदंती के अनुसार एक बार नास्त्रेदमस अपने मित्र के साथ इटली की सड़कों पर टहल रहे थे, उन्होनें भीड़ में एक युवक को देखा और जब वह युवक पास आया तो उसे आदर के साथ सिर झुकाकर नमस्कार किया. उसके मित्र ने आश्चर्यचकित होते हुए इसका कारण पुछा तो उन्होने कहा कि यह व्यक्ति आगे जाकर पोप का आसन ग्रहण करेगा. किंवदंती के अनुसार वास्तव में वह व्यक्ति “फेलिस पेरेती” था, जिसने 1585 में पोप चुना गया. और नास्त्रेदमस की बात सच हो गई.

        नास्त्रेदमस की भविष्यवाणियां की ख्याति सुन फ्रांस की महारानी कैथरीन ने अपने बच्चों का भविष्य जानने की इच्छा व्यक्त की. नास्त्रेदमस अपनी इच्छा से यह जान चुके थे कि महारानी के दोनो बच्चे अल्पायु में ही प्रभु प्यारे हो जाएंगे, लेकिन सच कहने की हिम्मत नहीं हो पायी और उन्होंने यह अपनी बात को प्रतीकात्मक छंदों में पेश किया. इस प्रकार वह अपनी बात भी कह गए और महारानी के मन को कोई चोट भी नहीं पहुंची. तभी से नास्त्रेदमस ने यह तय कर लिया कि वे अपनी भविष्यवाणीयां को इसी तरह लोगोंके समक्ष छंदो में ही व्यक्त करेंगें.

         सन 1550 के बाद नास्त्रेदमस ने चिकित्सक के पेशे को छोड़ दिया और ज्योतिष विद्या की साधना पर लग गये. अन्होंने अपना वार्षिक पंचाग निकालना शुरू किया. उसमें उन्होंने ग्रहों की स्थिति, मौसम और फसलों आदि के बारे में पूर्वानुमान किया.

          नास्त्रेदमस ने सन 1555 में भविष्यवाणियों से संबंधित अपने पहले ग्रंथ सेंचुरी के प्रथम भाग का लेखन पूरा किया, जो सबसे पहले फ्रेंच और बाद में अंग्रेजी, जर्मन, इटालवी, रोमन, ग्रीक भाषाओं में प्रकाशित हुआ. इस पुस्तक ने फ्रांस में इतना तहलका मचाया कि यह उस समय महंगी होने के बाद भी हाथों-हाथ बिक गई.

       उनके कुछ व्याख्याकारों का मानना है कि इस किताब के कई छंदो में प्रथम विश्व युद्ध, नेपोलियन, हिटलर और कैनेडी आदि से संबंद्ध घटनाएं स्पष्ट रूप से देखी जा सकती हैं. कुछ व्याख्याकारों ने नास्त्रेदमस के अनेक छंदो में तीसरे विश्वयुद्ध का पूर्वानुमान और दुनिया के विनाश के संकेत को भी समझ लेने में सफलता प्राप्त कर लेने का दावा किया है.

      नास्त्रेदमस के जीवन के अंतिम साल बहुत कष्ट से गुजरे. फ्रांस का न्याय विभाग उनके विरूद्ध जांच कर रहा था कि क्या वह वास्ताव में जादू-टोने का सहारा लेते थे यदि यह आरोप सिद्ध हो जाता, तो उनको दंड दिया जाता था.

           उन्हीं दिनों नास्त्रेदमस जलोदर रोग से ग्रस्त हो गए. शरीर में एक फोड़ा हो गया जो उपाचार के बाद भी ठीक नहीं हुआ. उन्हें अपनी मृत्यु का पूर्वाभास हो गया था, इसलिए उन्होंने 17 जून 1566 को अपनी वसीयत तैयार करवाई. एक जुलाई को पादरी को बुलाकर अपने अंतिम संस्कार के निर्देश दिए.और 2 जूलाई 1566 के दिन मशहूर भविष्यवक्ता का निधन हो गया. कहा जाता है कि अपनी मृत्यु की तिथि और समय की भविष्यवाणी वे पहले ही कर चुके थे.

       नास्त्रेदमस ने मरने से पहले भविष्यवाणी की थी,उनकी मौत के 225 साल बाद कुछ समाजविरोधी तत्व उनकी कब्र खोदेंगे और उनके अवशेषों को निकालने का प्रयास करेंगे लेकिन तुरंत ही उनकी मौत हो जाएगी. और वास्तव मे ऐसा ही हुआ. फ्रांसिसी क्रांति के बाद 1791 में तीन लोगों ने नास्त्रेदमस की कब्र को खोदा, जिनकी तुरंत मौत हो गयी. 

क्या धरती पर महाप्रलय होगा ? 

धरती पर इस साल भूकंप आएगा ? 

पृथ्वी पर तरह-तरह की बीमारियां फैलेगी ? 

क्या पृथ्वी पर इस साल सूखा अकाल पड़ेगा ? 

इस सभी प्रश्न का उत्तर जाननेके लिए आपको नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी को जानना होगा. नास्त्रेदमस के अनुसार इस साल 2021 में एक ऐसा अकाल आएगा, जिसका सामना दुनिया ने पहले कभी नहीं किया होगा.

             नास्त्रदेमस के अनुसार सन 2021 में एक रशियन वैज्ञानिक ऐसा बायलॉजिकल वैपन और वायरस विकसित करेगा, जो इंसान की प्रजाति का सर्वनाश कर देंगा. हमें पता है कि बायलॉजिकल वैपन इस वक्त दुनिया के लिए खतरा बना हुआ है. कोरोना वायरस से मच रही तबाही का उदाहरण हमारे सामने है. कई जानकार मानते हैं कि कोरोना वायरस को चीन के लैब में तैयार किया गया और तबाही का हथियार बनाया गया. नास्त्रेदमस का कहना है कि इस बार रसिया में विकसित किया गया एक नया वायरस इंसानों के सर्वनाश का कारण बनेगा.

         दुनिया की आबादी का एक बड़ा हिस्सा इस तबाही से उबर नहीं पाएगा. सन 2021 में सूर्यकी तबाही धरती के क्षति ग्रस्त होने का कारण बनेगी. जलवायु परिवर्तन से युद्ध और टकराव की स्थिति पैदा होगी. रिसोर्स के लिए दुनिया में झगड़े शुरू होंगे और लोग पलायन करेंगे.

      नास्त्रेदमस ने पृथ्वी से धूमकेतु टकराने की बात भी कही है, जो भूकंप और कई तरह की प्राकृतिक आपदाओं का कारण बनेगा. पृथ्वी कक्षा में प्रवेश करने के बाद ये एस्टेरॉयड उबलना शुरू कर देगा. आकाश में ये नजारा ‘ग्रेट फायर’ जैसा होगा. ” NASA ” के वैज्ञानिक भी पहले ही एक बड़े धूमकेतु के पृथ्वी से टकराने की आशंका जाहिर कर चुके हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक, 2009 KF1 नाम के एक एस्टेरॉयड के 6 मई 2021 तक पृथ्वी से टकराने का खतरा था.

         वैज्ञानिकों का कहना है कि इस एस्टेरॉयड की ताकत सन 1945 में हिरोशिमा पर अमेरिका द्वारा गिराए गए परमाणु बम से करीब 15 गुना ज्यादा हो सकती है.

            मानव जाति को बचाने के लिए अमेरिकी सैनिकों को दिमागी स्तर पर साइबॉर्ग्स की तरह बदल दिया जाएगा.इसके लिए ब्रेन चिप का इस्तेमाल किया जाएगा. ये चिप इंसान के मस्तिष्क की बायलॉजिकल इंटेलिजेंस को बढ़ाने का काम करेगी. इसका मतलब हुआ कि हम लोग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को अपनी बुद्धि और शरीर में शामिल करेंगे.

नरेंद्र मोदी की भविष्यवाणी :

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के बारेमें नेस्त्रेदमस ने करीब 450 साल पहले भविष्‍यवाणी कर दी गई थी, कि वर्ष 2014 से 2026 तक भारत का प्रतिनिधित्‍व एक ऐसा व्‍यक्ति करेगा जिससे शुरुआत में लोग बहुत ही नफरत करेंगे लेकिन बाद में जनता और बाकी सभी लोग उसे उतना प्‍यार देंगे कि वह अगले 20 साल तक भारत का प्रधानमंत्री रहेगा. मशहूर फ्रेंच कॉलमिनस्‍ट फ्रेंकोइस गॉटियर के मुताबिक, नास्त्रेदमस ने भारत में भाजपा नेता नरेंद्र मोदी की जीत की भविष्यवाणी भी कई सौ साल पहले कर दी थी. 

फ्रेंच भाषा में लिखे अपने इस ग्रंथ में नास्‍त्रेदमस ने साफ लिखा है कि यह व्‍यक्ति भारत की दिशा और दशा बदलकर रख देगा. कुछ भी हो नोट की दिशा और दशा तो बदलकर रख ही दी है. इस किताब को मराठी भाषा में महाराष्‍ट्र के मशहूर ज्‍योतिषी डॉक्‍टर श्री रामचंद्रजी जोशी ने अनुवाद किया है. नास्‍त्रेदमस ने इस ग्रंथ के पेज नंबर 32-33 पर साफ-साफ लिखा है कि एक अधेड़ उम्र का व्‍यक्ति जो भारत का नेतृत्व करेगा वह भारत के साथ ही साथ पूरी दुनिया भर में एक नया अध्‍याय लिखेगा. उसकी अगुवाई में भारत देश दुनिया में महा शक्तिशाली बन जाएगा. नास्त्रेदमस ने भारत के बारे में कई भविष्यवाणियां की हैं, उसमें से एक भविष्यवाणी ऐसी भी है.

” तीन ओर घिरे समुद्र क्षेत्र में वह जन्म लेगा, जो बृहस्पतिवार को अपना अवकाश दिवस घोषित करेगा. उसकी प्रशंसा और प्रसिद्धि, सत्ता और शक्ति बढ़ती जाएगी और भूमि व समुद्र में उस जैसा शक्तिशाली कोई न होगा ” (सेंचुरी 1-50वां सूत्र)

        वैसे देखा जाय तो भारत देश तीन ओर समुद्र से घिरा हुआ है. भारत में गुरुवार एक ऐसा वार है जिसे सभी धर्म के लोग समान रूप से मानते हैं. हालांकि तीन ओर से और भी देश घिरे हुए हैं, जैसे बर्मा, मलेशिया, नॉर्वे, स्वीडन, फिनलैंड, स्पेन, इटली आदि. लेकिन इन देशों के महाशक्ति बनने की कल्पना नहीं की जा सकती और दूसरी बात यह भी है कि नास्त्रेदमस ने आगे चलकर यह स्पष्ट किया है कि वह देश एशिया में है और जिसका नाम सागरों के नाम पर आधारित है अर्थात हिन्द महासागर के नाम पर हिन्दुस्तान.

नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी रहश्य से भरी है. मूल फ़्रांस भाषा में लिखी गई है. जिसका अर्थघटन विविध भाषांतर कारो ने अपने – अपने ढंग से किया है. 

       एक अन्य भविष्यवाणी के अनुसार पूर्व प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी की मृत्यु का संकेत भी नेस्त्रेदमस ने अपनी किताब में दे दिए थे. उन्होंने लिखा था कि राजाज्ञा से एक उत्तम वायु चालक अपना पेशा छोड़कर देश के सर्वोच्च पद पर आसीन हो जाएगा. सात वर्षों तक ख्याति प्राप्त करने के पश्चात उसका ऐसा अंत होगा, जो सबके रोंगटे खड़े कर देगा. (से.6, चतु.75) एक बर्बर सेना का कृत्य वेनिस को आतंकित कर देना. ( वीआई-75 ). कोयले से काली महिला ( उस विस्फोट से ) अचानक गायब हो जाएगी और धीरे धीरे महान लोग क्रुद्ध होते जाएंगे. ( से. 5-65 ). 

भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधीजी के मृत्यु का भविष्य कथन

         भारत की भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधीजी के मृत्यु का भविष्य कथन करते हुए नास्त्रेदमस ने लिखा है कि एक निष्कासित स्त्री फिर सत्तारूढ़ होगी. उसके बैरी उसके विरुद्ध षड्यं‍त्र करेंगे. तीन वर्षों के अपने यादगार कार्यकाल के बाद सत्तर की आयु के लगभग उसकी मृत्यु होगी. (से. 6, चतु. 74) सन् 1977 के आम चुनाव में इंदिराजी की पराजय हुई थी और जनता पार्टी की सरकार बनी थी. किंतु सन 1980 में वे वापस सत्ता में आईं और प्रधानमंत्री बनी थी. जब उनकी हत्या कर दी गई, उस समय उनकी आयु 67 वर्ष की थी. 

        हम जानते है कि श्री संजय गांधी की मृत्यु के पश्चात राजीव गांधी अपनी माता इंदिराजी की सहायता करने हेतु राजनीति में आए. सन् 1984 में इंदिराजी की हत्या के पश्चात वे कांग्रेस के नेता बने, और प्रचंड बहुतमत से जीतकर प्रधान मंत्री बने. 7 वर्ष पश्चात सन् 1991 में उनकी दिल दहला देने वाली निर्मम हत्या की दी गई. हत्या करने वाली वह महिला कोयले से भी काली थी. उसके इस कृत्य से वेनिस अर्थात इटली (सोनिया गांधी इटली से ही है) आतंकित हो गई. इसके बाद कमजोर दल सत्ता पा जाएगा.

          एक दूसरे से अजनबी साम्राज्य के खिलाफ बागवत करेंगे. एक ऊंचे सपने और आजादी के लिए सब कुछ दांव पर लगा देंगे. एक किला आजाद करा लिया जाएगा और हुकूमत देखती रह जाएगी. भारी मारकाट से वह बौखला जायेंगे. (ii-25)..एक नेता अपने देश से दूर किसी पनडुब्बी में छिपकर जाएगा और अलग भाषा व संस्कारों वाले लोगों की मदद से अपने देश के हजारों लोगों को रास्ता दिखाएगा. वह एक युद्ध में भाग लेगा, जिसमें बहुत से मारे जाएंगे.(1-18).

          इस भविष्यवाणी का पहला हिस्सा सन 1857 के स्वतंत्रता संग्राम से है दूसरा हिस्सा व्याख्याकार के अनुसार नेताजी सुभाषचंद्र बोस से जोड़कर देखते हैं. बोस ने ही अपने देश से दूर दूसरे देश जापान और जर्मन में जाकर वहां के शासकों की मदद से भारत को आजाद कराने का सपना देखा था. उन्होंने अपनी आजाद हिंद फौज का निर्माण भी किया था और एक युद्ध में भी भाग लिया था. जापानी सैनिकों के साथ उनकी आजाद हिंद फौज रंगून से होती हुई थल मार्ग से ता : 18 मार्च सन् 1944 के दिन कोहिमा और इम्फाल के भारतीय मैदानी क्षेत्रों में पहुंच गई.

       जापानी वायुसेना से सहायता न मिलने के कारण एक भीषण लड़ाई में भारतीयों और जापानियों की मिली-जुली सेना हार गई और उसे पीछे हटना पड़ा. इसी सेना ने 1943 से 1945 तक शक्तिशाली अंग्रेजों से युद्ध किया था तथा उन्हें भारत को स्वतंत्रता प्रदान कर देने के विषय में सोचने के लिए मजबूर किया था. 

      नेस्त्रेदमस ने एक जगह लिखा था कि एक समय ऐसा आएगा कि जब बे पढ़े लोग पढ़े लिखों की सभ्यता को तबाह कर देंगे और पुस्तकें वगैराह फूक डालेंगे.ऐसा दुर्लभ ज्ञान नष्ट कर दिया जाएगा जिसका अधिकांश भाग वापस नहीं पाया जा सकेगा. (6-17).        इस भविष्यवाणी के अनुसार बर्बर आक्रमणकारियों के हमले में भारत के नालंदा, तक्षशिला और विक्रमशिला के विश्‍व विद्यालय नष्ट हो गए थे. हजारों मंदिरों और महलों को नष्ट कर दिया गया था. यह बात सर्वविदित है कि मुस्लिम आक्रांताओं ने अखंड भारत के आधे हिस्से की हिन्दू और बौद्ध सभ्यता को लगभग नष्ट ही कर दिया है.

       उनकी अगली भविष्यवाणी के अनुसार तीन ओर घिरे समुद्र क्षेत्र में वह जन्म लेगा, जो बृहस्पतिवार को अपना अवकाश दिवस घोषित करेगा. उसकी प्रसंशा और प्रसिद्धि, सत्ता और शक्ति बढ़ती जाएगी और भूमि व समुद्र में उस जैसा शक्तिशाली कोई न होगा. (सेंचुरी 1-50वां सूत्र)

          नेस्त्रेदमस के अनुसार ता : 27 अक्टूबर 2025 को मेष के प्रभाव में तीसरी किस्म की जलवायु आएगी, एशिया का राजा मिस्र का भी सम्राट बनेगा. युद्ध, मौतें, नुकसान और ईसाइयों की शर्म के हालात बनेंगे. (3/77 सेंचुरी).

    एक जलवायु आकाश, धरती और धरती के भीतर जीवों के लिए उपयोगी होती है, दूसरी जलवायु पानी और पानीभरे स्थानों के लिए उपयोगी होती है, लेकिन तीसरी जलवायु तो अंतरिक्ष ही हो सकती है, जहां जीवन पनपना असंभव होगा. माना जा रहा है कि उक्त वर्ष में किसी ऐसे युद्ध की आशंका है जिसके चलते न्यूट्रॉन बम का इस्तेमाल किया जाएगा. इसके व्यापक प्रभाव वाले क्षेत्र में तत्काल ही जीवन समाप्त हो जाएगा. ऐसा कौन करेगा ? एशिया का महान शक्तिशाली नेता.

नास्त्रेदमस की भविष्यवाणियों के जानकार महाराष्ट्र के ज्योतिषाचार्य डॉ. रामचंद्र जोशी ने स्वयं इस पर एक मराठी में पुस्तक लिखी है जिसमें वे नास्त्रेदमस की सेंचुरी का हवाला देते हुए लिखा हैं कि ‘ठहरो स्वर्णयुग (रामराज्य) आ रहा है. एक अधेड़ उम्र का उदार अजोड़ महासत्ता अधिकारी भारत ही नहीं, सारी पृथ्वी पर स्वर्णयुग लाएगा और अपने सनातन धर्म का पुनरुत्थान करके यथार्थ भक्ति मार्ग बताकर सर्वश्रेष्ठ हिन्दू राष्ट्र बनाएगा तत्पश्चात् ब्रह्मदेश, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, तिब्बत, अफगानिस्तान, मलाया आदि देशों में वही सार्वभौम धार्मिक नेता होगा सत्ताधारी चांडाल-चौकड़ियों पर उसकी सत्ता होगी. वह नेता ‘शायरन’ दुनिया की आशा मालूम होता है, बस देखते रहो.’ यह महाराष्‍ट्र के मशहूर ज्‍योतिषी डॉक्‍टर रामचंद्रजी जोशी ने अनुवाद किया है.उनकी अनुवादित किताब में लिखा है कि एक अधेड़ उम्र का व्‍यक्ति जो भारत का प्रतिनिधित्‍व करेगा वह भारत के साथ ही साथ पूरी दुनिया में एक नया अध्‍याय लिखेगा. उसकी अगुवाई में भारत देश दुनिया में महाशक्तिशाली बन जाएगा.

        महान भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस की 950 भविष्यवाणियों में से 18 भविष्यवाणियों का केंद्र तीसरा विश्वयुद्ध था. उन्होंने कहा था कि सन 2009 से सन 2013 तक दुनिया में बड़ी क्रांतियां होंगी. उनका कहना था कि यह अवधि मुसीबतों, निराशा और बुराई से भरी होगी, साथ ही इन सबके बीच आशा और उम्मीद की किरणें भी होंगी. 2009 से 2012 तक के समय की उन्होंने विस्तार से चर्चा की है. इसके बाद ही महान ‘शायरन’ का विश्व पटल पर उदय होगा और धीरे-धीरे वह अपनी ताकत बढ़ाता जाएगा. अंत में होगा वही, जो वह चाहेगा.

     सागरों के नाम वाला धर्म चांद पर निर्भर रहने वालों के मुकाबले तेजी से पनपेगा और उसे भयभीत कर देंगे.चांद पर आधारित धर्म एक ही है इस्लाम और दुनिया में जितने भी सागर हैं उनमें से सिर्फ हिंद महासागर के नाम पर ही एक धर्म है जिसे हिंदू धर्म कहते हैं. आगे के वाक्य की व्याख्या करना कठिन है. लेकिन नास्त्रेदमस ने अपनी और भी भविष्य वाणी में हिंदू धर्म के उत्थान की बात कही है.

           लाल के खिलाफ एकजुट होंगे लोग, लेकिन साजिश और धोखे को नाकाम कर दिया जाएगा. पूरब का वह नेता अपने देश को छोड़कर आएगा, पार करता हुआ इटली के पहाड़ों को और फ्रांस को देखेगा. वह वायु, जल और बर्फ से ऊपर जाकर सभी पर अपने दंड का प्रहार करेगा.

        नूरबरजेन के अनुसार तृतीय विश्वयुद्ध दक्षिण-पश्चिम एशिया में जब पश्चिमी देशों की संयुक्त सेना अभियान शुरू करेगी तो मध्यपूर्वी सैनिक उपनिवेशों के पास गंगा नदी के मुहाने पर और खाड़ी के आसपास संघर्ष होगा. हो सकता है कि पाकिस्तान और चीन मिलकर भारत की सीमा में घुसपैठ कर गंगा नदी के मुहाने तक पहुंच जाएं.

         नास्त्रेदमस ने कोड भाषा में परमाणु बम विस्फोट से तबाही का उल्लेख अपनी किताब में किय था. हिरोशिमा व नागासाकी पर किया गया परमाणु हमला इतिहास का एक मात्र परमाणु हमला है, जिसमें लाखों बेगुनाह लोग मारे गए थे. नास्त्रेदमस ने कहा था आगे चलकर परमाणु बम का भी युद्धोंमें शहरों को तबाह करने के लिए उपयोग किया जाएगा.

         फ्रांस के राजा हेनरी द्वितीय की हादसे में मौत होने के बारे में नास्त्रेदमस ने काफी पहले ही उल्लेख कर दिया था. हेनरी ने अपने जीवन के अंतिम दस साल काफी दिक्कतों के साथ गुजारे थे. हेनरी द्वितीय अपने अंतिम दिनों में बिस्तर से भी उठ नहीं पाए था.

        नास्त्रेदमस ने अपनी किताब में कोड भाषा में हिटलर के उदय का भी उल्लेख किया था. हिटलर का जन्म 1889 को पश्चिमी यूरोप में हुआ था. एक सामान्य परिवार में जन्म लेने वाला हिटलर अपनी वाकपटुता के कारण जर्मनी का बड़ा नेता बन गया. आगे चलकर हिटलर की महत्वाकाक्षांओं के कारण भी द्वितीय विश्वयुद्ध छिड़ गया.

        लंदन के पुडिंग लेन क्षेत्र में ता : 2 सितंबर 1966 को एक चिंगारी से शुरू हुई आग ने 3 दिनों के अंदर पूरे शहर को अपनी चपेट में ले लिया था. इस आग की वजह से 80 हज़ार से भी ज़्यादा लोग बेघर हो गए थे. नास्त्रेदमस की कविताओं में इसका भी ज़िक्र मिलता है.

           वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले की भविष्यवाणी भी नास्त्रेदमस ने अपनी किताब में पहलेसे की थी. इस हमले में आतंकवादियों ने दो विमानों को हाईजेक करके ट्विन टावर को गिरा दिया था. विमानों में बैठा एक भी यात्री जीवित नहीं बच पाया था.

    नास्त्रेदमस ने अपनी किताब में अमेरिकी के राष्ट्रपति की हत्या का भी उल्लेख किया था. उल्लेखनीय है कि 22 नवंबर 1963 को अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी की हत्या कर दी गई थी. उन्हें लंबे अरसे से कई धमकियां भी मिल रही थी. उसके बाद बॉबी कैनेडी की भी हत्या कर दी गई, जिसके बारे में भी नास्त्रेदमस ने संकेत दिया था.

      नास्त्रेदमस ने फ्रांस में नेपोलियन बोनापार्ट के उदय का भी उल्लेख किया था. नेपोलियन के उदय ने फ्रांस की दशा और दिशा बदल दी.नास्त्रेदमस की इस सांकेतिक भविष्य वाणी ने मानव इतिहास प्रभावित किया. नास्त्रेदमसकी भविष्य वाणी में पोप पियुस के बारे में भी सटीक जानकारी मिलती है, जिसे नेपोलियनने मौत की सजा सुनाई थी.

         चंद्रमा पर मानव के कदम पड़ना मानव इतिहास की सबसे बड़ी घटनाओं में से एक है. इस घटना के बारे में भी नास्त्रेदमस पहले ही उल्लेख कर चुके थे. अमेरिकन लूनर लैंडिंग क्राफ्ट को नास्त्रेदमस ने कोड भाषा में ईगल कहा था. नास्त्रेदमस की कविता में भी ईगल के बारे में जिक्र किया है.

          तीन बार फ्रांस की बागडोर संभालने वाले ख्यात नेता चार्ल्स डी गौले के बारे में भी नास्त्रेदमस ने उल्लेख किया था. प्रधानमंत्री रहने के अलावा चार्ल्स फिफ्थ फ्रेंच रिपब्लिक के अध्यक्ष भी रहे. फ्रांस में इनका कार्यकाल ऐतिहासिक रहा है.

          मशहूर वैज्ञानिक और फ्रांस के माइक्रोबायोलॉजिस्ट लुई पाश्चर का जन्म सन 1822 में हुआ था. उन्होंने दुनिया को एंथ्रेक्स और रैबीज जैसी बीमारियों से निजात दिलाने के लिए इनके टीके विकसित किया था. नास्त्रेदमस इसका भी अपनी कविताओं में उल्लेख कर चुके थे.  सन् 1566 में नास्त्रेदमस की मृत्यु हुई थी.

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