आतंकवाद निरोधक दस्ता ( ATS )

ATS

ATS ( ANTI – TERRORISM SQUAD ) का हिंदी में फुल फॉर्म आतंकवाद निरोधक दस्ता होता है.ये कई राज्यों में एक विशेष पुलिस बल है. ये महाराष्ट्र , केरल , गुजरात , उत्तर प्रदेश, बिहार , राजस्थान, और पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों में कार्यरत है. इसका नेतृत्व भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी करते हैं. 

         इसका मकसद लोगों को आतंकवाद के समाज विरोधी कृत्य से अवगत कराना है. आजतक दस्ते ने देश में होने वाले कई आतंकवादी हमलों को रोका है. तारिख : 21 मई को पुरे देश भर में आंतकवाद विरोधी दिवस मनाया जाता है. 

      तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की ता : 21 मई 1991 के दिन हत्या कर दी गई थी. उनकी हत्या के बाद ही 21 मई को आतंकवाद विरोधी दिवस के रुप में मनाने का फैसला किया गया था. इस दिन हर सरकारी कार्यालयों, सरकारी उपक्रमों और अन्य सरकारी संस्थानों में आतंकवाद विरोधी शपथ दिलाई जाती है.

        आतंकवाद विरोधी दिवस मनाने का मकसद है देशमें 

शांति और मानवता का संदेश फैलाना, लोगोंके बिच एकता बढ़ाना, युवा वर्ग को शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करना ताकि वे आतंकी गुटों में शामिल न हों, देश में आतंकवाद, हिंसा के खतरे और उनके समाज, लोगों और पूरे देश पर खतरनाक पड़ने वाली असर के बारे में जागरूकता लाना , आतंकी गुटों कैसे आतंकी हमलों को अंजाम देने की योजना बनाते हैं, उसके बारे में लोगों के बीच जागरूकता निर्माण करना आदि प्रमुख है. 

         एटीएस की स्थापना दिसंबर 1990 में महाराष्ट्र में हुई थी, तब मुंबई पुलिस के अतिरिक्त आयुक्त आफताब अहमद खान को इसकी जिम्मेदारी सोपी थी. जो ए.ए. खान के नाम से जाना जाता था. खान लॉस एंजिल्स पुलिस विभाग के विशेष प्रकार के हथियारों और रणनीतिका विशेषज्ञ था.और आतंकवाद से निपटने के लिए सक्षम था. 

       सन 1991 में ए.टी.एस. के गठन के बाद से ए.टी.एस. के अधिकारियों ने 23 वीरता पुरस्कार जीते हैं. मुंबई एटीएस 26 नवंबर 2008 को मुंबई , महाराष्ट्र में 5 सितारा होटल ताज और ओबेरॉय हादसे सहित कई स्थानों पर बंधक बचाव अभियान में शामिल थी. 

       हमलों के बाद, इसने विशेष रूप से मुंबई में एटीसी के अधिकारियों के रूप में बच्चों (12 वर्ष से अधिक उम्र) को नियुक्त करना शुरू किया था जिन्हें अंडरकवर के रूप में प्रशिक्षण दिया गया था.

      एटीएस का गठन दिसंबर 1990 में हुआ था और मुंबई में अपराध दर को 70 % तक कम करने में मदद की थी. पुलिस आयुक्त ए.ए.खान को ता :29 जनवरी को नागपुर में आईसीपी एंटी नक्सली डिवीजन के रूप में स्थानांतरित कर दिया था. 

          महाराष्ट्र एटीएस के घोषित उद्देश्य के अनुसार राज्य के किसी भी हिस्से में काम करने वाले राष्ट्र-विरोधी तत्वों के बारे में जानकारी हासिल करना, आईबी. और रॉ जैसी केंद्रीय सूचना एजेंसियों के साथ समन्वय रखकर उनके साथ सूचना ओंका आदान-प्रदान करना, अन्य राज्यों की समान एजेंसियों के साथ समन्वय करना, माफिया और अन्य संगठित अपराध सिंडिकेट की गतिविधियों को ट्रैक और खत्म करने के लिए

नकली नोटों के रैकेट का पता लगाने और नशीले पदार्थों की तस्करी को रोकना प्रमुख है. 

           भारत में कई राज्यों ने अपने संबंधित पुलिस बलों में एटीएस इकाइयाँ बनाई हैं, जिनमें शामिल हैं: महाराष्ट्र, केरल, 

अहमदाबाद , गुजरात , लखनऊ , उत्तर प्रदेश, राजस्थान, 

बिहार, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल आदि सामिल है. 

       ता : 16 नवंबर 1991 में लोखंडवाला में एटीएस चीफ, एए खान के नेतृत्व में सात बदमाशों को खत्म करते हुए लोखंडवाला में स्वाति भवन में अधिकारियों की एक टीम ने 4 घंटे तक गोलीबारी करके करीब 450 से अधिक राउंड फायर किए थे. 

      नवंबर 2008 के मुंबई हमले में पूर्व एटीएस चीफ हेमंत करकरे, तथा अतिरिक्त आयुक्त अशोक कामटे और मुठभेड़ विशेषज्ञ विजय सालस्कर आतंकवादियों से लड़ते 26 नवंबर 2008 के दिन शहीद हुए थे. जो इतिहास का काला दिन था. 

       आतंकवादियों ने मुंबई के कई विरासत स्थानों, जैसे कि ताज महल पैलेस होटल और ओबेरॉय और ट्रिडेंट, नरीमन पॉइंट होटल में धावा बोल दिया था. यहां आतंकवादियों ने 26 विदेशी नागरिक सहित 166 लोगों को मार डाला था, कम से कम 327 घायल हुए थे, और 15 लोगों को बंधक बना लिया था. आतंकवादी ओके साथ सुरक्षा बलों की 60 घंटे तक मुठभेड़ चली थी. 

        सभी पाकिस्तानी आतंकवादी कराची से नाव के रास्ते मुंबई में घुसे थे. इस नाव पर चार भारतीय सवार थे, जिन्हें किनारे तक पहुंचते ही ख़त्म कर दिया गया था. रात के करीब आठ बजे थे, जब ये हमलावर कोलाबा के पास कफ़ परेड के मछली बाजार पर उतरे थे. वहां से वे चार ग्रुपों में बंट गए थे और वारदात को अंजाम दिया था. 

       उल्लेखनीय है की 1982 बैच के आईपीएस अधिकारी करकरे ऑस्ट्रिया में भारत की बाहरी खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग के साथ सात साल के कार्यकाल के बाद अपने राज्य कैडर में लौट आए थे.

      एटीएस एजेंटों ने नोएडा में यूपी नंबर-प्लेट वाली मारुति 800 कार का पीछा करने के दौरान,आतंकवादियों ने जवाबी कार्रवाई करने वाले पुलिस अधिकारियों पर गोली चला दी थी. 38 मिनट तक भीषण बंदूक की लड़ाई में अधिकारी श्री विनोद कुमार को गोलाबारी के दौरान एक गोली लगी थी. इसमे दोनों आतंकवादियों की मौत हुई थी. 

        जवान सीमा पर दुश्मनों से लड़कर हमारी रक्षा करते है और हमारे ATS के बहादुर जवान देशके अंदर छुपे देशद्रोही आंतकवादी से लड़कर हमारी रक्षा करते है. इसके अलावा ATS हमें आतंकवादी द्वारा किये जाने वाले समाज विरोधी कृत्य से अवगत कराता है. ATS कर्मचारियों को सैलूट.   

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