मनुष्य का दुश्मन “गुस्सा”

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क्रोध एक अभिव्यक्ति है. जो हर मनुष्य के भीतर विद्यमान है. जिसका आँखों से, मुहसे तथा चेहरे के शारीरिक हाव – भाव ( body Language ) से पता चलता है. स्पर्श , प्यार, सुख , दुःख, हर्ष, तथा दया ये सब महसूस करने की चीज है. ये एक भावना, अनुभूति का विषय है. 

         क्रोध आनेपर मनुष्य अपने मस्तिक का संतुलन खो बैठता है. किसीको भी अनाप सनाप बोल देता है. और अपने ही चक्रव्यूह मे फस जाता है. क्रोध आनेपर व्यक्ति को कुछ समय तक चुप बैठ जाना चाहिए ताकि क्रोध शांत हो जाय. 

       क्रोध मे मनुष्य कुछ भी कर सकता है. वो किसीकी जान तक लेनेसे परहेज नहीं करता. बाद मे किये पर पछताते रहता है. क्रोध बुरी बला है. जो इंसान को पतन की ओर लेके जाती है. इससे दूर रहना ही उचित है. 

       ऋषि दुर्वासा शिव जी का बहुत बडा भक्त था. दुर्वाशा अपने अत्याधिक क्रोध के कारण बदनाम है. क्रोधित होने पर दुर्वाशा किसी को भी श्राप दे देते थे. दुर्वाशा ने तप के जरिये जितनी भी शक्ति प्राप्त की, वह सब क्रोध तथा श्राप देने के कारण ही नष्ट हो गई थी. 

        हमें गुस्सा क्यों आता है ? जब हमारे मन के मुताबिक कोई काम नहीं होता. कोई बीना वजह हमें छेड़ दे. कोई हमें धोका दे या हमारे कोई कार्य मे टांग अड़ाए तो हमें गुस्सा आता है. जब भी हमारे आसपास कोई ऐसी घटना होती है, जिससे हम सहमत नहीं होते तब भी गुस्सा आता है. 

      गुस्सा करने से ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है, आँखे लाल हो जाती है. और गुस्सा अनेकों बीमारी को साथ लेकर आता है. गुस्सा दिल दिमाग पर असर करता है. कई लोग गुस्सा शांत करने के लिए पानी पीते है. और ये सबसे सरल तरीका है. 

      गुस्सा शांत करने के लिए हमें शारीरिक व्यायाम करना चाहिए. पैदल चलना चाहिए. यदि गुस्सा आये तो कुछ समय तक हमें एकांत मे शांत बैठ जाना चाहिए. गुस्सा का अक्सीर इलाज समय है. कुछ समय शांत रहो, गुस्सा अपने आप ठंडा हो जाएगा. 

          कई लोग ऐसे भी देखे जाते है जो अतियंत गुस्सा आनेपर अपने हाथ या पैर पर घाव कर देते है. अपना माथा पछाड़ते है. कोई कोई लोग गुस्सा आने पर खुद कांपने लगते है. तो कई लोग रोने लग जाते है. 

      अमेरिका ने गुस्से की वजह ही जापान के हिरोशिमा और नागाशाकी के उपर परमाणु बम्ब दागे थे. मित्रों, गुस्से मे लोग क्या से क्या कर बैठते है. इसीलिए आज की यह पोस्ट का समापन एक,” नेवला और किसान ब्राह्मण ” की ” पंचतंत्र ” की कहानी से करना चाहूंगा. 

       एक गांव में एक किसान ब्राह्मण अपनी पत्नी के साथ रहता था. उन दोनों की कोई संतान नहीं थी. मगर कुछ वर्षों के बाद उनके घर एक बच्चे का जन्म हुआ. एक बार ब्राह्मण की पत्नी को एक नेवले का बच्चा मिला. वो उसे घर लाई. उसने नेवले के बच्चे को भी अपने बच्चे के साथ पालना शुरु किया. नेवले का बच्चा भी उससे खेलकर खुश होने लगा.  

        एक दिन की बात है. किसान ब्राह्मण अपने काम के लिए बाहर गया था. किसान की पत्नी भी अपने बच्चे को घर में अकेला छोड़कर अपने काम से बाहर चली गई.

       उस दिन उनके घर में एक जहरीला सांप घुस गया. उस वक्त ब्राह्मण किसान का बच्चा गहरी नींद मे सो रहा था. उधर सांप तेजी से उस बच्चे की ओर आगे बढ़ने लगा. पास में ही नेवला भी था. जैसे नेवले ने सांप को देखा, तो वो सावधान हो गया. नेवला तेजी से सांप की तरफ बढ़ा. दोनों के बीच धमासान लड़ाई हुई. 

        आखिरकार नेवले ने सांप को मारकर बच्चे की जान बचा ली. सांप को मारने के बाद नेवला आराम से घर के आंगन में बैठ गया. ब्राह्मण की पत्नी घर आयी तो उसने नेवले के मुंह मे खून देखा. ब्राह्मण पत्नी ने सोचा की जरूर नेवला उसके बच्चे को खा गया होगा. 

      उसको गुस्सा आया. और नेवले को लाठी से पिट पीट कर मार डाला. नेवले को मारने के बाद वो घर के अंदर दौड़ी. देखा तो बच्चा खेल रहा था. उसने देखा तो घर मे एक जहरीला सांप मरके पडा है. ब्राह्मण पत्नी को समजने मे देर नहीं लगी. वो समझ गई की बच्चे को बचाने के लिए नेवले ने सांप को मार डाला था. वो कूट कूटकर रोने लगी. 

          दरम्यान किसान भी घर लोटा और कहानी सुनकर दुःखी हुआ. किसी को बिना सोचे समझे गुस्से में आकर ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए. 

     ——=== शिवसर्जन ===——

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