पुराने भाईंदर गांव की बीती हुई यादे| Part – XX

सन 1962 की साल में भाईन्दर ग्रुप ग्राम पंचायत से नवघर,गोड़देव , खारीगाँव , बंदर वाड़ी गावों को अलग करके यहां भाईन्दर पूर्व में ” नवघर ग्रुप ग्राम पंचायत ” की विधिवत स्थापना की गयी.

सन 1936 मे भाईंदर पूर्व खारीगांव की जनसंख्या सिर्फ 200 लोगोंकी थी और पुरे भाईंदर क्षेत्र की बस्ती करीब 5000 की थी. सन 1961 आते आते यहां की जनसंख्या करीब 9500 तक पहुंच गई. तब तक लोग तालाब और बाबड़ी-कुए का पानी पीते थे. हर गांव मे तालाब और कुए थे.

सन 1981 की जनगणना के आधार पर भाईंदर पूर्व पश्चिम की बस्ती 35121 हो गई. उसके बाद यहां बस्ती विस्फोट हुआ. और दिन दुगुना रात चौगुना जनसंख्या बढ़ने लगी. बढ़ती जनसंख्या को देखते पानी समस्या विकट रूप धारण करने लगी तो दूसरी ओर ट्रेनों मे भीड़ बढ़ती गयी, फलस्वरुप परेशान लोगोने यहां पानी आंदोलन और रेल आंदोलन का सहारा लिया. अनेक आंदोलन हुये.

जन गणना के आधार पर सन 1991 मे मीरा भाईंदर की जनसंख्या 175372 हो गई. जो बढ़कर 2001 मे करीब 520000 तक पहुंच गई. सन 2011 मे हुयी जनगणना अनुसार मीरा भाईंदर की जनसंख्या 809378 तक पहुंच गई. जिसमे पुरुष 429260 और महिला 380118 थी. वर्तमान 2022 मे आज मीरा भाईंदर पालिका क्षेत्र की जनसंख्या 15 लाख से अधिक होने का अनुमान किया जा हे.

(1) ” संघर्ष सेवा समिति का रेल रोको आंदोलन “.

अस्सी के दशक मे भाईंदर की जनसंख्या तेजीसे दिन दुगुना रात चैगुना बढ़ रही थी. भाईंदर पूर्व खारीगांव मे अनेक इंडस्ट्रियल गाले बनाये जा रहे थे. लोग दूर दूर से रोजगार की तलाश मे यहाँ आने लगे. रहनेकी सुविधा थी नहीं अतः ट्रैन से डेली उप डाउन करने लगे , फलस्वरूप यहाँ लोकल ट्रैन मे भीड़ बढ़ने लगी.

महिला , बुजुर्गो, बच्चे, विकलांग की परेशानी को देखते श्री पुरुषोत्तम ” लाल ” चतुर्वेदी के मार्गदर्शन मे संघर्ष सेवा समिति की विधिवत स्थापना की गई. समाजसेवी श्री गौतम जैन जी को संस्था का अध्यक्ष चुना गया.

पत्र व्यवहार करके थक चुके. आखिरकार श्री गौतम जैन के नेतृत्व मे भाईंदर पूर्व के रेलवे परिसर मे आमरण उपोषण का कार्यक्रम बनाया गया.

श्री पुरुषोत्तम “लाल” चतुर्वेदी, ऊर्फ ” गुरूजी ” जन सैलाब को संबोधित करके रेल यात्री ओको एकजुट करने मे लगे हुए थे.

वो जमाना प्रिंट मिडिया का था. मुंबई दूरदर्शन प्रारंभिक अवस्था मे था. पत्रकार श्री एस एस राजू इंडियन एक्सप्रेस , मिडडे , नवभारत टाइम्स के साथ सतत संपर्क मे थे.

भाईंदर ब्लाक युवा कांग्रेस के तत्कालीन महा सचिव श्री सुभाष मिश्राजी और उनके साथीओ की भूमिका भी सक्रिय और प्रशंसनीय रही थी. ये एक जनता का, जनता द्वारा जनता के लिये, संघर्ष सेवा समिति की छत्र छाया मे चलाया जा रहा निष्पक्ष जन आंदोलन था.

दरम्यान त्रस्त जनता द्वारा भाईंदर के इतिहास मे पहेली बार राजधानी को रोका गया. जिसकी न्यूज़ बी बी सी पर दिखाई गई. प्रशासन की नींद हराम हो गयी. भीड़ को काबूमें पाने के लिये रेल सुरक्षा दल के जवानों ने ता : 5 फरवरी 1985 के दिन बर्बरता पूर्वक जनता पर गोली चलाई गई जिसमे 7 निर्दोष लोगोकी जान चली गयी थी.

मुजे भी इस आंदोलन को साक्षात् देखनेका मौका मिला था.

आज स्वयं संचालित दादर बने, सीनियर सिटीजन और अपंगो के लिये प्लेटफार्म नम्बर 6 उत्तरी छोर पर लिफ्ट की सुविधा चालू की गयी हे. मगर इसके पिछेका रेल रोको का आंदोलन का इतिहास संघर्ष पूर्ण रहा हे.

संघर्ष सेवा समिति के प्रयत्नों से भाईंदर पूर्व जहां बी पी रोड, केबिन रोड, और स्टेशन रोड का संगम होता हे वहां जान गवाने वाले निर्दोष लोगोकी यादगिरीमे, उन्हें श्रद्धांजलि देने, रोड के किनारे शहीद समारक बनाया गया हे जो आज भी मौजूद हे.

हर साल 5 फरवरी के दिन संघर्ष समिति के अध्यक्ष श्री गौतम जैन और उनके साथीओ द्वारा शहीदो को याद करके श्रद्धांजलि देने स्मारक स्थान को पुष्पों से सुशोभित किया जाता हे.

(2) भाईंदर मे पुलिस का आगमन से आज तक.

आपको जानकर ताज्जुब होगा कि , सन 1930 तक मीरा भाईंदर क्षेत्र मे एक भी पुलिस कर्मी तैनात नहीं था. जब ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों पर लगाये गये नमक कर के विरोध मे महात्मा गांधीजी ने देश भर मे नमक सत्याग्रह किया था, तब भाईंदर के देश प्रेमी अनेक लोगों ने भी सक्रिय भाग लिया था.

तबसे यहां पुलिस का आना जाना शरू हुआ. उसके बाद सन 1936 मे यहां पर सिर्फ एक पुलिस सिपाई की नियुक्ति की गईं. तब भाईंदर की जन संख्या करीब 5000 की थी. आजादी की लड़ाई के समय लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जी , पूर्व प्रधान मंत्री मोरारजी देसाई तथा श्री सुभाष चंद्र बोस , सरदार वल्लभ भाई पटेल जैसे महान पुरुष भाईंदर पधार चुके थे.

( श्री मोरारजी के रिस्तेदार )

यहां पर उल्लेखनीय है कि भाईंदर के सबसे धनी और नमक व्यापारी ओमे सबसे प्रथम नाम श्री गोवर्धन केशव जी डोसा का लिया जाता है,जो पूर्व प्रधान मंत्री स्व: श्री मोरारजी भाई देसाई के रिस्ते मे मामा लगते थे. अतः यहां उनके घर पर हैदराबाद वाले बंगले मे अनेक राजनीतिक के जाने माने लोगों का आना जाना रहता था.

1945 के करीब भाईंदर (पश्चिम) मे दो कमरे का पुलिस स्टेशन बना जो वर्तमान भाईंदर पश्चिम पुलिस स्टेशन की पूर्व दिशा मे आज भी मौजूद है. इससे पहले अंग्रेजो के खिलाफ सन 1942 मे हुए ” क्विट इंडिया ” भारत छोड़ो अभियान मे भाईंदर के कई लोगोने हिस्सा लिया था.

सन 1961 के दशक के प्रारंभ मे यहां पर ग्राम पंचायत की हकूमत थी. जन संख्या करीब 9500 की रही होंगी. भारत देश की प्रथम जन गणना सन 1964 मे की गईं थी. उसके बाद सन 1981 की जन गणना के अनुसार भाईंदर की जन संख्या 35121 की हो गयी थी.

तारीख : 7 जुलाई 1988 को भाईंदर पश्चिम के नये पुलिस स्टेशन ईमारत का उद्घाटन महाराष्ट्र पुलिस महा निदेशक श्री सत्येंद्र प्रसन्न सिंह के हस्तो द्वारा किया गया था.

तारीख : 10 अगस्त 1990 के दिन थाने ग्रामीण पुलिस अधीक्षक श्री आर टी राठौड़ ने यातायात की समस्या को सरल करने के उद्देश्य से बालाराम पाटील रोड को एक दिशा मार्गी किया था. मगर यह उपाय कारगर नहीं हुआ. उसके बाद ता : 9 सितम्बर 1994 मे भाईंदर पूर्व मे स्टेशन के सामने लकड़े की पुलिस चौकी का उद्घाटन हुआ था. वो भी ऑक्ट्रॉय बूथ के साथ सलग्न थी अतः ऑक्ट्रॉय बंद होते ही उसको भी बंद कर दीया गया.

साठ और सत्तर के दशक की बात करें तो तब मीरा भाईंदर क्षेत्र मे एक मात्र पुलिस स्टेशन भाईंदर ( प) मे विद्यमान था. तब पुलिस कर्मचारी ओका पगार कम होनेकी वजह से मजबूरन उनको रिश्वत का सहारा लेना पड़ता था. उस समय यहां पर गावठी दारु और वरली मटके का जमाना था. और यहीं पुलिस की दो नंबरी कमाई का मुख्य श्रोत था.

तब डोंगरी, राई , मोरवा , भाईंदर खाड़ी किनारे के मेंग्रोव के जंगल की आड़ मे दारु बनाने की अनेकों हाथ भठ्ठी कार्यरत थी. भाईंदर का बनाया दारु सुबह 3:45 की पहली ट्रैन से बोरीवली होकर पुरे मुंबई को पहुंचाया जाता था.

तब स्थानीय टपोरी – गुंडों का राज चलता था. पुलिस भी उनसे दबकर रहती थी. कभी कोई थाना एस पी कार्यालय मे तक्रार करता था तो थाना से स्पेशल पुलिस बुलाई जाती थी. मगर हाथ भठ्ठी चलाने वाले कोई पकड़ा नहीं जाता था. अर्थात भाग जाते थे और मुद्दा माल को भाईंदर पुलिस स्टेशन मे लाकर नष्ट किया जाता था.

वैसे गावठी दारु सड़ा हुआ गुड़ से बनाई जाती है. मगर कई बार काजू , फणस , संतरा , आदि फल से भी दारु बनाई जाती है.वर्तमान गावठी दारु मिलना बंद के बराबर है.अब तो पुलिस खुद दारु बंदी के लिये हर जगह सख्त अभियान चला रही है.

भाईंदर पश्चिम स्थित राई , मोरवा गांव मे दत्तू भाई की भठ्ठिया ज्यादा चलती थी. पुलिस को भी जंगल मे जानेका डर रहता था. आज पुलिस अप डेट हो गईं है और ड्रोन के माध्यम से रात को भी नजर रखी जाती है.

नब्बे के दशक मे मीरा भाईंदर, काशीमीरा, घोड़बंदर पुलिस स्टेशन डिप्टी सुप्रिडेंट ऑफ पुलिस ( DYSP) वसई के अंडर मे काम करते थे, जिसकी ऑफिस वसई पश्चिम स्टेशन के बिलकुल नजदीक थी. आज भाईंदर मे है.

जन संख्या का विस्फोट होते गया, और गुनाहो मे वृद्धि हुयी , ट्रैफ़िक समस्या जटिल बनी, साइबर गुनाह मे बढ़ोतरी हुई इसके साथ नवघर पुलिस चौकी का पुलिस स्टेशन के रुप मे परिवर्तित हुआ. कनकिया पुलिस स्टेशन , काशीमीरा पुलिस स्टेशन, उत्तन सागरी पुलिस स्टेशन, नया नगर पुलिस स्टेशन तथा डोंगरी पुलिस चौकी , भूत बांग्ला पुलिस चौकी, चौका पुलिस चौकी,मैक्सेस मोल के सामने की पुलिस चौकी, केबिन रोड पुलिस चौकी आदि पुलिस स्टेशन और अनेक चौकीयों का निर्माण हुआ.

आज जनसंख्या बढनेसे पुलिस संख्या मे बढ़ोतरी करनेका जरुरी हो गया है. आज मीरा भाईंदर क्षेत्र मे करीब 600 से अधिक पुलिस कर्मी सेवा कार्य कर रहे है.

पुलिस विभाग को शहर की ट्रैफ़िक समस्या , सुरक्षा, आर टी आई अन्वेषण, पास पोर्ट , गुनाह, 24 घंटे खुला रहने वाला थाने अमलदार कक्ष , ( तक्रार कक्ष ) मोबाइल साइबर गुनाह , बंदोबस्त , किरायेदार को पुलिस द्वारा एन.ओ.सी. जैसे अनेक विध काम देखने पड़ते है. श्री गणपति विसर्जन , श्री नवरात्रि महोत्सव, दीपावली, होली क्रिसमस, ईद, 31 दिसंबर और चुनाव के समय काम बढ़ जाता है.

——=== शिवसर्जन ===——

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