पुराने भाईंदर गांव की बीती हुई यादे | Part -XVI – संघर्ष सेवा समिति | Sangarsh Seva Samiti

Part XVI संघर्ष सेवा समिति Sangarsh Seva Samiti

संघर्ष सेवा समिति नाम सुनकर आपको अजीबसा महसूस हो रहा होगा ! मगर जो सन 1984 से यहाँ पर वास्तव्य कर रहे हे, उनके लिये यह नाम बिलकुल नया नही है .अस्सी के दशक मे भाईंदर की जनसंख्या तेजीसे दिन दुगुना रात चैगुना बढ़ रही थी. भाईंदर पूर्व खारीगांव मे अनेक नये इंडस्ट्रियल गाले बनाये जा रहे थे. लोग दूर दूर से रोजगार की तलाश मे यहाँ आने लगे. रहनेकी सुविधा थी नहीं अतः लोग ट्रैन से डेली उप डाउन करने लगे , फलस्वरूप यहाँ लोकल ट्रैन मे काफ़ी भीड़ बढ़ने लगी.

महिला , बुजुर्गो, बच्चे, विकलांग की परेशानी को देखते श्री पुरुषोत्तम ” लाल ” चतुर्वेदी के मार्गदर्शन मे संघर्ष सेवा समिति की विधिवत स्थापना की गई. समाजसेवी श्री गौतम जैन जी को संस्था का अध्यक्ष चुना गया.

पत्र व्यहवार कामयाब नहीं हुआ तो श्री गौतम जैन के नेतृत्व मे प्रवासियों ने भाईंदर पूर्व के रेलवे परिसर मे खुले मे बैठकर आमरण उपोषण का कार्यक्रम बनाया गया.

श्री पुरुषोत्तम लाल चतुर्वेदी जी ” गुरूजी ” जन सैलाब को संबोधित करके रेल यात्री ओको एकजुट करने मे लगे थे. ताकी रेल समस्या का समाधान हो सके.

वो जमाना प्रिंट मिडिया का था. मुंबई दूरदर्शन प्रारंभिक अवस्था मे था. पत्रकार श्री एस एस राजू जी इंडियन एक्सप्रेस, मिडडे, नवभारत टाइम्स के साथ सतत संपर्क मे थे.

भाईंदर ब्लाक युवा कांग्रेस के तत्कालीन युवा महा सचिव श्री सुभाष मिश्राजी और उनके साथीओ की भूमिका भी सक्रिय और प्रशंसनीय रही थी. ये एक जनता का, जनता द्वारा जनता के लिये, संघर्ष सेवा समिति की छत्र छाया मे चलाया जा रहा निष्पक्ष आंदोलन था.

दरम्यान त्रस्त जनता द्वारा भाईंदर के इतिहास मे पहेली बार राजधानी को रोका गया. जिसकी न्यूज़ बी बी सी पर दिखाई गई. प्रशासन की नींद हराम हो गयी. भीड़ को काबूमें पाने के लिये रेल सुरक्षा दल ने 5 फरवरी 1985 के दिन बर्बरता पूर्वक जनता पर गोली चलाई गई जिसमे सात निर्दोष लोगोकी जान चली गयी.

उसके बाद रेलवे ने दो तीन ट्रैन तो बढ़ाई मगर ऊंट के मुँह मे जीरा साबित हुई. रेल प्रशासन जागृत हुआ और रेल सेवा मे सुधार तो हुआ मगर बढ़ती रेल यात्री संख्या की वजह आज भी लोग परेशान हे. इस रेल आंदोलन को मुझे साक्षात् देखनेका मौका मिला था.

आज स्वयं संचालित दादर बने, सीनियर सिटीजन और अपंगो के लिये प्लेटफार्म नम्बर 6 उत्तरी छोर पर लिफ्ट की सुविधा चालू की गयी हे. मगर इसके पिछेका संघर्ष सेवा समिति का रेल रोको आंदोलन का इतिहास संघर्ष पूर्ण रहा हे.

संघर्ष सेवा समिति के प्रयत्नों से भाईंदर पूर्व जहां बी पी रोड, केबिन रोड, और स्टेशन रोड का संगम होता हे वहां जान गवाने वाले निर्दोष लोगोकी यादगिरीमे, उन्हें श्रद्धांजलि देने, रोड के किनारे शहीद समारक बनाया गया हे जो आज भी मौजूद हे.

हर साल 5 फरवरी के दिन संघर्ष समिति के अध्यक्ष श्री गौतम जैन और सदस्यों द्वारा शहीदो को याद करके श्रद्धांजलि देने स्मारक स्थान को पुष्पों से सुशोभित किया जाता हे.

आज भाईंदर आपको विकसित दिख रहा हे उसके पीछे अनेको सामाजिक और राजकीय संस्था. जागृत पत्रकार, यहांकी जागरुक जनता का बड़ा सहरानीय योगदान रहा हे.

पानी के लिये कई जन आंदोलन हुए हे, जिसपर आगे मे अवश्य आपको जानकारी दूंगा.

——=== शिवसर्जन ===——

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