पुराने भाईंदर गांव की बीती हुई यादे | Part -XVII -” एक मत ट्रस्ट ” (रजि.) Ek Mat Trust.

Part XVI संघर्ष सेवा समिति Sangarsh Seva Samiti 1

भाईंदर से प्रकाशित हिंदी समाचार साप्ताहिक ” भाईंदर भूमि ” का ऐतिहासिक उपक्रम , ” एक मत ट्रस्ट ” संस्थापक श्री पुरुषोत्तम लाल चतुर्वेदी ” गुरुजी ” का एक महत्व आकांक्षी मिशन है.

एकमत ट्रस्ट के संस्थापक विश्वस्थ मंडल ( ट्रस्ट ) मे सर्वश्री वैद्य बृजेश शुक्ल , श्री महेंद्र सिंह चौहान , श्रीमती प्रतिभा रिषिकांत चतुर्वेदी , श्री राज कुमार सरावगी , मोरेश्वर नारायण पाटील, श्री पुरुषोत्तम “लाल ” चतुर्वेदी , श्री सदाशिव माछी थे. जबकि शहर के अनेक सहयोगी व समाज सेवियो का कार्यक्रम को सफल बनाने मे विशेष योगदान रहता था.

विश्व का कल्याण , पर्यावरण की रक्षा हेतु , आपसी सदभावना , धार्मिक परंपरा की रक्षा , भाईंदर का सर्वांगी विकास , भाईंदर शहर के सामाजिक , राजकीय , धार्मिक , सांस्कृतिक संस्थान को एक सशक्त मंच उपलब्ध कराने, जनता मे आपसी भाईचारा के उद्देश्य से सन 2003 मे ” एक मत ट्रस्ट ” की स्थापना की गईं.

भाईंदर पूर्व जेसल पार्क चौपाटी , खाड़ी किनारे अरबी समुद्र की साक्षी मे प्रथम यज्ञ का पारंभ किया जहां आज प्रियदर्शनी पार्क बना हुआ है.

पहले दिन की शोभायात्रा से लेकर पूर्णाहुती तक कार्यक्रम बहुत सुंदर चला. जिसमे अनेक महिला ओ सह शहर के अनेक गणमान्य नागरिकों ने उत्साह से भाग लिया.

इस्कॉन की कीर्तन मण्डली, श्री वीरेंद्र महाराज का योग पर दैनिक प्रवचन, यज्ञ पुरोहित व यजमानों के अनुष्ठान, माँ का भण्डारा व जागरण महान संत श्री रत्तीनाथ जी महाराज के सानिध्य में हुआ. अंत में शहर के प्रबुद्ध कवि व प्रसिद्ध साहित्यकारों के सहयोग से ” कवि सम्मेलन ” का सफल आयोजन हुआ. जिसमे शहर के अनेक भाविक भक्तो ने उत्साह से भाग लेकर सहकार किया.

पहले साल यज्ञ की पूर्णाहुति पर सायंकाल अभूतपूर्व भंडारा हुआ था. पहेली पंगत मे हजारों भाविक भक्त जन, प्रसाद ग्रहण करने बैठ गये तो सैकड़ो लाइन मे इंतजार कर रहे थे. व्यवस्था मे लगे साथी घबड़ा गये और भंडारा समाप्त करने की घोषणा करने पर बल देने लगे.

बात गुरुजी के पास तक पहुंची. तब गुरुजी ने माँ वैष्णोदेवी को याद किया और रसोई कर्मचारियों को कहा की यह माँ का भंडारा है, जब तक आखरी भक्त आएगा तब तब चलता रहेगा. उसी समय खाद्य सामग्री आने लगी ! भेजने वाले का कोई पता नहीं.

स्टील बाजार के युवकों की टीम प्रसाद परोसने मे लग गयी. उसी बिच संस्थापक गुरुजी को अलौकिक नव देवियो के दर्शन हुए. जो प्रकाशित दीपक लेकर तीन की कतार मे आगे बढ़ रही थी. एक नव रोपित पौधे के पास दीपक रखकर अदृश्य हो गयी. उस दिन रात दो बजे तक भंडारा चला. जो लोगोंने बेईमानी की वो बीमारी या अन्य कारणसे परेशान होते देखे गये/

——=== शिवसर्जन ===——

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