एक मत ट्रस्ट के संस्थापक श्री पुरुषोत्तम लाल चतुर्वेदी साहब जी है. जो खुद गजब के टेलेंटेड है. कार्यक्रम की रुपरेखा कूद बनाते थे. हर कार्य की जिम्मेवारी खुद अपने सर पर लेते थे. डोनेशन संग्रह करने से पूर्णाहुति तक का कार्य बखूबी निभाते थे. फिर भी यश की बात आती थी तो अपने साथी ओमे यश बाट देते थे. और कार्यकर्ताओ को प्रोत्साहित करते थे.
सूखे घास से बनाया यज्ञ स्थल पंडाल दर्शनीय होता था. जो हमारे वैदिक काल की याद दिलाते रहता था. शागिर्द डेकोरेशन वाला – मोरवा और यज्ञ आचार्य शास्त्री श्री लवकुश जी महाराज के विशेषज्ञ की टीम हो तो कार्यक्रम मे चार चाँद लगना निश्चित हो जाता था.
भोजन शाला मे साक्षात् मा देवी अन्नपूर्णा का आशीर्वाद रहता था. जो सुबह शाम चलाया जाता था.
भोजन शाला के बाजुमें पानी की प्याऊ पुरा दिन भक्तों की सुविधा के लिये खुली रहती थी. सुबह से शाम तक यज्ञ स्थल पंडाल की परिक्रमा करने सभी वर्ण के हजारों भक्त आते थे. इससे भक्त जनों की आस्था , श्रद्धा की पूर्ति होती थी साथ मे खुले वातावरण मे यज्ञ से शुद्ध हुई हवामे खुले पाव से परिक्रमा करने से आरोग्य की दृस्टि कोण से फायदा भी होता था. भाविक भक्त सुबह चार से रात 12 बजे तक परिक्रमा करते रहते थे.
प्रवेश द्वार पर कार्यालय मे सुबह शाम हलवा ( सिरा ) का एवं चने का प्रसाद भाविक भक्तो को वितरण किया जाता था.
शाम रामलीला का मंचन के समय शहर के प्रतिभा शाली महानुभाव, नगर सेवक, समाज सेवक, कलाकारों का सम्मान के साथ सत्कार किया जाता था. और उनको निजी अभिप्राय देनेका अवसर प्रदान किया जाता था.
शहर मे सामाजिक , धार्मिक, एवं सांस्कृतिक कार्य करने वाली ” एक मत ” ट्रस्ट (रजि ) संस्था ने अनेक कार्यक्रम किये मगर भाईंदर पूर्व जेसल पार्क खाड़ी किनारे ग्राउंड स्थित एक मत ट्रस्ट का उपक्रम , दस लक्ष चंडी यज्ञ का प्रारंभ हुआ तो भाविक भक्तो ने इस कार्यक्रम को मुक्त मनसे नवाजा था.
एक दो साल बाद यहाके कुछ धनाढ्य और सामाजिक संस्था के लोगोने संस्थापक श्री पुरुषोत्तम लाल चतुर्वेदी जी का संपर्क किया और संस्था मे सामिल होकर संस्था को अधिक मजबूत करनेकी बात कही.
दूसरे दिन भाईंदर पूर्व सरस्वती स्कूल मे मीटिंग रखी. करीब बीस पचीस गणमान्य लोग उपस्थित हुए थे. सबका परिचय पूछा गया. एक मात्र नगर सेवक महेंद्र सिंह चौहान के सिवा सब नये थे जिनको सिर्फ अपने अपने एरिया के लोग ही जानते थे ! अतः सभी को आश्चर्य हुआ !
मीटिंग शुरू होतेही अन्य संस्था के पदाधिकारी ओने प्रस्ताव रखा की पुरानी कार्यकारिणी का विलय करके नयी समिति का गठन किया जाय !
उस समय एक मत ट्रस्ट के सात ट्रस्टी थे. (1) श्री बृजेश शुक्ल ( वैद्य) (2) श्री महेंद्र सिँह चौहान. (3) श्रीमती प्रतिभा चतुर्वेदी.(4) श्री मोरेश्वर पाटिल. (5) श्री राज कुमार सरावगी (6) श्री पुरुसोत्तम लाल चतुर्वेदी (7) श्री सदाशिव माछी. जो सामान्य आम आदमी थे.
चतुर्वेदी जी साहब ने प्रस्ताव को ठुकराते कहा की वर्तमान हमारे सात ट्रस्टी मे से किसीको निकाला नहीं जायेगा. आप जितने लोग जुडना चाहते हो उतने लोगों का स्वागत है. आप पुरे कार्यक्रम का संचालन खुद करो. अपने ढंग से करो हम लोग आपको सहयोग करेंगे मगर हमारे कार्यकर्ता जो है वह सम्मान के साथ आगे भी चालू रहेंगे.
गुरुजी का प्रस्ताव को ना मंजूर किया गया और सभा बर्खास्त हुई. फ़िरभी यहीं ट्रस्टी एवं कार्यकर्त्ता तथा भाईंदर की धार्मिक जनता के सहयोग से आगे नव साल तक लगातार यज्ञ एवं रामलीला का कार्यक्रम सफल संपन्न होते रहा. ये अपने आप मे आश्चर्य से कम बात नहीं थी !
गुरुजी को अपने कार्यकर्ता ओ पर पूरा विश्वास था, भरोसा था की धनवान पैसे तो दे देंगे , मगर कार्यक्रम स्थल पर समय नहीं दे पायेगे ! और तत्कालीन ट्रस्टी ओने लगन से कार्य किया ! इसे कहते है ” गुरूजी ” की दूर दृस्टि ! चकोर दृस्टि. पक्का इरादा !!!. एकमत ट्रस्ट की कहानी मैंने संक्षिप्त मे प्रस्तुत की है. यु कहो की गागर मे सागर का समावेश करने का प्रयास किया है.