भाईंदर खारिगांव गावठन की सुनहरी धरती हिरे मोती, और रत्न उबलती है| Part – XLIII

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शीर्षक सुनकर अचंबित हो गये ना ? मगर यह सत्य हैं. खारीगांव का गावठन एरिया महाराष्ट्र के मिरा भाईंदर महा नगर पालिका क्षेत्र मे विध्यमान हैं.

आजसे 100 साल पहले खारीगांव पंद्रह – बीस घरों का समूह था. यहां पर आगरी पाटील घराने के किसान लोग वास्तव्य करते थे. गांव के लोग अनपढ़ थे मगर भोले, ईमानदार, धार्मिक और मानवता वादी थे.

ये आगरी पाटील घराने का गांव है. बारिस मे भाईंदर पूर्व बंदरवाड़ी, नवघर, खारीगांव, गोड़देव और घोड़बंदर का पहाड़ी परिसर खेत की हरीयाली की वजहसे स्वर्ग सा मनमोहक बन जाता था. भाईंदर स्टेशन से उत्तर की ओर देखनेसे भाईंदर की खाड़ी मे चल रही दूंगी ( नाव ) स्पष्ट दिखाई देती थी.

पचास के दशक मे बारिस का पानी निकासी मार्ग ( वडाल ) से भाईंदर की खाड़ी का पानी, रेल्वे समांतर बनी ( वडाल ) मार्ग से खारी गांव सरस्वती स्कूल तक आता था.

समय ने करवट बदली और नयी पीढ़ी ने साक्षरता की और आगे कदम बढ़ाये. परिणाम स्वरूप इतने छोटे से खारीगाव गावठन एरिया ने सर्वाधिक मानव रत्न प्रकट किये. मुजे गर्व हैं कि मेरा बचपन से आजतक इस छोटे से गांव ने मेरा पालन पोषण किया हैं. ये मेरी कर्मभूमि रही हैं.

बंदरवाड़ी से नवघर ऒर प्रशांत होटल से खारीगांव, गोड़देव जाने वाला 4 फुट का मिट्टी का रास्ता आदर्श गांव को बया करता था. अधिकांश लोग गरीब मगर ईमानदार ऒर परोपकारी स्वभाव के थे.

खारीगांव ( गावठन ) की पावन भूमि ने हर किसीको अपनी क्षमता के अनुपात मे विकशित होने का सदैव मौका दिया हैं.

यहां पर स्थित श्री सत्यनारायण भगवान का मंदिर बोरीवली से विरार तक के एरिया मे सबसे पुराना जागृत मंदिर हैं. ये भगवान विष्णु को समर्पित है. भगवान श्विष्णु सभी भक्त जनोकी मनोकामना पुरी करता हैं.

भगवान बुद्ध को भगवान श्री विष्णु का 9वा अवतार माना जाता हैं. इसी वजह से बौद्ध पूर्णिमा के दिन यहां पर विशाल मेले का आयोजन किया जाता हैं. स्थानीय ग्रामस्थ मंडल द्वारा यहां पर मराठी नाटक का मंचन किया जाता हैं.

वैसे देखा जाय तो पुराना खारीगांव ( गावठन ) करीब 2 एकड़ का गावठन एरिया हैं, मगर इस छोटे से एरिया ने कई मानव रत्न प्रकट किये हैं. प्रस्तुत हैं कुछ जाने माने मान्यवर :

कृष्णा भाऊ पाटील ( नाटककार ) :

क्रिस्टमस के शुभ दिन सन 1933 मे जन्मे श्री कृष्णा भाऊ ने शुरूमे वसई स्थित चाय की दुकान मे नौकरी की. पांच वी तक पढाई करने के बाद सन 1956 मे ” रेलीफेन कंपनी ” मे काम किया. सन 1959 मे प्लस्टर ऑफ़ पेरिस से दस बारा गणपति की श्री मूर्ति बनाकर त्यौहार मे बेचते थे.

नौकरी छोड़कर नाटक लिखने लगे और दरम्यान मुंबई मराठी ग्रंथ संग्रालय मे नाट्य शिक्षण वर्ग का प्रशिक्षण ग्रहण लिया. और सन 1966 से 1978 तक आपने बारा साल मे 12 नाटक लिखें.

जिसमे समान हक, संसार हा सुखाचा, सिंह गर्जला सह्याद्रीचा, बंड्याला हवि बायको, पैसा शिकवतो धंदा, सरपंच, मी पतीची सावली, भास, विशालगढ़च्या वाटेवर, आई माझं दैवत, ज्ञानियाचा देव, जैसे 12 नाटक किखे जिसमेंसे 4 नाटक को पुस्तक के रूपमें प्रकाशित किया.

जगायचं ते काय नाटक का प्रथम प्रयोग श्री सत्यनारायण मंदिर यात्रा मे खारी ग्रामस्थ के कलाकारों द्वारा सफल सराहनीय मंचन किया गया.

आपने वास्तविक जीवन मे कामगार किसान, मूर्तिकार, कलाकार, भवन निर्माता जैसी अनेक भूमिका निभाई.

आपने ” आसामी ” नामक पुस्तक भी लिखी जिसमे बचपन से लेकर पुरे परिवार का विवरण किया.

श्री कृष्णा पाटील आज हमारे बिच मे नहीं हैं मगर, उसकी कीर्ति की सुगंध आज भी फैली हुई हैं.

अन्य आदरणीय मान्यवरों मे…….

(1) श्री शशिकांत भोईर ( नगर सेवक ) :

(2) सौ : वंदना पाटील ( नगर सेविका ) :

(3) सौ : सुनीता भोईर (नगर सेविका ) :

(4) सौ : प्रीति प्रकाश पाटील ( डॉक्टर ) :

(5) श्री धनेश पाटील ( विरोधी पक्ष नेता )

(6) श्री मोहन पाटील ( माजी सभापति ) :

(7) श्री शैलेश डी.पाटील ( नगर सेवक ) :

(8) श्री परशुराम पाटील ( नगर सेवक ) :

(9) श्री रतन के. पाटील ( नगर पार्षद ) :

(10) श्री शरद केशव पाटील ( नगर सेवक ) :

(11) श्री मंगेश पाटील (सभापति-परिवहन):

(12) श्री सतीश टी. मोहिले : ( वकील ) :

(13) श्री दत्ता रोतळे. ( गणेश मूर्तिकार )

(14) श्री हरीश पाटील ( पालिका सचिव ) :

(15) श्री जगत पाटील ( नाट्य निर्देशक ) :

(16) श्री सुधाकर नलावडे ( निर्देशक ) :

(17) श्री विजय एस.पाटील (कर निर्धारक ) :

(18) श्री नरेंद्र पाटील ( उप कर निर्धारक ):

(19) श्री लक्षमण पाटील (फायरअधिकारी) :

(20) श्री अनिल पाटील ( कराटे प्रशिक्षक ) :

(21) श्री सदाशिव एम. माछी ( पत्रकार ) :

(22) श्री विशाल पाटील ( परिवहन सदस्य ):

(23) श्री प्रभुदास एम. माछी. (लेखक )

(24) श्री लक्ष्मण पी. पाटील. ( S.E.M )

(25) श्री घनश्याम पाटील.(पुलिस निरीक्षक)

(26) श्री शिवकुमार पाटील (गणेश मूर्तिकार)

(27) श्री अनिल माळी ( कराटे प्रशिक्षक )

(28) सौ : कल्पना माछी (बी.कॉम. डी.एड)

(29) श्री प्रेमनाथ पाटील ( नगर पार्षद )

(30) श्री दीपक माछी. (बी.कॉम. MBA)

(31) सो. विपुला ज. पाटील ( प्रिंसिपल )

(32) श्री मिलन माछी.(बी.कॉम. MBA)

(33) कु : नीलम एस. माछी. एम कॉम.( HDFC प्रबंधक ).

(34) सौ : ममता राजपूत ( बी.कॉम. MBA )

(35) सौ. पुष्पा लवकुमार माली. बी.कॉम. बी एड.

(36) सौ. सुवर्णा महेश अमोणकर बी.एससी, डी.एम.एल.टी.

(37) श्री गुरुप्रसाद दत्ता आखाडकर (बॅचलर इन कॉम्प्युटर सायन्स.) सीनियर मॅनेजर

(38) श्री परिमल पी. माछी. सीनियर मेनेजर.

(39) सौ. रीना एम. माछी. एम. कॉम. मेकअप आर्टिस्ट.

(40) श्री यशवंत पांडुरंग पाटील. स्नातक. लेखापाल.

(41) कुमार हर्षल पी. माछी. कंप्यूटर साइंस.

(42) श्री राजन भालचंद्र पाटील डॉक्टर

(43) सौ. अंजलि पाटील डॉक्टर

विशेष टिप्पणी :

उपरोक्त लिस्ट मे चार पांच नाम रह गये है. हमें खेद है.

इसके अलावा यहां पर रंग मंच के कलाकार, अध्यापक, लिपिक और अनेक अन्य सामाजिक कार्यकर्त्ता हुए है जिनका जिक्र यहां पर नही किया गया है.

खारीगांव गावठन एरिया भले सिर्फ दो एकड़ मे फैला हो मगर इतने से छोटे एरिया ने सबसे ज्यादा नगरसेवक होनेका कीर्तिमान स्थापित है. जो मिरा भाईंदर महा नगर पालिका क्षेत्र के अन्य किसी इतने छोटे एरिया मे इतने नगर सेवक नही हुए है.

आप लोगोंकी जानकारी के लिए बता रहा हूं कि सन 1972 मे भाईंदर पूर्व और पश्चिम का प्रथम विधिवत सार्वजनिक नवरात्र उत्सव भगवान श्री सत्यनारायण मंदिर के प्रांगण से ही शुरु हुआ था. जो खारी ग्रामस्थ द्वारा जागृति सेवा संघ के तत्वविधान मे हुआ था.

भाईंदर पूर्व का सर्व प्रथम फिरता ( घूमता ) नाटक मंच के प्रयोग का सफल मंचन खारी ग्रामस्थ द्वारा किया गया था.

भाईंदर जब रेती बंदर के नाम से प्रसिद्ध था तब भाईंदर की खाड़ी से नाव के माध्यम से रेती निकालने का व्यवसाय खारीगांव के लोग ही करते थे.

खारीगांव का नाम भले खारीगांव रहा हो मगर खारीगांव के तालाब और तालाब के कुए मे मीठा पानी निकलता था जो लोग साठ के दशक मे पिने के लिए उपयोग करते थे.

खारीगांव के लोग क्रिकेट प्रेमी है. सत्तर के दशक मे खारीगांव क्रिकेट टीम ने वसई तक अनेक टूर्नामेंट जीते थे. जिसका नेतृत्व श्री भास्कर पाटील करते थे.

——=== शिवसर्जन ===——

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