सन 1936 तक मिरारोड भाईंदर क्षेत्र की कुल जनसंख्या करीब 5000 थी.
सन 1942 मे भाईंदर, गोड़देव, नवघर, खारीगाव, बंदर वाड़ी वगेरा गावों को मिलाकर ग्रुप ग्रामपंचायत की स्थापना की गई और श्री जेबीसी नरोना प्रथम सरपंच के रूपमें चुने गए.
सन 1962 मे भाईंदर ग्रुप ग्राम पंचायत से भाईंदर पूर्व की नवघर ग्रुप ग्रामपंचायत अलग हो गई और उस समय भाईंदर ग्राम पंचायत का चुनाव जनतांत्रिक पद्धति से हुआ था. तब सेठ श्री चंदूलाल छबीलदास शाह भाईंदर पश्चिम ग्रामपंचायत के सरपंच बने थे. उस समय मुजे लगता है कि शायद भाईंदर पूर्व नवघर ग्रुप ग्रामपंचायत के सरपंच के रूपमें श्री गोपीनाथ पाटील रहवासी नवघर की नियुक्ति हुई थी.
हर गांव मे तालाब और कुआ था. जिसका लोग पानी पीते थे. उस समय पानीकी इतनी बडी समस्या नहीं थी , जीतनी बाद मे हुई. जैसे जैसे जनसंख्या बढ़ती गई, तो कुआ तालाब का पानी कम पड़ने लगा.
ता : 12 जून 1985 के दिन नगर पालिका की स्थापना हुई बाद मे सन 2002 मे महानगर पालिका का दरज्जा मिला. मिरा भाईंदर शहर का विकास तो होने लगा मगर जनसमस्या का समुन्दर खड़ा हुआ. इसका सबसे ज्यादा असर यातायात पर हुआ.
ग्रामपंचायत के समय अनधिकृत बांधकामो ने रफ़्तार पकड़ी और हजारों भवन निर्माण हुए. भवन निर्माता रोड की जगह भी डकार गये फलस्वरुप रोड छोटे पड़ने लगे. जिसका प्रमाण आप लोगोको भाईंदर पूर्व का कंपनी एरिया, केबिन रोड, बी पी रोड तथा क्रॉस रोड देख सकते हो.
नयी रिक्शाओको इतनी परमिट दे दी गई की सुबह शाम रोड पर चलना आम लोगो को मुश्किल हो गया. शहर मे दो चाकी तथा चार चाकी वाहनों की संख्या बढ़ती ही जा रही है. पार्किंग की जगह के अभाव से गलीयौमे दो चाकी वाहनों की संख्या बढ़ गई है. पार्किंग के लिए झगड़े होना आम बाते बन गई है.
मिरा भाईंदर शहर का प्रथम विकास आराखडा सन 1997 मे जाहिर किया गया था, और सन 2016 मे उसकी मुदत पुरी हो गई थी. 6 साल विलम्ब के बाद अब ता : 28 अक्टूबर 2022 के दिन नया आराखड़ा जाहिर किया गया है.
सन 1997 के विकास आराखडा मे दर्शाये गये प्रावधान अनुसार रोड विस्तार का काम नहीं हुआ इसीलिए खास करके भाईंदर ईस्ट मे ट्रैफ़िक जाम की समस्या जटिल बन गई है.
वर्तमान मे भाईंदर स्टेशन पूर्व के दक्षिण छोर पर पूल नूतनीकरण का कार्य तेज गति से शुरु है इसीलिए जो रिक्शा रेल्वे परिसर मे खड़ी रहती थी वो तमाम रिक्शा को स्टेशन समांतर रोड पर खड़ी रखनी पड़ती है इसी कारण अब यहां पर ट्रैफ़िक जाम की समस्या सामान्य बात बन गई है.
भाईंदर पूर्व बालाराम पाटील रोड की ये समस्या कोई नयी नहीं है. सन 1990 से बनी हुई है. लगातार ट्रैफ़िक जाम होनेके कारण तत्कालीन ठाणे ग्रामीण पुलिस अधीक्षक श्री आर टी राठौड़ जी ने मुंबई पुलिस अधिनियम 1951 की धारा 33(1) बी का अमल करके एक सूचना जारी की थी.
इस सूचना द्वारा बालाराम पाटील रोड को ” एक मार्गीय ” ( वन वे ) जाहिर किया गया था. इस सूचना के अनुसार सुबह 8 से 12 और शाम को 4 से 8 बजे तक रोज गोड़देव से स्टेशन की ओर आनेवाले ट्रक, टैंकर , निजी बसे जैसे सभी भारी वाहनोको नवघर, बंदरवाड़ी होकर आनेके आदेश दिये थे. इसी तरह सिर्फ स्टेशन से गोड़देव की ओर जानेवाले वाहन को ही जानेको कहा गया था. सभी भारी वाहनोको गोड़देव से स्टेशन आनेकों मनाई आदेश दिये थे.
पुलिस आयुक्त श्री राठौड़ ने मिरा भाईंदर नगर परिषद् को तथा पुलिस निरीक्षक को इस तरह के आदेश देकर वाहन चालकों को इसका अमल कराने के लिए अपील की थी.
मगर कुछ साल बाद परिस्थिति जैसे थी हो गई थी. और आज तक समस्या बनी हुई है.
——=== शिवसर्जन ===——