मिटना माछी समाज,भाईंदर मे रेल्वे का निर्माण होने से पहले से वास्तव्य कर रहे है. ये संघ प्रदेश दमण के वडकुन गांव के मूल निवासी है. जब रेल्वे का नामों निशान नहीं था, तब उनके दादा परदादा दमण वापी से पैदल चलकर भाईंदर आते थे. भाईंदर से इनका रिस्ता बहुत पुराना है. ये समाज दूध मे सक्कर की तरह मिल जुल कर रहते है.
आज मुजे बात करनी है, मिटना माछी समाज भाईंदर के प्रतिष्ठित, नामी मानवता वादी, दयालु समाज सेवक श्री त्रिभुवन जसवंत भाई माछी साहब की.
उनका कहना है कि शिक्षा से ही समाज और देश की उन्नति है. पढ़ेगा तो देश आगे बढेगा के नारा को साकार करते हुए आप शिक्षा के लिए बच्चोंको प्रोत्साहित करते है. गरीब जरुरीयातमंद बच्चों को गुप्त रहकर दान करते है. कई लोगो को मोती बिंदु आदि ऑपरेशन मे निःस्वार्थ सहयोग करते है.
आप का पुत्र श्री संतोष माछी ने बी. कॉम. MBA किया है, तथा पुत्री सौ. रीना मिलन माछी एम. कॉम किया हुआ है और मेकअप आर्टिस्ट है. आप की पत्नी सौ. नंदा माछी गृहिणी है.
विगत 25 साल से कार्य कर रही
” श्री सद्गुरु गिरनारी सत्संग सेवा समाज ” (रजि ) संस्था के सचिव पद पर आप कार्य कर रहे है. मृदुभाषी त्रिभुवन भाई धार्मिक प्रवृति के है और हमारे देश के तीर्थ स्थलों की मुलकात करते रहते है.
खुद किये हुए समाज सेवा के प्रमाण ये नही रखते. क्योंकि उनका मानवता वादी कार्य गुप्त होता है. अमीर गरीब सबके साथ ये एक जैसा व्यवहार करते है. यहीं कारण वश उनको मिटना माछी समाज भाईंदर के लोगोंका सबसे ज्यादा प्यार मिला हुआ है.
आपका जन्म ता : 3 अप्रेल 1969 के दिन श्री जसवंत भाई माछी के घर मे मीरारोड़ मे हुआ था. बचपन मे आपने 10 वी तक पढाई तो की मगर परीक्षा नहीं दे पाये. और अपने पिताजी के साथ चश्मा कंपनी के व्यवसाय मे जुड़ गये. वर्तमान आप नमक उत्पादन के व्यवसाय मे जुड़े है.
आप क्रिकेट तथा धार्मिक और समाज सेवा से खास रूचि रखते है. श्री सद्गुरु गिरनारी सत्संग सेवा समाज ” (रजि ) के हर धार्मिक कार्यक्रम मे आपका साथ और सहकार रहता है.
परोपकारी स्वभाव के श्री त्रिभुवन भाई जसवंत भाई माछी भाईंदर शहर के समस्त ” मिटना माछी समाज ” के लिए प्रेरणा श्रोत है. बिच समुद्र मे भटके जहाज को दिशा दिखाने वाली “दीपघर” LIGHTHOUSE के समान है.
श्री त्रिभुवन भाई के ससुर जी स्व : लालचंद भाई मंगलभाई माछी बड़े ही परोपकारी, दानशूर और धार्मिक प्रवृति के इंसान थे. आप नमक का व्यवसाय करते थे, और माछी समाज के साथ, अन्य समाज के कई लोग आप को आदर के साथ सम्मान देते थे. उनका लाइलाज बीमारी के कारण समय से पहले जवानी मे निधन हो गया था.
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