लोकमान्य तिलक के कानूनी सलहाकार और राष्ट्र समर्पित जोजफ बेप्टिस्टा | Part – 95

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ता : 17 मार्च 1864 को मुंबई में जन्मे देशप्रेमी काका बेप्टिस्टा भाईंदर पश्चिम उत्तन गांव की भूमि से जुड़े थे. उन्होंने मेट्रिक पास करने के बाद छोड़ दी थी. वे इंग्लैंड चले गये और वहां कानून की उपाधि प्राप्त की.

उन्ही दिनों भारत में पत्रकार श्री लोकमान्य तिलक को गिरफ्तार किया गया था. इस समाचार को सुनते ही विद्यार्थियों की एक सभा बुलाकर ब्रिटिश सरकार का विरोध किया था.

जब लोकमान्य तिलक इंग्लैंड गये तो उन्होंने श्री बेप्टिस्टा से मुलाक़ात की और तभीसे वे दोनों एक दूसरे के करीब आ गये. बेप्टिस्टा भारत लोटनेके बाद वे मुंबई हाई कोर्ट के वकील हो गये तथा मजदूरों को संगठित करने के कार्य में व्यस्त हो गये.

उन्होंने सन 1917 में पोस्ट विभाग के कर्मचारियों की हड़ताल का फिर मिल कामदारों की हड़ताल का नेतृत्व किया. कामगार उन्हें बेप्टिस्टा काका के नाम से संबोधित करते थे.

उन्होंने 1921में लाला लाजपतराय व दिवान चमनलाल के सहयोग से ‘ ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कॉग्रेस ” की स्थापना की तथा 1924 में श्रमिक के अंतर्राष्ट्रीय अधिवेशन में भाग लेने जिनेंवा गये.

” होम रूल लीग ” की मूल कल्पना बेप्टिस्टा की थी. जो उन्होंने तिलक को सुजाई. सन 1916 में बेलगाव में होम रूल लीग की विधिवत स्थापना हुई और प्रथम अध्यक्ष के रूपमें काका बेप्टिस्टा की नियुक्ति हुई. वे इस पद पर दस वर्ष तक रहे.

काका बेप्टिस्टा ने श्री लोकमान्य तिलक की आज्ञा से स्वयं शासित भारत के संविधान का मसोड़ा तैयार किया. तथा मद्रास में अनिबेसेंट के सामने होम रूल का आंदोलन किया. सन 1916 में लखनऊ के कांग्रेस में होम रूल को मानने वोलोका बहुमत हो गया.

सन 1917 में होम रूल का प्रचार करने बेप्टिस्टा विदेशों मे गये, तथा सन 1918 में जब ब्रिटिश चुनाव हो रहे थे तभी उन्होंने अपनी पुस्तिका प्रकाशित करके वितरित की.

काका बेप्टिस्टा मुंबई महा नगर पालिका के निरन्तर 25 वर्ष सदस्य रहे, सन 1924 में एसेंबली के लिए चुने गये. तथा सन 1926 में सेंट्रल एसेंबली के लिए निर्विरोध चुने गये. 1925 – 26 में आप मुंबई के मेयर बने.

ईस्ट इंडियन समाज में जन्म होने के कारण महाराष्ट्रियन क्रिश्चनो की संस्था ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे, तथा ईस्ट इंडियन साप्ताहिक के संपादक रहे. समाज सेवा के कार्यों के कारण बेप्टिस्टा पुरी उम्र अविवाहित रहे. और 18 सितंबर 1930 साल में येशु की ज्योत मे समा गये.

भाईंदर की भूमि उत्तन से संलग्न बेप्टिस्टा परिवार मे जन्मे इतिहास पुरुष काका बैपटिस्टा को हम आदर पूर्वक श्रद्धांजलि अर्पित करते है.

——=== शिवसर्जन ===——

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