“विश्व की रफ़्तार से बढ़ती जनसंख्या”

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जिस रफ़्तार से भारत की जनसंख्या बढ़ रही है, उसे देखते हुए ये चाइना की जनसंख्या को भारत सन 2023 तक पार कर जायेगा और विश्व का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन जायेगा.

विश्व का सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश चीन है. जबकि भारत का स्थान दूसरे नंबर पर है. कोरोना काल की वजह से सन 2021की जनगणना नही हो पाई. मगर एक अनुमान के अनुसार वर्तमान 2022 में भारत की जनसंख्या करीब 1,404,234,872 (140 करोड़ ) आंकी जाती है. ई. सन 1930- 32 मे भारत की आबादी 60 करोड़ थी, आज 140 करोड़ हो गई है.

ता : 11 जुलाई को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि सन 2022 में चीन की जनसंख्या 1.426 अरब है, जबकि भारत की जनसंख्या 1.412 अरब है. इस लिहाज से भारत अगले साल तक जनसंख्या के मामले में चीन से आगे निकल जायेगा और दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश हमारा भारत बन जायेगा.

भारत में राज्य स्तर पर उपलब्ध जनसंख्या के आंकड़ों के आधार पर जनसंख्या घनत्व को तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता है, (1) अधिक घनत्व वाले क्षेत्र, (2) मध्य घनत्व वाले क्षेत्र तथा (3) कम घनत्व वाले क्षेत्र.

घनत्व की गणना करने के लिए, जनसंख्या को क्षेत्रफल से विभाजित किया जाता है. 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत का जनसंख्या घनत्व 382 प्रति वर्ग किलोमीटर था. सन 2021 का जनगणना अभी बाकी है. सन 2001 में देश में आबादी का घनत्व 324 प्रति वर्ग किलोमीटर था. 2021 के लिए आप अंदाजा लगा सकते हैं कि 382 से बढ़कर 400 के आसपास पहुंच गया होगा.

जनसंख्या घनत्व को अंग्रेजी में ( POPULATION DENSITY) कहते हैं. पापुलेशन डेंसिटी को जनसंख्या का सबसे महत्वपूर्ण सूचनाओं के रूप में देखा जाता है. इस सूचकांक से यह पता चलता है कि, किसी निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में कितने लोग रहते है.

भारत के सभी राज्यों में से सबसे ज्यादा जनसंख्या घनत्व बिहार राज्य का है. अगर भारत के 9 केंद्र शासित प्रदेशों में देखें तो दिल्ली राज्य का सबसे ज्यादा जनसंख्या घनत्व है.

समय की मांग है कि जनसंख्या के विस्फोट पर निश्चित नियंत्रण लाना जरुरी है. भारत सरकार ने इसके लिए अल्पकालीन तथा दीर्घकालीन नीति योजनाओं को कार्यान्वित करना होगा.

जनसंख्या घनत्व किस तरह आंका जाता है:

उदाहरण के लिए :

भारत की जनसंख्या (2011) अनुसार 1,210,854,977 थी.

भारत का कुल भूमि क्षेत्रफल 3,287,240 वर्ग किमी है.

जनसंख्या घनत्व = 1,210,854,977 / 3,287,240

= 382 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर.

क्षेत्रफल की दृष्टि से देखा जाय तो विश्व का सबसे बड़ा देश रूस है. लेकिन इसकी जनसंख्या विश्व के अन्य देशों की तुलनामे कम है. जनसंख्या की दृष्टि से यह विश्व के नौवे स्थान पर आता है. सन

2022 में रूस की जनसंख्या करीबन 143,914,962 करोड़ यानि की 14.3 करोड़ के करीब है. रसिया का सबसे अधिक आबादी वाले शहर मॉस्को और सेंट पीटर्सबर्ग है. मॉस्को विश्व का 11वां सबसे अधिक आबादी वाला शहर है. यहां पर 12 मिलियन से भी अधिक लोग निवास करते हैं. रूस मे अधिकतर लोग देश के पश्चमी शहरों में रहते है.

रूस का जितना क्षेत्रफल है उसके मुकाबले इसकी जनसंख्या बहुत ही ज्यादा कम है. विश्व की कुल जनसंख्या का 1.87% हिस्सा रूस की जनसंख्या का है. यहां का जनसंख्या घनत्व 8.4 लोग प्रति वर्ग कि.मी. है. सन 2019 में रूस की जनसंख्या वृद्धि दर में 0.05% की कमी देखी गई है.

विश्व में 1.6 अरब मुस्लिम समुदाय रहते है. लेकिन इतनी आबादी होने के बावजूद दुनिया में एक ऐसा देश है जहां एक भी मुस्लमान नहीं है. इस देश का नाम वेटिकन सिटी है. यूरोप राजधानी इटली के बीचों बीच बसा यह देश जिसमे एक भी मुस्लिम नहीं हैं.

वर्तमान अमेरिका देश की कुल जनसंख्या 33 करोड़ 60 लाख है. इस आधार पर जनसंख्या की दृष्टि से अमेरिका दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है. जबकि क्षेत्रफल की दृष्टि से देखा जाय तो अमेरिका दुनिया का चौथा सबसे बड़ा देश है. इसका कुल क्षेत्रफल 9,826,675 वर्ग किलोमीटर है.

ऑस्ट्रेलिया ने ता: 26 जनवरी 1788 में ब्रिटिश राज से स्वतंत्रता प्राप्त की थी. अपने स्वतंत्रता दिवस को ये लोग ऑस्ट्रेलिया दिवस के रूप में मनाते हैं. ऑस्ट्रेलिया के मूल निवासी यहाँपर रहने वाले एबोरीजनीज़ आदिवासी हैं जो अंग्रेजों के पहुँचने से पहले यहाँ पर बसे हुए थे. इतिहासविदों के अनुसार ऑस्ट्रेलिया में चालीस या पचास हज़ार साल पूर्व पहली बार मनुष्य के पहुंचने के प्रमाण हैं.

ता : 22 जून 2021 तक ऑस्ट्रेलिया की जनसंख्या 25818300 होने का अनुमान है. ऑस्ट्रेलिया दुनिया का 52 वां सबसे अधिक आबादी वाला देश है और सबसे अधिक आबादी वाला ओशियान देश है.

जनसँख्या का घनत्व 2.8 निवासी प्रति वर्ग किलोमीटर है, जो दुनिया मे सबसे निचा है.

जनसंख्या वृद्धि की समस्या अन्य अनेक समस्याओं को पैदा करती है. देश का उत्पादित खाद्य अन्न अपर्याप्त हो जाता है. और इस कारण महंगाई बढ़ती है. इसी हिसाब से अन्य जन उपयोगी वस्तुओं के दाम बढ़ जाते हैं. सरकार के पास काम की कमी हो जाती है, अत: बेकारी भी बढ़ती जाती है. पानी की किल्लत महसूस होती है.

मुंबई जैसे शहरों मे जनसंख्या वृद्धी के कारण ट्रेनों मे भीड़ देखी जाती है. रोड पर ट्रैफ़िक जाम होता है. आवास की कीमते बढ़ जाती है. गरीब लोगोंको घर खरीदना एक स्वपना बन जाता है.

जनसंख्या नियंत्रण के अनेक तरीके है. जैसे संतति नियंत्रण के साधनों में नसबंदी और नलबंदी, विवाह की उम्र को बढ़ाना. मगर भारत में संतान प्राप्ति को ईश्वर की देन माना जाता है. इसका विरोध करना ईश्वर के कर्मों में दखल देना माना जाता है. शिक्षा के विकास के साथ भारतीय दंपती अब समजने लगे है. और परिवार-नियोजन अपना रहे हैं.

वैसे माता के आरोग्य तथा सौंदर्य की रक्षा के लिए भी परिवार-नियोजन लोग करने लगे है. जनसंख्या अथवा मानव-शक्ति किसी भी राष्ट्र की निधि मानी जाती है. जन-बल से सरकार अपनी निर्माण-योजनाएँ को पूरी कर सकती है.

खास करके शिक्षितों की अपेक्षा अशिक्षित लोगो की अधिक संतानें हैं. वास्तव मे सीमित परिवारवालों को सरकार द्वारा पुरस्कृत-प्रोत्साहित करना चाहिए. जनसंख्या किसी भी देश के लिए वरदान होती है, परन्तु जब ये अधिकतम सीमा-रेखा को पार कर जाती है, तब बही अभिशाप बन जाती है. जनसंख्या किसी भी राज्य के लिए उससे अधिक नहीं होनी चाहिए, जितनी साधन-सम्पन्नता राज्य के पास है.

विश्व की लगभग 15% जनसंख्या भारत में निवास करती है, जबकि भू भाग की दृष्टि से भारत का क्षेत्रफल विश्व के कुल क्षेत्रफल का मात्र 2.5% है. यह हमारे लिए बेहद चिन्ताजनक बात है.

जनसंख्या के अत्यधिक बढ़ जाने पर प्रकृति पर इसका असर होता है. भारत में जनसंख्या वृद्धि के विभिन्न महत्वपूर्ण कारणों में जन्म एवं मृत्यु दर में असन्तुलन, कम उम्र में विवाह करना, अत्यधिक निरक्षरता, धार्मिक दृष्टिकोण, निर्धनता, मनोरजन के साधनों की कमी, संयुक्त परिवारों में युवा दम्पतियों में अपने बच्चों के पालन-पोषण के प्रति जिम्मेदारी में कमी आदि उल्लेखनीय है.

हाल ही में ऑपरेशन्स रिसर्च ग्रूप द्वारा मुसलमानों पर किए गए सर्वेक्षण में यह बात सामने आई हैं कि अधिकतर पुरुष एवं स्त्री उत्तरदाता आधुनिक परिवार नियोजन के तरीकों को जानते थे, किन्तु या तो वे धार्मिक आधार पर उनका प्रयोग नहीं कर रहे थे या उनको उस बारे में सटीक जानकारी नहीं थी. जनसंख्या वृद्धि का प्रत्यक्ष प्रभाव लोगों के जीवन स्तर पर पड़ता है. यही कारण है कि स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद से कृषि एवं औद्योगिक क्षेत्रों में चमत्कारिक प्रगति के बाद भी हमारी प्रतिव्यक्ति आय में वृद्धि नहीं हो पाई है.

जनसंख्या वृद्धि अपने आप में भले ही समस्या न लगे, परन्तु उसे संसाधनों की उपलब्धता से जोड़ दिया जाए, तो यह चिन्ता का विषय बन जाती है. हमारे देश में लगभग पाँच में से तीन (57%) विवाहित स्त्रियाँ 30 वर्ष से कम आयु की हैं और दो या अधिक बच्चों की माँ बन जाती है.

वह स्त्री जिसके पास पालन-पोषण के लिए बच्चे हो और जो बार-बार प्रसव प्रक्रिया से गुजरती हो, वह अपना अधिक समय माँ एवं पत्नी के रूप में ही व्यतीत करती है और घर की चार दीवारी में ही बन्द रहती है. वह समुदाय और समाज में कोई भूमिका अदा नहीं कर सकती, जब तक बह अपने परिवार के आधार को तर्कसमत न बना ले.

जनसंख्या वृद्धि रोकने हेतु शिक्षा का व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार अति आवश्यक है. महिलाओं के शिक्षित होने से विवाह की आयु बढ़ाई जा सकती है, प्रजनन आयु वाले दम्पतियों को गर्भ निरोधक स्वीकार करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है. उन्हें छोटा परिवार सुखी परिवार की बात समझाई जा सकती है.

भारत के लोग स्वभाव से चिंतनशील होते हैं. कष्ट, सहिष्णुता, परिश्रम तथा न्याय यहाँ के निवासियों की परंपरागत विशेषताये हैं. भारतीय आदर्शवादी और समन्वयवादी होते हैं. हर हाल मे सरल तथा संयमित जीवन जीना उनको आता है. ऐसे देश में जनसंख्या की वृद्धि मनोवैज्ञानिक दृष्टि से उनकी विकट समस्या नहीं है जितनी अन्य देशों में है.

——=== शिवसर्जन ===——

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