कुदरत की बनाई हर चीज लाजवाब है.
हर जीवात्मा को उसने कोई ना कोई खूबी प्रदान की है. उनके अलग अलग आवाज से ही हम उनकी जाती को पहचान जाते है.
कोयल कूहू….. कूहू….. करती है. चिड़िया ची…. ची…. करती है. कुत्ता भौ…. भौ…. करता है. बिल्ली म्याऊ… म्याऊ…. करती है. कौआ काउ….. काउ…. करता है. यहां तक की हर एक वनस्पति को भी कुदरत ने अलग अलग औषधीय गुण से संपन्न किया है.
हर किसीको कुदरत ने जो प्रदान किया है उससे संतुष्ट रहना चाहिए.
सबसे सुंदर कौन ? :
कभी भी खुद को कमजोर नहीं आंकना चाहिए. कभी भी खुद को कमजोर नहीं समझना चाहिए. कौवा को काले रंग की वजह से उसे लगता था कि वह रंगीन रंगों से वंचित है. कुदरत ने उसे दिये काले रंग से वो असंतुष्ट था.
एक दिन काला कौवा अपनी शक्ल को देखकर सोचने लगा कि पंछियों में सबसे ज्यादा कुरूप मुजे ही बनाया है. न तो कुदरत ने मुजे आवाज अच्छी दी है. ना तो मेरे पंख सुंदर हैं. काले रंग के कारण वो हमेशा नाराज रहता था. ये सारी बातें सोचने की वजह से उसके अंदर हीन भावना से ग्रसित होकर दुखी भी रहने लगा था.
एक दिन बगुले ने कौवे की उदासी का कारण जानना चाहा तो कौवे ने उसे बताया कि तुम गोरे हो मैं तो बिलकुल काला हूं. मेरा इस दुनिया में जीना ही बेकार है. इस बात पर बगुला ने कौवे से कहा कि दोस्त मैं कहा सुंदर हूं ? तोते को देखो हरे पंख और लाल चोंच, काश मेरे पास भी ये सब होता.
बगुले की इस बात को सुनकर कौवे को तोते की सुंदरता को जानने की तीव्र इच्छा हुई. वह तोते के पास जाकर तोते को बोला कि तुम कितने सुंदर हो. खुश तो तुम बहुत होते होगे? जवाब में तोते ने कहा कि मैं खुश तो था लेकिन मोर को देखकर दुखी हो गया क्योंकि वह मुझसे भी ज्यादा सुन्दर होता है.
मोर की खुशी जानने के लिए कौवा उसे जंगल में खोजने चला गया. परंतु उसे एक भी मोर नहीं दिखाई दिया. जंगल वालों से पूछने के बाद उसे पता चला कि सभी मोर को चिड़ियाघर वाले उठाकर ले गए हैं. कौवा मोर की तलाश में चिड़ियाघर पहुंच गया. वहां पर उसने मोर से उसकी सुंदरता पर चर्चा करनी चाही लेकिन मोर उलटा रोने लगा.उसने कौवे से कहा कि ईश्वर का धन्यवाद करो जो तुम सुंदर नहीं हो. वरना पिंजरें में तुम भी कैद होते !
कौवे को अपनी गलती का एहसास हो चूका था. उसे समझ मे आ गई कि ईश्वर की बनाई चीजों पर सवाल नहीं करना चाहिए.
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