कभी आपने सोचा है ? कि बल्ब के आविष्कार से पहले लोग बीना बिजली कैसे जीते होंगे. शायद शुरुआत मे प्राकृतिक तरीके से दो वस्तु ओको आपसमे घिसकर अग्नि प्रजावलित की होंगी . ये वस्तु ओमे लकड़ी, पथ्थर हो सकते है. अग्नि से मसाल बनी होंगी . मसाल के बाद रोशनी के लिए लोगोने दिए का आविष्कार कीया होगा. ये परंपरा बरसो चली होंगी फिर मोमबत्ती का एक जमाना रहा होगा.
19वीं सदी में दुनिया के वैज्ञानिक रोशनी के लिए सुरक्षित और अधिक सुविधाजनक माध्यम की तलाश मे लगे और काफी काम किया. फलस्वरुप सन
1879 मे थॉमस ऐल्वा एडीसन ने बल्ब का आविष्कार से जगत को आश्चर्य चकित कर दिया. थॉमस ऐल्वा एडीसन एक महान वैज्ञानिक थे उन्होंने केवल बल्ब का ही आविष्कार नहीं किया बल्कि इसके अलावा भी अन्य विविध आविष्कार किये जिनमे मोशन पिक्चर कैमरा, कार्बन टेलीफोन ट्रांसमीटर, एल्कलाइन स्टोरेज बैटरी और ग्रामो फोन जैसे अन्य आविष्कार शामिल है.
बल्ब वास्तव में ऐसा उपकरण है जो की रौशनी प्रदान करता है यदि उसे विद्युत से जोड़ दिया जाये तो जहाँ जहाँ बिजली मिलेगी वहा जला सकते है. इस बल्ब का इस्तमाल कर सकते हैं. बल्ब में एक तार होता है और जब उसके माध्यम से विद्युत प्रवाह किया जाता है तब वो गरम हो जाता है और रौशनी प्रदान करता है.
बिजली के उपयोग से रौशनी पैदा करने का विचार सबसे पहले इंग्लिश केमिस्ट हमफ्री देवी के मन में आया था. इस बात को लगभग 200 वर्षो से भी ज्यादा हो चुकी है. उन्होंने ही सबसे पहले ये दिखाया था की जब विद्युत को तारों के माध्यम से प्रवाह किया जाये तो वो तार गर्म होकर रौशनी पैदा करती है.
मगर उनके द्वारा तैयार की गऐ पहले ज़माने के उपकरण कुछ घंटो तक ही जल पाते थे. लेकिन अविष्कारक थॉमस ऐल्वा एडिसन को ही बल्ब के आविष्कार करने का पूरा श्रेय दिया जाता है. क्यूंकि उन्होंने सन 1879 मे कार्बन फिलमेंट लाइट बल्ब पूरी दुनिया को पेश किया था.
कुछ लोगोंका कहना ये था कि यह पता लगा पाना मुश्किल है कि सबसे पहले लाइट बल्ब का आविष्कार कब हुआ. दरअसल एडिसन से काफी पहले विश्व के शोधकर्ता और वैज्ञानिक परंपरागत लैंप की जगह बिजली से प्रकाशमान होने वाले लैंप की खोज में लगे रहे हैं. 19वीं सदी में आविष्कारों ने रोशनी के लिए सुरक्षित और अधिक सुविधाजनक माध्यम की तलाश के लिए काफी काम किया था. उन सबके कामों के आधार पर ही एडिसन ने लाइट बल्ब का संशोधित किया था.
शुरुमे जब बल्ब के आविष्कार के लिए वैज्ञानिक काम कर रहे थे उस वक्त वैज्ञानिकों को पता था कि जब बिजली कुछ चीजों से होकर गुजरती है तो वे गर्म होने लगती हैं और अगर वे काफी गर्म हो जाएं तो वे रोशन हो जाती हैं. इसी कॉन्सेप्ट पर पहले बल्ब का आविष्कार किया गया लेकिन उनमें इस्तेमाल होने वाली चीज इतनी गर्म हो जाती थी और वह जलने या पिघलने लगती थी.
जो चीज रोशनी के लिए बल्ब में इस्तेमाल की जाती है उसको फिलामेंट कहा जाता है. आगे सभी शोधकर्ताओं ने फिलामेंट के लिए उपयुक्त सामग्री को खोजने पर अपने रिसर्च को केंद्रित किया. सन 1835 में स्कॉटलैंड के जेम्स बोमैन लिंडसे नाम के वैज्ञानिक ने बताया कि अगर लैंप के अंदर कॉपर का फिलामेंट हो तो वह लगातार रोशनी देता रहेगा.
करीब 20 से भी ज्यादा अविष्कारक ने लाइट बल्ब का डिजाइन पर काम किया था. लेकिन इस बात को भी नकारा नही जाता कि थॉमस एडिसन का योगदान सबसे ज्यादा रहा है. यह सच है कि थॉमस एडिसन ने ही लाइट बल्ब के क्रमागत उन्नति से लेकर उसे कमर्शियल प्रोडक्शन तक पहला कमर्शियली प्रैक्टिकल बल्ब तैयार किया था. वहीँ बाकि के पहले अविष्कारको के डिज़ाइन में काफ़ी गलतियाँ थी. अतः वो सफल नहीं हो सके थे.
उल्लेखनीय है की महर्षि अगस्त्य राजा दशरथ के राजगुरु थे, और इनकी गणना सप्तर्षियों में की जाती है. वैदिक ऋषि महर्षि अगस्त्य वैज्ञानिक ऋषि थे. उन्होंने कई नितनये आविष्कार किये थे.
आधुनिक युग में बिजली का आविष्कार माइकल फैराडे ने किया था. बल्ब के अविष्कारक थॉमस एडिसन अपनी एक किताब में लिखते हैं कि एक रात मैं संस्कृत का एक वाक्य पढ़ते-पढ़ते सो गया. उस रात मुझे स्वप्न में संस्कृत के उस वचन का अर्थ और रहस्य समझ में आया जिससे मुझे बल्ब बनाने में मदद मिली. इस तरह भारत का भी बल्ब के आविष्कार मे विशेष योगदान रहा है.