सोनिया गांधी भारतीय राजनेता और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष हैं. वह पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पत्नी हैं. सोनिया 15वीं लोक सभा में न सिर्फ़ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, बल्कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन यूपीए की भी प्रमुख हैं. वे 14वीं लोक सभा में भी यूपीए की अध्यक्ष थीं. वह कांग्रेस के 132 वर्षो के इतिहास में सर्वाधिक लंबे समय ( सन 1998 से 2017 ) तक रहने वाली अध्यक्ष हैं.
कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में सोनिया का कार्यकाल पार्टी के इतिहास में सबसे लंबा है, जिसमें उन्होंने 2004 और 2009 में केंद्र में सरकार बनाने में प्रमुख भूमिका निभाई थी. वह फोर्ब्स की सबसे शक्तिशाली महिलाओ की सूची में अनेकों बार जगह बनाई है.
सोनिया गांधी का जन्म ता : 9 दिसम्बर 1946 के दिन छोटे से गाँव लूसियाना, वेनेटो, इटली मे हुआ था. सोनिया का जन्म का नाम माइनो था. उन्हें ई. सन 1946 से 1983 तक इटली की और सन 1983 से वर्तमान तक भारत की नागरिकता प्राप्त है.
सोनिया स्व : राजीव गांधी की पत्नी है उसके राहुल गांधी और प्रियंका गांधी बच्चे है. आप 10 जनपथ, नई दिल्ली मे निवास करती है. उनके पिता स्टेफ़िनो मायनो एक फासीवादी सिपाही थे, जिनका निधन 1983 में हुआ था. उनकी माता का नाम पाओलो मायनों हैं. उनकी दो बहनें हैं. उनका बचपन टूरिन, इटली से 8 कि.मी. दूर स्थित ओर्बसानो में व्यतीत हुआ था. उनका जन्म का नाम सोनिया माइनो है.
सन 1964 में वे कैम्ब्रिज विश्व विद्यालय में बेल शैक्षणिक निधि के भाषा विद्यालय में अंग्रेज़ी भाषा का अध्ययन करने गयीं जहाँ उनकी मुलाकात राजीव गांधी से हुई जो उस समय ट्रिनिटी कॉलेज कैम्ब्रिज में पढ़ते थे. 1968 में दोनों का विवाह हुआ जिसके बाद वे भारत में रहने लगीं. राजीव गाँधी के साथ विवाह होने के 17 साल बाद उन्होंने 1983 में भारतीय नागरिकता स्वीकार की.
राजीव गांधी की हत्या होने के पश्चात कांग्रेस के वरिष्ट नेताओं ने सोनिया से पूछे बिना उन्हें कांग्रेस का अध्यक्ष घोषित कर दिया. परंतु सोनिया ने इसे स्वीकार नहीं किया और राजनीति और राजनीतिज्ञों के प्रति अपनी घृणा और अविश्वास को इन शब्दों में व्यक्त किया कि, “मैं अपने बच्चों को भीख मांगते देख लूँगी, परंतु मैं राजनीति में कदम नहीं रखूँगी.”
लंबे समय तक राजनीति में कदम न रख कर उन्होंने अपने बेटे और बेटी का पालन-पोषण करने पर अपना ध्यान केंद्रित किया. उधर पी वी नरसिंहाराव के प्रधानमंत्रित्व काल के पश्चात् कांग्रेस 1996 का आम चुनाव भी हार गई, जिससे कांग्रेस के नेताओं ने फिर से नेहरु-गांधी परिवार के किसी सदस्य की आवश्यकता अनुभव की.
उनके दबाव में सोनिया गांधी ने 1997 में कोलकाता के प्लेनरी सेशन में कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता ग्रहण की और उसके 62 दिनों के अंदर सन 1998 में वो कांग्रेस की अध्यक्ष चुनी गयीं. उन्होंने सरकार बनाने की असफल कोशिश भी की. राजनीति में कदम रखने के बाद उनका विदेश में जन्म हुए होने का मुद्दा उठाया गया. उनकी कमज़ोर हिन्दी को भी मुद्दा बनाया गया. उन पर परिवारवाद का भी आरोप लगा लेकिन कांग्रेसियों ने उनका साथ नहीं छोड़ा और इन मुद्दों को नकारते रहे.
सोनिया गांधी अक्टूबर 1999 में बेल्लारी, कर्नाटक से और साथ ही अपने दिवंगत पति के निर्वाचन क्षेत्र अमेठी, उत्तर प्रदेश से लोकसभा के लिए चुनाव लड़ीं और करीब तीन लाख वोटों की विशाल बढ़त से विजयी हुईं.1999 में 13वीं लोक सभा में वे विपक्ष की नेता चुनी गईं.
सन 2004के चुनाव से पूर्व आम राय ये बनाई गई थी कि अटल बिहारी वाजपेयी प्रधान मंत्री बनेंगे पर सोनिया ने देश भर में घूमकर खूब प्रचार किया और सब को चौंका देने वाले नतीजों में यूपीए को अनपेक्षित 200 से ज़्यादा सीटें मिली.
सोनिया गांधी स्वयं रायबरेली, उत्तर प्रदेश से सांसद चुनी गईं. वामपंथी दलों ने भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से बाहर रखने के लिये कांग्रेस और सहयोगी दलों की सरकार का समर्थन करने का फ़ैसला किया जिससे कांग्रेस और उनके सहयोगी दलों का स्पष्ट बहुमत पूरा हुआ.
16 मई 2004 को सोनिया गांधी 16-दलीय गंठबंधन की नेता चुनी गईं जो वामपंथी दलों के सहयोग से सरकार बनाता जिसकी प्रधानमंत्री सोनिया गांधी बनती. सबको अपेक्षा थी की सोनिया गांधी ही प्रधानमंत्री बनेंगी और सबने उनका समर्थन किया. परंतु एन डी ए के नेताओं ने सोनिया गांधी के विदेशी मूल पर आक्षेप लगाए.
सुषमा स्वराज और उमा भारती ने घोषणा की कि यदि सोनिया गांधी प्रधानमंत्री बनीं तो वे अपना सिर मुँडवा लेंगीं और भूमि पर ही सोयेंगीं. 18 मई को उन्होने मनमोहन सिंह को अपना उम्मीदवार बताया और पार्टी को उनका समर्थन करने का अनुरोध किया और प्रचारित किया कि सोनिया गांधी ने स्वेच्छा से प्रधानमंत्री नहीं बनने की घोषणा की है.
कांग्रेसियों ने इसका खूब विरोध किया और उनसे इस फ़ैसले को बदलने का अनुरोध किया पर उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री बनना उनका लक्ष्य कभी नहीं था. सब नेताओं ने मनमोहन सिंह का समर्थन किया और वे प्रधानमंत्री बने पर सोनिया को दल का तथा गठबंधन का अध्यक्ष चुना गया.
राष्ट्रीय सुझाव समिति का अध्यक्ष होने के कारण सोनिया गांधी पर लाभ के पद पर होने के साथ लोकसभा का सदस्य होने का आक्षेप लगा जिसके फलस्वरूप 23 मार्च 2006 को उन्होंने राष्ट्रीय सुझाव समिति के अध्यक्ष के पद और लोकसभा का सदस्यता दोनों से त्यागपत्र दे दिया. मई 2006 में वे रायबरेली, उत्तरप्रदेश से पुन: सांसद चुनी गईं और उन्होंने अपने समीपस्थ प्रतिद्वंदी को चार लाख से अधिक वोटों से हराया.
सन 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने फिर यूपीए के लिए देश की जनता से वोट मांगा. एक बार फिर यूपीए ने जीत हासिल की और सोनिया यूपीए की अध्यक्ष चुनी गईं.
महात्मा गांधी की वर्षगांठ के दिन 2 अक्टूबर 2007 को सोनिया गांधी ने संयुक्त राष्ट्र संघ को संबोधित किया.10 अगस्त 2019 को उनको पुनः कांग्रेस पार्टी का अंतरिम अध्यक्ष चुना गया.
( साभार विकिपीडिया )