यरवदा जेल और जैलो के प्रकार.

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जेल हम लोग उस स्थान को कह सकते है, जहां गुन्हेगार सजा काटते है. जेलमे एक मुख्या होता है, जिसे जेलर कहा जाता है. वैसे जेल और कैदियों के प्रबंधन से संबंधित हर कानूनों, नियमों, र्निदेशों व आदेशों का सख्ती से पालन करे या करवाने वाले को जेलर कहा जाता है.

भारत में जेलोंके कुल 8 प्रकार है. (1) केंद्रीय जेल, (2) जिला जेल, (3) उप जेल, (4) महिला जेल, (5) खुली जेल, (6) बोर्स्टल-शाला, (7) विशेष जेल और (8) अन्य जेल. दो साल से अधिक सज़ा मिलने पर गुनहगार को केंद्रीय जेल में रखा जाता है.

आज मुजे यरवदा जेल के बारेमें बात करनी है. यरवदा सेंट्रल जेल पुणे के यरवदा स्थित एक प्रसिद्ध उच्च सुरक्षा जेल है. यह महाराष्ट्र राज्य की सबसे बड़ी जेल है, और दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी जेलों में से एक है.

गांधीजी और जवाहरलाल नेहरू सहित कई प्रसिद्ध राष्ट्रवादी सेनानियों को यहां जेल में बंद किया गया था. इस

परिसर के बाहर एक खुली जेल के अलावा, विभिन्न बैरकों और सुरक्षा क्षेत्रों में फैली है. यह जेल कुल 512 एकड़ में फैली हुई है. इसमें करीबन 5000 से अधिक कैदी हैं और यह दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी जेलों में से एक है.

परिसर के भीतर, मुख्य उच्च सुरक्षा जेल चार ऊंची दीवारों द्वारा संरक्षित है और विभिन्न सुरक्षा क्षेत्रों और बैरकों में विभाजित है. इसमें उच्च सुरक्षा वाले कैदियों के लिए अंडे के आकार की कोठरियां भी हैं. सन 2003 में महाराष्ट्र राज्य मानवाधिकार आयोग ने नोटिस जारी किया था, के बाद समाचार रिपोर्टों के बाद इसे भीड़भाड़ और खराब रहने की स्थिति के लिए जाना जाता है.

यरवदा सेंट्रल जेलको सन 1871 में अंग्रेजों द्वारा बनाया गया था , जब यह पुणे शहर की सीमा के बाहर था.

ब्रिटिश शासन के दरम्यान, जेल में श्री महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, नेताजी सुभाष बोस, और बाल गंगाधर तिलक और भूराला रणछोड़ दास शेठ सहित कई भारतीय राष्ट्रवादी सेनानियों को रखा गया था. 1924 में विनायक दामोदर सावरकर जी को भी इसी जेल में रखा गया था.

महात्मा गांधी ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, विशेष रूप से 1932 में और बाद में 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान कई अन्य राष्ट्रवादी सेनानियों के साथ यरवदा जेल में कई साल बिताए थे.

सन 2015 के जेल सांख्यिकी भारत की रिपोर्ट के अनुसार भारत में कुल 1401 जेल है जिनकी कुल अधिकृत क्षमता 366781 है.

भारत में कुल आठ प्रकार की जेलें हैं. जेलें राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आती हैं. सुरक्षा, रहने की व्यवस्था, मेडिकल जैसी सुविधा के लिए सरकारें समय-समय पर केंद्र सरकार की मदद लेती रहती हैं. जेल के आठ प्रकार ये हैं:

जेलो के प्रकार और जेलों की क्षमता :

(1) सेंट्रल जेल :

सेंट्रल जेल में उन कैदियों को रखा जाता है, जिन्हें दो साल से अधिक की सजा हुई हो या जिन्होंने किसी घिनौने अपराध को अंजाम दिया हो. यहाँ बंद कैदी जेल में काम कर पैसे कमा सकते हैं. भारत में सन 2018 तक कुल 144 सेंट्रल जेल हैं.

(2) जिला जेल :

जिला जेल और सेंट्रल जेल में ज्यादा अंतर नहीं होता है. जिला जेल उन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मुख्य जेल की भूमिका निभाती है, जहाँ सेंट्रल जेल नहीं होती. 2018 तक के आकंड़ों के मुताबिक, भारत में 404 जिला जेल हैं. उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा जिला जेल हैं.

(3) उप जेल :

उप जेल उपमंडल स्तर पर बनाए गए होते हैं. हरियाणा,मेघालय,मणिपुर आदि राज्यों में उप जेल नहीं है. हाल में भारत में 628 उप जेल हैं.

(4) महिला जेल :

नाम से ही जाहिर होता है कि इन जेलों में केवल महिला कैदियों को रखा जाता है. यहाँ के स्टाफ में भी सारी महिलाएं ही होती हैं. फिलहाल देशभर में 24 महिला जेल हैं. दिसंबर, 2018 तक के आकंड़ों के मुताबिक, इन 24 जेलों में 3,243 महिला कैदी बंद हैं.

(5) ओपन जेल :

ओपन जेलों में दीवारें, सलाखे और ताले नहीं होते. यहाँ सुरक्षा व्यवस्था भी कम होती है. इन जेलों में उन कैदियों को रखा जाता है, जिनका व्यवहार अच्छा हो और जो नियमों पर खरे उतरते हैं. यहाँ के कैदी खेती आदि कर पैसे कमा सकते हैं. U1962 में देश में पहली बार इस जेल की शुरुआत हुई थी, और आज भारत में 77कुल जेल हैं.

(6) बॉस्टर्ल स्कूल

बॉस्टर्ल स्कूल एक प्रकार के यूथ डिटेंशन सेंटर्स होते हैं. इन स्कूलों में अपराध में शामिल नाबालिगों को रखा जाता है. यहाँ उनके कल्याण और पुनर्वास आदि पर जोर दिया जाता है. यहाँ उन्हें शिक्षा और वोकेशनल ट्रेनिंग दी जाती है ताकि बाहर जाने के बाद उन्हें रोजगार मिल सके और वे अपराध से दूर रहे। भारत में 19 बोस्टर्ल स्कूल हैं, हालाँकि केंद्र शासित प्रदेशों में एक भी बॉस्टर्ल स्कूल नहीं है.

(7) स्पेशल जेल :

स्पेशल जेलों में घुसपैठ और आतंकवाद से जुड़े मामले के कैदियों को रखा जाता है. इन जेलों में सुरक्षा के विशेष प्रबंध होते हैं. इन जेलों में महिला कैदियों को भी रखा जा सकता है. भारत में 41 स्पेशल जेल हैं. केरल, असम, महाराष्ट्र, तमिलनाडु आदि राज्यों में ऐसी जेलें बनी हुई है.

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