सिद्धियों का प्रणेता सनातन हिंदू धर्म.

Untitled design

सनातन हिंदू धर्म प्रणाली विश्व की सबसे अधिक पुरानी परंपरा है. ये हमें जीनेकी राह दिखाती है. ये हमारे पूर्वज ऋषि, मुनि, साधु तथा संतों की हजारों सालोकी कठोर तपस्चर्या का फल है.

सनातन हिंदू धर्म प्रणाली के बारेमें हमें वेद, पुराण, तथा धार्मिक ग्रंथो मे विस्तार से वर्णन मिलता है. महर्षि व्यास जी के अनुसार सत युग, त्रेता युग, द्वापर युग, कलि युग ये चार युग हैं, जो देवता ओ के बारह हज़ार दिव्य वर्षो के बराबर होते हैं. चार युग मे आरम्भ सत्ययुग से होता है अंत में कलयुग आता है.

त्रेता युग मे राम रावण का युद्ध हो या द्वापर युग मे महाभारत का युद्ध हो, दोनों युद्ध मे व्यापक प्रमाण मे अस्त्र – शस्त्र का प्रयोग हुआ था. धरती मे बाण मारकर पानी निकालना, मंत्र से अग्नि प्रज्जवलित करना ये बात आज हम लोगोंको भले असंभव लगती हो मगर वो हमारे पूर्वजो की सिद्धि का ही एक करिश्मा था.

धृतराष्ट्र नेत्रहीन थे, वह युद्ध का पूरा हाल जानना चाहते थे. उस समय महर्षि वेदव्यास ने संजय को दिव्य दृष्टि प्रदान की, जिससे उन्होंने कुरुक्षेत्र में हुई एक-एक पल की घटना को देखा और राजा धृतराष्ट्र को सुनाते गए. ये क्या चमत्कार से कम था ?

वर्तमान मे बागेश्वर धाम के गुरूजी श्री धीरेंद्र शास्त्री जी सुर्खियोंमे है. मन की बातेंको पहेलेसे एक पेपर पर लिख देना, भूत – प्रेत जैसी मैली आत्माओ को अपनी योग शक्ति से काबूमें पा लेना जैसी सिद्धियो के कारण उनकी ख्याति दिन दुगुना रात चौगुना बढ़ रही है.

किसीके बीते हुए दिन की बात को बताना सिद्धि से संभव हो सकता है, मगर भविष्य मे समस्या का समाधान किये जाने की बात करना मुश्किल सा लग रहा है. गुरूजी धीरेन शास्त्री जी भी इसके लिए मंत्र, तप, जाप, पूजा पाठ का रास्ता बता रहा है. जो हमारे शस्त्रों मे आगेसे लिखकर अस्थित्व मे है.

इस पर धीरेंद्र शास्त्री जी कितने खरे उतरते है उसके लिए हमें आने वाले दिन का बेसब्री से इंतजार करना होगा. हर किसीका एक समय होता है. वर्तमान समय धीरेंद्र शास्त्री का है. उसके चाहने वालोंकी संख्या इतनी तेजीसे बढ़ रही है की व्यवस्था को काबूमें रखना कठिन सा हो रहा है.

तांत्रिक चंद्रास्वामी :

सन 1991 में प्रधानमंत्री बने पी वी नरसिम्हाराव के आध्यात्मिक गुरु थे. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्रसिद्ध इतिहासकार पैट्रिक फ्रेंच ने “इंडिया- ए पोट्रेट” में लिखा है कि चंद्रास्वामी कोई सभ्य आदमी तो नहीं थे, लेकिन उनमें दूसरों के दिमाग को जीतने का हुनर था.

दुनिया के कई देशों के ताकतवर राजनेताओं पर उनका खास प्रभाव था. इसमें ब्रिटेन की पूर्व प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर का नाम भी शामिल था. पूर्व विदेश मंत्री कुंवर नटवर सिंह ने अपनी पुस्तक ” वॉकिंग विद लायंस ” में लिखा है कि तांत्रिक चंद्रास्वामी ने मार्गरेट थैचर के ब्रिटेन की प्रधानमंत्री बनने की भविष्यवाणी की थी, जो बाद में सच भी साबित हुई थी.

चंद्रास्वामी की ख्याति सिर्फ भारत, ब्रिटेन और फ्रांस तक ही सीमित नहीं थी, बल्कि कि ब्रूनेई के सुल्तान, बहरीन के शासक, जायर के राष्ट्राध्यक्ष उनके भक्त हो गए थे. इसके अलावा कहते हैं कि हॉलीवुड एक्ट्रेस एलिजाबेथ टेलर भी उनकी भक्त थीं.

सत्य साईं बाबा :

सत्य साईं बाबा को आध्यात्मिक गुरु शिरडी के साईं बाबा का अवतार माना जाता है. शिरडी के साईं बाबा के समाधि लेने के ठीक 8 साल बाद आंध्र प्रदेश के पुट्टपर्थी नामक स्थान पर सन 1926 में सत्यनारायण राजू का जन्म हुआ था. राजू को 13 साल की उम्र में साईं का अवतार मान लिया गया था.

सत्य साईं बाबा अक्सर हवा में हाथ लहराते हुए हाथों में सोने या चांदी की चेन ले आते थे और अपने किसी भक्त के गले में डाल देते थे. वें अक्सर हवा में हाथ को लहराते हुए हाथों में भभूती ले आते थे और अपने भक्तों को दे देते थे. कई बार वे छोटे से पात्र से कई किलों भभूति निकाल देते थे.

हवा से भभूति बरसाना, हाथों में सोने की चेन या अंगूठी का अचानक कहींसे आ जाना, शिवरात्रि पर सोने का शिवलिंग अपने मुंह से निकालना आदि चमत्कारों को देखकर जनता में और भी ज्यादा श्रद्धा उत्पन्न होती थी. क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर सत्य साईं बाबा का भक्त था.

विशेष टिप्पणी :

तांत्रिक चंद्रास्वामी और सत्य साईं बाबा अपने समय मे विवादों से घेरे रहे.

ऐसे तो सेकड़ो लोग अपने अपने समय मे अपनी हस्तगत कि गई सिद्धि के कारण सुर्खियों मे रहे. कल ही हम लोगोंने करोली बाबा के चमत्कारो की जानकारी हासिल की थी. वैसे ही आज वागेश्वर धाम के बाबा धीरेंद्र शास्त्री जी का प्रभुत्व है.

जादूगर हाथ चालाकी से अपना करतब दिखाता है जब कि एक सिद्ध पुरुष अपनी कठोर साधना, तपस्चर्या से अपने देवता के बलबूते पर करिश्मा करके दिखाता है.

जब तानसेन राग मल्हार गाते थे तो आसमान से पानी बरसता था, जब वो दीपक राग गाते थे तो दीये जल जाते थे. क्या ये सिद्धि का प्रमाण नहीं है ?

धीरेंद्र शास्त्री अपनी सिद्धि का यश अपने दादा और गुरु श्री संन्यासी बाबा की कृपा और बागेश्वर धाम के बालाजी का आशीर्वाद बता रहे है. कुछ भी हो मगर उनके द्वारा कराया जा रहा राम नाम का जाप, समस्त सनातन संस्कृति को संबल दे रहा है.

About पत्रकार : सदाशिव माछी -"शिव सर्जन"

View all posts by पत्रकार : सदाशिव माछी -"शिव सर्जन" →