फ़िल्मी दुनिया बॉलीवुड का काला सच, जो दीखता हैं, वो बिकता हैं.

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बॉलीवुड की फ़िल्म का एक मंत्र हैं, ” जो दिखता हैं, वो बिकता हैं. ” और इस मंत्र को सिद्ध करने के लिए प्रोडूसर डिरेक्टर नीचता की हर हद पार कर जाते हैं, और नारी के प्राइवेट पार्ट को दर्शाने की कोशिश करते हैं.

ग्रेट शोमैन के नाम से बॉलीवुड फ़िल्म इंडस्ट्रीज में प्रसिद्ध कलाकार श्री राज कपूर अपनी फ़िल्मों में कामुक प्रेम कहानियों को मादक अंदाज में परदे पर पेश करने के लिए जाने जाते हैं.

राज दर्शकों की पसंदगी का अंदाज समज गये थे. उन्हें यह पता चल गया था कि जो दीखता हैं , वो बिकता हैं. और इसी मंत्र को जीवन में अपनाते हुए उसने अपनी हर फ़िल्म में नारी के देह को बोल्ड में दर्शाने का नया अभिगम अपनाया था.

बरसात, बॉबी, मेरा नाम जोकर, जिस देश में गंगा बहती हैं, अनाड़ी, श्री 420, संगम, और चोरी चोरी जैसी हर हिंदी फ़िल्म में उन्होने प्रेम कहानी को प्राधान्य दिया था. हद तो तब होती हैं जब उन्होंने” सत्यम शिवम सुंदरम “जो होली के दिन ता : 24 मार्च 1978 के दिन रिलीज हुई थी. जिस फ़िल्म मे जीनत अमान के स्तन को खुल्लम खुला दिखाया था. दर्शक भी इस फ़िल्म को देखने के लिए दीवाने हो गये थे.

इस फिल्म के प्रदर्शन को हिमाचल प्रदेश के रहने वाले श्री लक्ष्मण नाम के शख्स ने अदालत में चुनौती दी थी. फिल्म के माध्यम से “अश्लीलता ” को बढ़ावा देने के लिए श्री राज कपूर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 292 के तहत मुकदमा दर्ज किया था.

स्थानीय मजिस्ट्रेट कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए राज कपूर को सम्मन/नोटिस जारी किया गया था. नोटिस को राज कपूर जी ने उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी थी लेकिन उच्च न्यायालय ने हस्तक्षेप नहीं किया, इसके बाद कपूर ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. न्याय ने फिल्म निर्माता के विवाद में दम पाया और अभियोजन पक्ष को दहलीज पर ही खारिज कर दिया था.

अन्य एक ” राम तेरी गंगा मेली ” फ़िल्म जो सन 1985 में रिलीज हुई थी. जिसका निर्देशन अभिनेता श्री राज कपूर ने किया था और मुख्य भूमिकाओं में मन्दाकिनी और उनके पुत्र राजीव कपूर थे. यह फिल्म ने कई रिकॉर्ड तोड़े थे, और सबसे ज्यादा कमाई करने वाली हिन्दी फिल्म रही थी. फिल्म पारदर्शी साड़ी में स्नान और स्तनपान करने के मन्दाकिनी के दृश्यों के कारण बहुत ही विवादास्पद रही थी.

फिल्मों में कास्टिंग काउच की बात कोई नई नहीं हैं. वैसे कास्टिंग काउच अनैतिक और गैर कानूनी आचार को कहते हैं जिसमें कोई उम्मीदवार या किसी जूनियर से किसी व्यवसाय में प्रवेश करने या किसी संगठन के भीतर कैरियर की उन्नति के लिए सेक्स की मांग की जाती है. शब्द कास्टिंग काउच चलचित्र फिल्म उद्योग में उत्पन्न हुआ हैं. काउच का मतलब सोफा होता है.

फिल्म इंडस्ट्री में कास्टिंग काउच कोई नई बात नहीं हैं. कई अभिनेत्रियां इस बात का खुलासा कर चुकी हैं कि वह कास्टिंग काउच की शिकार हुई थी. वास्तव में यह ग्लैमर की चकाचौंध से भरे बॉलीवुड का काला सच है, जिसमें एक्ट्रेसेज को इस तरीके के घटिया काम मजबूरी में करने पड़ते हैं, जिनके लिए वह बिल्कुल तैयार नहीं होती हैं. कई अभिनेत्रियां अच्छी फिल्में अपने हाथ से निकल जाने के डर से इसके लिए तैयार हो जाती हैं तो कई कास्टिंग काउच का खुलकर विरोध भी करती हैं.

मशहूर अभिनेत्री विद्या बालन ने भी इसका विरोध किया था, और शिकार होते बच गई थी. अभिनेत्री कंगना रनौत को भी अपने करियर के शुरुआती दौर में इस दर्द से गुजरना पड़ा था. कंगना फिल्म अभिनेता आदित्य पंचोली पर यौन शोषण का आरोप लगा चुकी हैं.

ममता कुलकर्णीं नब्बे के दशक की एक मशहूर अभनेत्री हैं. उन्होंने फिल्म चाइना गेट के दौरान राजकुमार संतोषी पर यौन शोषण का आरोप लगाया था. इस फिल्म में काम देने के बदले संतोषी ने उनके साथ हमबिस्तर की बात कही थी. बॉलीवुड में ऐसी तो कई अभिनेत्री उत्पीड़न का शिकार हो चुकी हैं.

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