भारत को मंदिरों का देश कहा जाता हैं. यहां गलियोंसे लेकर बड़े शहर तक सब जगह मंदिरों की कमी नहीं है.
भारत के कई ऐसे मंदिर हैं जहां पर लोग अपनी मन्नत मांगने जाते हैं और मन्नत पूरी होने पर सैकड़ों करोडो रुपये मंदिरों की दानपेटी पर चढ़ावा या दान के रूपमें डाला जाता हैं.
आज हम भारत के सबसे अमीर मंदिरों की चर्चा करेंगे….
(1) पद्मनाभ स्वामी मंदिर, त्रिवेंद्रम :
पद्मनाभ स्वामी मंदिर को भारत के सबसे अमीर मंदिर के रूप में जाना जाता है. यह मंदिर तिरुवंतपुरम शहर के बीच में है. यह भगवान श्री विष्णु को समर्पित है, जिसका द्रविड़ शैली में निर्माण किया गया है. सनातन हिंदू धर्म का यह एक प्रमुख धार्मिक स्थल है. इस मंदिर का राख रखाव त्रावणकोर के पूर्व शाही परिवार द्वारा किया जाता है.
मंदिर में यहां पर भगवान श्री विष्णु की प्रतिमा शेषनाग पर शयन मुद्रा में बनाई गई हैं. इस मंदिर में भगवान श्री विष्णु को विश्राम अवस्था में स्थापित किया गया है. जिन्हें पद्मनाभ के नाम से जाना जाता है.
केरल राज्य में स्थित इस पद्मनाभ स्वामी मंदिर को भारत के सबसे अमीर मंदिर के रूप में जाना जाता है. मंदिर के शाही खजाने में सोने से बनी मूर्ति और हीरे का समावेश हैं. यहां भगवान श्री विष्णु की बहुत बड़ी सोने की मूर्ति विराम अवस्था में है.
इस श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर के 6 तहखानों में अब तक 1,32,000 करोड़ रुपये की संपत्ति मिल चुकी है. इनमें भगवान श्री विष्णु की साढ़े तीन फुट की एक सोने की मूर्ति मिली थी, जिनमें कीमती हीरे और पत्थर जड़े हुए थे. इस के अलावा 18 फुट लंबी सोने की चेन और कीमती पत्थर , हीरे प्राप्त हुए थे.
(2) तिरूपति बालाजी. आंध्रप्रदेश :
तिरुपति बालाजी का मंदिर भारत के आंध्र प्रदेश राज्य के चित्तूर जिला में विध्यमान है. यह मंदिर 7 पहाड़ों से मिलकर बने तिरुमाला के पहाड़ों पर स्थित हैं. इस तिरुमला की पहाड़ियों के बारे में बताया जाता है कि यह विश्व की दूसरी सबसे प्राचीन पहाड़िया हैं. इस तिरुपति बालाजी मंदिर में भगवान श्री विष्णु जी का अवतार भगवान वेंकटेश्वर के प्रतिमा को स्थापित किया गया है.
इस श्री तिरुपति बालाजी मंदिर का निर्माण तमिलराजा थोडईमान ने किया था. मंदिर की वास्तुकला खूब आकर्षक और अद्भुत है. बताया जाता है कि यहां पर रोज करीब 50000 से भी अधिक श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं.
बालाजी मंदिर भारत के सबसे अमीर मंदिरों की लिस्ट में दूसरे नंबर पर आता है. बालाजी मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां पर हर साल करीबन 650 करोड रुपए दान के रूप में लोग देते हैं. मंदिर के पास करीब 9 टन सोने का भंडार भी है.
(3) साईं बाबा मंदिर, शिरडी :
साईं बाबा मंदिर भारत के महाराष्ट्र राज्य के शिर्डी नामक एक स्थान पर विध्यमान है. साईं बाबा एक भारतीय फकीर थे उन्हें भक्तों द्वारा संत के नाम से पुकारा जाता है . बाबा का नारा था कि ” सबका मालिक एक.” बताया जाता है कि उनके असली नाम और माता पिता के बारेमें कोई जानकारी किसीके पास उपलब्ध नहीं है.
शिर्डी के इस साईं बाबा मंदिर में करोड़ों रुपियों का दान दिया जाता है. श्री साईं बाबा के मंदिर में करीब 300 किलो से भी अधिक सोना और 4000 किलो से भी अधिक चांदी के साथ-साथ हजारों करोड़ नगद रुपया इस मंदिर के तिजोरी में जमा है. इसके अलावा इस मंदिर में करीब हर साल 300 करोड़ से भी अधिक दान भक्तों से दिया जाता है.
(4) वैष्णो देवी मंदिर, जम्मू :
माता वैष्णो देवी का मंदिर भारत के त्रिकूट हिल्स में कटरा नामक जगह पर विध्यमान है. यह मंदिर भारत के हिंदुओं का पवित्र तीर्थ स्थल में से एक माना जाता है. इस मंदिर में हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु भारत के अन्य क्षेत्रों से मन्नत मांगने आया करते हैं. एक कथा के अनुसार बताया जाता है कि माता वैष्णो ने इस गुफा में छिपे एक राक्षस का वध किया था.
श्री मंदिर का देखरेख वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड द्वारा किया जाता है. इस मंदिर में दान के रूपमें करोड़ रुपये की संपत्ति जमा होती है. माता वैष्णो मंदिर भारत में स्थित शक्तिपीठ मंदिरों में से एक माना जाता है. यहां पर हर साल भारत के अलावा विश्व के अलग-अलग देशों से भी काफी अधिक संख्या में लोग दर्शन के लिए आते है.
मान्यता के अनुसार माता वैष्णो देवी ने त्रेता युग में माता पार्वती, सरस्वती और लक्ष्मी के रूप में मानव जाति के कल्याण के लिए एक सुंदर राजकुमारी का अवतार लिया था. उन्होंने त्रिकुटा पर्वत पर तपस्या की थी. बाद में उनका शरीर तीन दिव्य ऊर्जाओं महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती के सूक्ष्म रूप में विलीन हो गया था.
माता वैष्णो देवी को माता रानी , त्रिकुटा, अम्बे और वैष्णवी के नाम से भी जाना जाता है. हिंदू माता देवी, दुर्गा या आदि शक्ति का एक रूप हैं. यह श्री मंदिर भारत के कटरा में विध्यमान है.
(5) श्री सिद्घिविनायक मंदिर, मुंबई :
श्री सिद्धिविनायक मंदिर महाराष्ट्र राज्य के मुंबई महा नगर शहर क्षेत्र में प्रभादेवी स्थित भगवान श्री गणेश जी का जागृत लोकप्रिय मंदिर है. मंदिर में भगवान गणेश जी की प्रतिमा की सूंड दाहिनी तरफ मुड़ी हुई हैं. इस मंदिर के बारे में ऐसा कहा जाता है कि यहां पर जाने वाले हर भक्तों की मनोकामना पूरी हो जाती हैं.
यहां पर लोग भारत के अलग-अलग क्षेत्रों के अलावा विदेशों से भी कई लोग दर्शन करने आते हैं. इस मंदिर में फ़िल्म की मशहूर हस्तियों से लेकर उद्योगपति तक कई मशहूर हस्ती भी आते देखी जा सकती हैं. इस मंदिर की वार्षिक आवक करोडो रुपए में होती हैं.
बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण संवत् 1692 में हुआ था. मगर सरकारी दस्तावेजों के मुताबिक इस मंदिर का 19नवंबर 1801 में पहली बार निर्माण हुआ था. सिद्धि विनायक का यह पहला मंदिर बहुत छोटा था. पिछले दो दशकों में इस मंदिर का कई बार पुनर्निर्माण हो चुका है.
एक दशक पहले सन 1991में महाराष्ट्र सरकार ने इस मंदिर के भव्य निर्माण के लिए 20 हजार वर्गफीट की जमीन प्रदान की. वर्तमान में सिद्धि विनायक मंदिर की इमारत पांच मंजिला है और यहां प्रवचन ग्रह, संग्रहालय और दूसरी मंजिल पर अस्पताल भी है, जहां रोगियों की मुफ्त चिकित्सा की जाती है. इसी मंजिल पर रसोईघर है, जहां से एक लिफ्ट सीधे गर्भग्रह में आती है. पुजारी गणपति के लिए निर्मित प्रसाद व लड्डू इसी रास्ते से लाते हैं.
सिद्धिविनायक मंदिर को हर साल करोड़ों रुपये दान मिलता है, यह मुंबई शहर का सबसे अमीर मंदिर ट्रस्ट है.
(6) मीनाक्षी अम्मन मंदिर मदुरै :
मीनाक्षी अम्मन मंदिर भारत के तमिलनाडु राज्य के मदुरई शहर में विध्यमान है. इस मंदिर को विश्व के सात अजूबे के रूप में भी जाना जाता है. यह मीनाक्षी अम्मन मंदिर भगवान शिव और मीनाक्षी माता पार्वती को समर्पित धार्मिक स्थल हैं. यह मीनाक्षी मंदिर को माता पार्वती के सबसे पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है. इस मंदिर की भी भारत के अन्य अमीर मंदिरों में गिनती होती है.
मदुरई में भगवान शिव को सुंदरेश्वर और माता पार्वती को मीनाक्षी कहते है. पौराणिक कथा के अनुसार मदुरई के पांड्य राजा मलयध्वज की संतान नहीं थी. उन्होंने संतान प्राप्ति के लिए शिव जी की घोर तपस्या की. और उन्हें प्रसन्न किया, तब माता पार्वती ने उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लिया.
राजा मल्लय ध्वज और रानी कांचन माला की बेटी को देवी मीनाक्षी माना जाता है जिसका जन्म कई यज्ञों के बाद हुआ था. यह तीन वर्ष की बालिका अंतिम यज्ञ की आग से प्रकट हुई थी. वे अत्यंत सुन्दर थी, उनका नाम मीनाक्षी रखा गया. मीनाक्षी देवी से विवाह करने के लिए भगवान शिव ने सुंदरेश्वर के रूप में जन्म लिया.
सोलह वी शताब्दी में श्री विश्वनाथ नायक ने इस मंदिर का दुबारा निर्माण करवाया था और इसका विस्तार भी किया था. इस मंदिर को विदेशी क्रूर शासको ने लूटा था, और तमाम सोना अन्य वस्तुए वे लूटकर ले गए थे.
(7) श्री जगन्नाथ मंदिर, पूरी.
श्री जगन्नाथ मंदिर भारत के उड़ीसा राज्य के तटवर्ती शहर पूरी में है. पूरी शहर को जगन्नाथपुरी के नाम से भी जाना जाता है. यह श्री जगन्नाथ हिंदू मंदिर भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है जिन्हें इस मंदिर में जगन्नाथ भगवान के नाम से जाना जाता है.
जगन्नाथ मंदिर को हिंदुओं के चार धाम में से एक माना जाता है. इस मंदिर में लोग दूर-दूर से आते है. इस मंदिर का नाम भारत के 10 सबसे अमीर मंदिरों में भी शामिल हैं. यह मंदिर यहां पर आयोजित होने वाले वार्षिक रथ यात्रा उत्सव के लिए प्रचलित हैं. यहां पर कई लोग रथयात्रा में लोग शामिल होते है. और अधिक संख्या में लोग करोड़ों में दान भी किया करते हैं.
जगन्नाथ मंदिर यह दुनिया का सबसे भव्य और ऊंचा मंदिर है. यह मंदिर 4 लाख वर्गफुट क्षेत्र में फैला है और इसकी ऊंचाई लगभग 214 फुट है. मंदिर के पास खड़े रहकर इसका गुंबद देख पाना असंभव है. मुख्य गुंबद की छाया दिन के किसी भी समय नहीं दिखाई देती है.
महान सिख सम्राट महाराजा श्री रणजीत सिंह ने इस मंदिर को बहुत स्वर्ण दान किया था, जो कि उनके द्वारा स्वर्ण मंदिर, अमृतसर को दिए गए स्वर्ण से कहीं अधिक था. बताया जाता है कि ईसा मसीह सिल्क रूट से होते हुए जब कश्मीर आए थे तब पुन: बेथलेहम जाते वक्त उन्होंने भगवान जगन्नाथ के दर्शन किए थे.
नव वीं शताब्दी में आदिशंकराचार्य ने यहां की यात्रा की थी और यहां पर उन्होंने चार मठों में से एक गोवर्धन मठ की स्थापना की थी.
(8) श्री सोमनाथ मंदिर गुजरात :
सोमनाथ मंदिर गुजरात राज्य के वेरावल बंदरगाह पर स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर हैं. इस मंदिर की गिनती देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में प्रथम स्थान पर की जाती हैं. गुजरात के काठियावाड़ क्षेत्र में समुद्र के किनारे सोमनाथ नामक विश्वप्रसिद्ध मंदिर में यह ज्योतिर्लिंग स्थापित है.
बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण स्वयं चंद्रदेव ने किया था. इस मंदिर पर पौराणिक समय में कई बार हमला किया जा चुका है और इसका कई बार पुनः निर्माण भी किया गया है.
इस मंदिर में भी हर साल करोड़ों का चढ़ावा भक्तों के द्वारा दिया जाता है जिसकी वजह से यह मंदिर भी भारत के अमीर मंदिरों में शामिल हैं. गुजरात राज्य में स्थित सोमनाथ मंदिर हमेशा से ही भारत देश के अमीर मंदिरों में से एक रहा है यही वजह है कि इसको 17 बार लूटा गया.
यह मंदिर गर्भगृह, सभामंडप और नृत्यमंडप तीन भागों में विभाजित है. इसका 150 फुट ऊंचा शिखर है. इसके शिखर पर स्थित कलश का भार दस टन है और इसकी ध्वजा 27 फुट ऊंची है. इस मंदिर का पुनर्निर्माण महारानी अहिल्याबाई ने करवाया था.
(9) सबरीमला अयप्पा मंदिर, केरल :
सबरीमाला अय्यप्पा मंदिर केरल राज्य में स्थित भारत देश के प्रमुख मंदिरों में से एक हैं. यह सबरीमाला अय्यप्पा मंदिर एक ऐसा अनोखा मंदिर है जहां पर केवल पुरुष ही जा सकते हैं. यह मंदिर पहाड़ों और घने जंगलों के बीच स्थित समुद्र तल से तकरीबन 4000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. यहां पर हर साल काफी अधिक संख्या में श्रद्धालु भारत के अलग-अलग क्षेत्रों के से आया करते हैं.
यह अय्यप्पा स्वामी मंदिर करोड़ों हिंदुओं की आस्था का प्रतीक है. दक्षिण भारत के केरल सबरीमाला में अय्यप्पा स्वामी मंदिर है. सबरीमाला का नाम शबरी के नाम पर है, जिनका जिक्र रामायण में है. ये मंदिर 18 पहाड़ियों के बीच में बसा है. यहां एक धाम में है, जिसे सबरीमला श्रीधर्मषष्ठ मंदिर कहा जाता है. पंद्रह नवंबर का मंडलम और चौदह जनवरी की मकर विलक्कू, ये सबरीमाला के प्रमुख उत्सव हैं.
इस मंदिर के पास मकर संक्रांति की रात घने अंधेरे में एक ज्योति दिखाई देती है. इस ज्योति के दर्शन के लिए दुनियाभर से करोड़ों श्रद्धालु हर साल आते हैं. बताया जाता है कि जब-जब ये रोशनी दिखती है इसके साथ शोर भी सुनाई देता है. भक्त मानते हैं कि ये देव ज्योति है और भगवान इसे खुद जलाते हैं. इसे ” मकर ज्योति ” का नाम दिया गया है.
(10) अक्षरधाम मंदिर, दिल्ली.
अक्षरधाम मंदिर करीब 100 एकड़ के बड़े क्षेत्रों में फैला है. इस मंदिर को श्री स्वामीनारायण मंदिर या अक्षरधाम मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. यह अक्षरधाम मंदिर को दुनिया के सबसे विशाल हिंदू मंदिर के रूप में भी जाना जाता है. इस मंदिर की वास्तुकला देखने में आकर्षित है.और यहां पर हर साल लाखों की संख्या में भारत भर के अलग अलग क्षेत्रों के अलावा विदेशों से भी भाविक भक्त आते हैं. इस अक्षरधाम मंदिर में भगवान स्वामीनारायण की सोने की मूर्ति भी स्थापित की गई है.
नई दिल्ली में बना स्वामिनारायण अक्षरधाम मन्दिर एक सांस्कृतिक तीर्थ है. यह परिसर १०० एकड़ भूमि में फैला हुआ है. दुनिया का सबसे विशाल हिंदू मन्दिर परिसर होने के नाते 26 दिसम्बर 2007 को यह गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स में शामिल किया गया है.यहां
दर्शन करने करीब 10 लाख पर्यटक हर साल आते हैं.
अक्षरधाम मंदिर ता : 6 नवंबर 2005 को दर्शकों के लिए खोला गया था. मंदिर करीब 11000 श्रमिकों और संघ सेवकों की मदद से मात्र 5 वर्षों में तैयार किया गया था. अक्षरधाम मंदिर बोचासन वासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्थान द्वारा निर्मित है. यह लगभग 100 एकड़ के विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है. अक्षरधाम मंदिर का प्रमुख आकर्षण जिसमें की 350 फुट लंबा 315 फुट चौड़ा और 141 फुट ऊंचा मंदिर है. मंदिर में 11 फुट ऊंची स्वामीनारायण की प्रतिमा है.
(11) काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी :
काशी विश्वनाथ मंदिर भारत देश के उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी शहर में विध्यमान है. यह काशी विश्वनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक हैं. यह काशी विश्वनाथ मंदिर हिंदू धर्म के एक प्रमुख धार्मिक स्थल के रूप में जाना जाता है.
मंदिर से जुड़ी ऐसी मान्यता है कि यहां आने के बाद पवित्र गंगा में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस मंदिर में भी काफी अधिक मात्रा में सोने का संग्रह देखा जा सकता है, जिसकी वजह से इसे भारत के समृद्ध मंदिरों में से एक माना जाता है. इस मंदिर में हर साल भारत के अलग-अलग क्षेत्रों के अलावा विदेशों से भी लोग गंगा स्नान करने आते हैं. इस मंदिर के बने गुंबद में सोने की परत लगाई गई है.
(12) स्वर्ण मंदिर अमृतसर :
स्वर्ण मंदिर जिसे गोल्डन टेंपल के नाम से जाना जाता है, भारत के अमृतसर में यह मंदिर सिख धर्म का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है. स्वर्ण मंदिर की नीव सिख धर्म के चौथे गुरु रामदास जी द्वारा रखी गई थी. इस मंदिर को कई बार नष्ट करने का भी प्रयास किया गया लेकिन सिख धर्म के आस्था और भक्ति की वजह इस स्वर्ण मंदिर को फिर से पूर्ण रूप से निर्मित कर लिया गया.
यहां पर सिख धर्म से जुड़े भारत के अलग-अलग क्षेत्रों से बडी संख्या में भक्त आते हैं. जिसके कारण इस मंदिर की वार्षिकआय करोड़ों रुपये है. यह मंदिर भी भारत के सबसे अमीर मंदिरों की सूची में शामिल किया गया है.
स्वर्ण मंदिर को भारत के सिख साम्राज्य के संस्थापक, महाराजा श्री रणजीत सिंह ने गुरुद्वारे का ऊपरी भाग फ़्लोर 750 किलो सोने से मढ़वाया था.
मंदिर की रसोई में हर रोज़ लंगर के लिए करीब 1 लाख लोगों के लिए कई बार तो इससे भी ज़्यादा खाना तैयार करती है.
( समाप्त )