गुजरात राज्य का मोरबी शहर बड़े पैमाने पर घड़ियों का उत्पादन करने के लिए विश्व भर मे प्रसिद्ध है. यहां हजारों लोग घड़ी बनाने के कारोबार में जुटे हुए हैं. मोरबी को घड़ियों का देश भी कहा जाता है. यहां हर दिन लाखों घड़ियां बनाई जाती हैं. इसे दीवार घड़ी वॉल क्लॉक मैन्युफैक्चरिंग का हब भी कहा जाता है.
कुछ साल पहले यहां घड़ियों की मूवमेंट मशीन के लिए घड़ी उत्पादकों को चीन पर निर्भर रहना पड़ता था. चीन से मशीनें आयात करनी पड़ती थीं, लेकिन अब यहां बड़े पैमाने पर इन मशीनों का उत्पादन होने लगा है. यहां पर बनने वाली घड़ियों का निर्यात 30 से अधिक देशों में होता है. रिपोर्टस के मुताबिक इस शहर में 150 से ज्यादा घड़ी बनाने की यूनिट लगी हुई हैं.
यहाके घड़ी व्यवसाय मे हजारों मजदूर जुड़े हैं. मीडिया रिपोर्टस कहता है कि वॉल क्लॉक इंडस्ट्रीज में मोरबी का 85 फीसदी से ज्यादा हिस्सा है. इस इंडस्ट्री में अभी 30 हजार से ज्यादा लोग जुड़े हुए हैं. इनमें महिलाओं की संख्या पुरुषों के मुकाबले ज्यादा है.
मोरबी की घड़ियों की कई देशों में मांग है. यहां की घड़ियों का विदेशों में भी निर्यात किया जाता है. अफ्रीकन और गल्फ देशों में यहां की घड़ियां खूब निर्यात की जाती हैं. मोरबी में ट्रेडिशनल घड़ियों के साथ डिजिटल घड़ियां भी बड़े पैमाने पर बनाई जाती हैं. यहां पर छोटे निर्माताओं की संख्या ज्यादा है. मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, मोरबी में रोजाना करीब दो लाख से भी ज्यादा घड़ियों का निर्माण होता है. यहां पर सालाना करीब 5 करोड़ से भी ज्यादा घड़ियां बनाई जाती हैं.
मोरबी में विविध तरह की घड़ियां बनाई जाती हैं. सस्ती से लेकर महंगी सभी तरह की घड़ियां यहां पर बनाई जाती हैं. सस्ते मे यहां 50-60 रुपये से लेकर महंगे मे यहां 6 से 8 हजार रुपये तक की घड़ियां बनाई जा रही हैं.
करोना कालमे यहां मंदी का माहौल ज्यादा था. मगर अब धंदा पटरी पर आ रहा है. यहाके निर्माता अभी आकर्षक डिजाइन की घड़ियां बनाते हैं. ताकी खरीददार देखते ही खरीदने का मन बना ले. पहले लोग घर में एक ही घड़ी लगाया करते थे. मगर अब घरों में हर कमरे में अलग-अलग घड़ियां लगाने का ट्रेंड शुरु हुआ है.
मोरबी की इंडस्ट्री मे 20,000 से अधिक लोग जुड़े हुए हैं, जिनमें करीब 16,000 से ज्यादा महिलाए हैं. मोरबी शहर में कई बड़ी और छोटी इकाइयां कई तरह की घड़ियों का उत्पादन करती हैं. इनमें अजंता क्लॉक, समय क्लॉक, सोनेरा इंडस्ट्रीज और सोनम क्लॉक इंडस्ट्री को अग्रणी मानी जाती हैं. इनमें से अधिकांश इकाइयां डिजिटल दीवार घड़ियों का उत्पादन करती हैं.
हमें मोरबी के बारेमें जानना जरुरी है. मोरबी गुजरात राज्य का एक जिला है. इसका प्रशासनिक मुख्यालय मोरबी शहर में है. यह जिला गुजरात राज्य के पूर्वोत्तर में स्थित है. इसकी सीमाएं उत्तर में कच्छ के रण, पश्चिम में जामनगर, दक्षिण में राजकोट और पूर्व की सीमा सुरेंद्रनगर जिले से मिलती हैं. इसका क्षेत्रफल 4,871.5 वर्ग किलोमीटर है.
2011 हुई जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक मोरबी जिले की जनसंख्या 10 लाख है. जिले का लिंग अनुपात प्रति 1000 पुरुष के सामने कुल 924 महिला है. इस जिले की 84.59 फीसदी जनसंख्या साक्षर है.
मोरबी जिले का निर्माण राजकोट जिले को विभाजित कर के किया गया था. इसके स्थापना की घोषणा गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त, 2013 को की थी.
भारत की आजादी से पहले यह पूर्वी कठियावाड़ सबएजेंसीके अधिकार में था. मोरबीके शासक जाडेजा राजपूत थे और यह उनकी राजधानी भी था. 15 फरवरी, 1948 में इसे सौराष्ट्र में मिला दिया गया था.
सन 1979 में आई विनाशक बाढ़ ने मोरबी को बर्बाद कर दिया था. बाढ़ ने इसके सभी घरों और ऐतिहासिक स्मारकों को ध्वस्त कर दिया था. लोग यहां से पलायन कर गए थे. लेकिन मोरबी ने टाइल्स और घड़ी बनाने के कारखानों के दम पर खुद को फिर से खड़ा कर लिया.
मोरबी शहर मच्छू नदी के किनारे स्थित है, जो 64 किलोमीटर दूर स्थित राजकोट से रेल और सड़कमार्ग से जुड़ा है. मोरबी जिले के अंदर कई महत्वपूर्ण पर्यटक स्थल हैं, जिनमें दरबारगढ़, मणिमंदिर, विलिंगडन सचिवालय, झूलता हुआ पुल, आर्ट डैको महल और दरियालाल वॉटर रिसॉर्ट खास हैं