दोस्तों की दुआओका अचूक असर.

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एक बार दो दोस्त मछुआरे समुद्र की सफर कर रहे थे. अचानक ही मौसम बदला और तूफान की वजह नाव समुद्र मे डूब गई. उन लोगोंको नजदीक एक निर्जन द्वीप दिखाई दिया. दोनों वहां तैर कर पहुचे और अपनी जान बचाई. सुबह तक तूफान शांत हो गया.

दोनों दोस्तों ने ईश्वर का आभार माना, और बचनेका उपाय ढूंढने लगे. दोनों को पता चल चूका था कि अब उनको सिर्फ ईश्वर ही बचा सकता है. एक मित्र जिसका नाम दायशंकर था, वो बोला, मैंने जब भी ईश्वर से कुछ भी मांगा है मुजे ईश्वर ने सब कुछ दिया है. मुजे विश्वास है मेरे प्रभु जी हमारी रक्षा जरूर करेंगे.

दूसरे दोस्त का नाम ज्ञानप्रसाद था. वो बोला, मेरे प्रभु भी मेरी जरूर बात सुनेगा. अब दोनों ने सोचा मगर उनको कैसे पता चलेगा कि ईश्वर ने किसकी बात सुनी है. इसपर ज्ञानप्रसाद बोला कि हम ऐसे करते है की दोनों अलग अलग दूर द्वीप पर रहेंगे. एक दोस्त पूर्व किनारे जाकर बसा तो दूसरा पश्चिम किनारे स्थित बसा.

आज दूसरा दिन था. ज्ञानप्रसाद कही से मदद की आशा करने लगा. तब उसने देखा एक महिला तैर कर उसकी तरफ आ रही थी. ज्ञानप्रसाद ने महिला की मदद की और किनारे तक सुरक्षित लेकर आया. द्वीप पर नारियल के पेड़ थे. वहासे नारियल निकाले. खानेको कुछ मछली का इंतजाम किया और पेट भरा. टापू के दूसरे छोर पर दायशंकर ने भी मच्छी और फल खाकर पेट की भूख मिटाई.

तीसरे दिन की सुबह हुई. ज्ञानशंकर ने प्रभु से प्राथना की कि यदि मुजे कही से लकड़ी मील जाय तो मैं एक बेडा बनाकर इस महिला के साथ यहांसे सुरक्षित जा सकता हूं. उसने देखा कि बेडा बनाने योग्य लकड़ी उसे किनारे पर मील गई. ज्ञानशंकर ने मजबूत सुंदर बेडा बनाया.

ज्ञानशंकर उस महिला के साथ बेडा पर बैठा और द्वीप से घर जाने के लिए निकला. अचानक फिर से तूफान आया और तेज बारिस हुई. उपर आसमान से आकाशवाणी हुई. स्वार्थी दोस्त, क्या तूने अपने मित्र के बारेमें सोचा ? जिस दोस्त की दुवा के कारण तू यहांसे घर सुरक्षित जा रहा है.

ज्ञानशंकर बोला, प्रभु क्षमा कीजिये. मगर मैं कैसे मान जाऊ की मे मेरे दोस्त के कारण यहांसे बचकर जा रहा था. मैंने भी तो प्रार्थना की थी. इसपर प्रभु जी बोले, तू स्वार्थी है. तू ने तीन दिनसे खुद की सुरक्षा की दुआ मांगी थी, जब कि तेरा दोस्त दयाशंकर ने मुजे याद करते कहा की है प्रभु मे तो सक्षम हूं. कभी भी बचकर यहांसे जरूर निकल जाऊंगा. मगर मेरा दोस्त ज्ञानप्रसाद कमजोर है उसकी दुआ कबूल करो और तू उसकी दुआओ के कारण ही यहांसे बचके जा रहा था. क्यू के जो दूसरों के लिए मांगता है, उसकी दुआ मैं अक्सर सुनता हूं.

इस दुनिया मे सभी लोग यहीं कहते देखे जाते है कि मैंने किया…मैंने किया.. मगर हमको सफलता किसकी वजह से मील रही है , वो किसीको नहीं पता. ये दुआ तुम्हारे मा बाप की हो सकती है. भाई बहन की हो सकती है. कोई दोस्त की भी हो सकती है.

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