कवियों का करिश्मा, प्रेमियों की प्रशंसा.

कवियों के बारेमें कहा जाता है कि जहां ना पहुचे रवि, वहां पहुचे “कवि”. अर्थात जहां रवि यांनी सूर्य ना पहुँचता हो वहां कवि पहुंच जाता है.

कवि अपनी कल्पना से चांद, तारे आसमान को भी धरती पर ला सकता है. आज मुजे प्रेमी प्रेमिका के बारेमें , कवियों की कल्पना को आपके समक्ष लाना है. प्रस्तुत है कवियों की कल्पना..

फ़िल्म ” पत्थर के सनम ” में कवि मजरूह सुल्तानपुरी कहते है…..

महबूब मेरे महबूब मेरे तु हैं तो दुनिया, कितनी हसीन हैं

जो तू नहीं तोह, कुछ भी नहीं हैं

आगे वे लिखते है…….

तू हो तो बढ़ जाती हैं कीमत मौसम की

यह जो तेरी आँखे हैं शोले शबनम की

यही मरना भी हैं मुझको मुझे जीना भी यही हैं…. महबूब मेरे महबूब मेरे….

सन 1965 में रिलीज हुई फ़िल्म हिमालय की गोदमें में कवि आनंद बक्षी लिखते है……

चाँद सी महबूबा हो मेरी

कब ऐसा मैंने सोचा था

हाँ तुम बिलकुल वैसी हो

जैसा मैंने सोचा था….

यहां पर कवि को अपनी महबूबा चांद सी लग रही है.

दूसरे एक गीत में कवि इंदीवर जी लिखते है……

तू सूरज मैं सूरजमुखी हूँ पिया

ना देखूँ तुझे तो खिले ना जिया

तेरे रंग मैं रंगी मेरे दिल की कली खिला जो …

आपको पता होगा की सूरजमुखी फुल, अपना मुंह हमेशा सूर्य की ओर रखता है. सुबह में उसका मुंह पूर्व की तरफ होता है, दोपहर को उपर आसमान में और शाम को सूर्य की तरफ पश्चिम में होता है. इसी सच्चाई की तुलना कविने अपनी महबूबा से की है.और आगे कवि इंदीवर लिखता है….

अनोखा हैं बंधन ये कँगन साजन

बिना डोर के बंध गया मेरा मन

तू जिधर ले चला मैं उधर ही चली खिला जो …

फ़िल्म कश्मीर की कली में गीतकार एस एच बिहारी जी प्रेमिका के खूबसूरत चहेरे को चांद सा चहेरा कहते है….

ये चाँद सा रोशन चेहरा

ज़ुल्फ़ों का रंग सुनेहरा

ये झील सी नीली आँखें

कोई राज़ हैं इन में गेहेरा

तारीफ़ करू क्या उसकी

जिस ने तुम्हें बनाया

कवि आगे लिखते है…

हर सुबह किरन की लाली

हैं रंग तेरे गालों का

हर शाम की चादर काली

साया हैं तेरे बालों का…..

तू बलखाती एक नदियाँ

हर मौज तेरी अंगड़ाई

जो इन मौजो में डूबा

उसने ही दुनिया पायी

तारीफ़ करू क्या उसकी

यहां कवि महबूबा को, अपने शब्द रंग से रंगीन बना देता है और तारीफ करते कहता है, कि तू बलखाती एक नदिया है, और तेरी हर मौज अंगड़ाई है.

*** रूप सुहाना लगता है

चांद पुराना लगता है

तेरे आगे ओ जानम… कवि इंदीवर

*** आने से उसके आए बहार

जाने से उसके जाए बहार

बडी मस्तानी है, मेरी मेहबूबा

मेरी जिन्दगानी है, मेरी मेहबूबा..

—- गीतकार : आनंद बक्षी.

सचमे यदि किसी को किसीसे प्यार हो जाये तो जीवन ब्लैक एंड वाइट से रंगीन लगने लगता है. आजकी मेरी ये पोस्ट प्यार करने वाले सभी दीवाने और मस्ताने को सस्नेह समर्पित करता हूं. क्योंकि प्यार से ही हम तुम हो. प्यारसे ही ये जीवन है. प्यार ना होता तो कुछ भी नहीं होता.

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