आपको पता है ? एक फिल्म को बनाने में करीब 100 से ज्यादा लोगों के सहयोग की जरुरत पड़ती है. जबकि, ज्यादातर लोग हीरो, होरोइन, निदेशक, और प्रोड्यूसर, म्यूजिशियन, प्ले बैक सिंगर और स्टोरी राइटर का ही जिक्र करते है. तो आइए जानते हैं एक फिल्म बनाने में किन किन लोगों का योगदान होता है.
फ़िल्म निर्माता टीम :
अक्सर देखा जाता है कि कोई भी फ़िल्म की बात आती है तो फिल्म के दर्शक ज्यादातर सिर्फ एक्टर, डायरेक्टर और प्रोड्यूसर अथवा संगीतकार को ही याद करते है. लेकिन, एक फिल्म को बनाने में कई लोगों की मेहनत और योगदान की जरुरत होती है.
नवनिर्माण कोई भी फिल्म तीन चरणों में पूरी तरह बनकर तैयार होती है. पहला होता है, (1) प्री प्रोडक्शन, (2) प्रोडक्शन और तीसरा चरण (3) पोस्ट प्रोडक्शन होता है.
प्री प्रोडक्शन वाला चरण :
(1) ये चरण में फिल्म की शूटिंग और कहानी को लेकर कई काम होते है. (2) इसके बाद प्रोडक्शन में फिल्म की शूटिंग होती है. फ़िल्म के (3) तीसरे चरण में शूटिंग के बाद का काम जैसे एडिटिंग आदि काम शामिल होता है. इन सभी चरणों में एक बहुत बड़ी टीम अपना सहयोग देती है. आइए जानते हैं कि किस चरण में कौन-कौन लोग काम करते हैं और उनका क्या काम होता है…
(1) डिरेक्टर : डिरेक्टर (director)
शुरू से लेकर आखिरी तक फिल्म के साथ जुड़ा रहता है. इसका हर एक मोड पर रोल होता है. यह निर्देशन का काम करता है.
(2) लेखक : लेखक फिल्म की कहानी लिखता है. बहुत सी बार कई लोग मिलकर भी एक कहानी लिखते हैं.
(3) प्रोड्यूसर : प्रोड्यूसर एक तरह से पूरे प्रोजेक्ट का हेड होता है. किसी फिल्म के प्रोजेक्ट पर उसका प्रोड्यूसर फाइनेंस करता है. जिसे निर्माता कहा जाता है.
(4) डायलॉग राइटर : यह फिल्म में बोले जाने वाले सभी डायलॉग लिखता है. जिन्हे एक्टर, एक्ट्रेस, विलेन या फिर बाकी कलाकार फिल्म में बोलते हैं.
(5) स्क्रीन राइटर : फिल्म की कहानी और डायलॉग के आधार पर फिल्म के सीन को डिजाइन करना स्क्रीन राइटर का काम होता है. कौन-सा सीन किस तरह से शूट करना है, इसका ये निर्णय लेता है.
(6) लॉकेशन मैनेजर : पूरी स्क्रिप्ट पढ़ने के बाद लॉकेशन मैनेजर कहानी के हिसाब से सीन को शूट करने की लोकेशन डिसाइड करता है.
(7) सेट डिजाइनर : यह आर्टिस्ट आर्ट डिजाइनर के साथ मिलकर स्क्रिप्ट के आधार पर सेट बनाने का काम करता है.
(8) आर्ट डायरेक्टर : यह सेट, इंटीरियर आदि पर काम करता है और आर्ट रिलेटेड काम भी यही करता है. आर्ट डायरेक्टर सेट को सही लुक देने के लिए सिनेमेटोग्राफर के साथ भी काम करता है.
(9) एक्टर्स : ये फिल्म में एक्टिंग करते हैं, अलग-अलग सीन के लिए निर्देशक इन्हे निर्देशन देता है.
(10) सिनेमेटोग्राफर : यह कैमरा से जुड़े सभी काम देखता है. जैसे अगर डायरेक्टर को कोई अलग शॉट चाहिए तो वो डायरेक्टर ऑफ फोटोग्राफी को इस बारे में बताता है और वो कैमरामैन की मदद से फिर उस शॉट लेता है. यह प्रोसेस ही सिनेमेटोग्राफी है.
(11) लाइन प्रोड्यूसर : लाइन प्रोड्यूसर फिल्म पर हो रहे खर्चों की जानकारी और हिसाब रखता है. साथ ही अलग-अलग जगह शूटिंग की व्यवस्था भी यही करता है.
(12) प्रोडक्शन मैनेजर : क्रू और प्रोडक्शन के लिए सभी जरूरी टेक्निकल सामानों उपलब्ध कराना और इसके अलावा कई बिजनेस डील करना इसका काम होता है.
(13) असिस्टेंट डायरेक्टर : यह डायरेक्टर के काम में मदद करता है. किसी फिल्म में एक से ज्यादा असिस्टेंट डायरेक्टर हो सकते हैं.
(14) कंट्यूनिटी पर्सन : यह हर एक शॉट की जानकारी रखता है. जैसे शॉट की लंबाई, कितने रीटेक या पिछले शॉट से नए शॉट की कंटीन्यूटी आदि.
(15) कैमरा ऑपरेटर : कैमरा ऑपरेट करने वाले को कैमरा ऑपरेटर कहते हैं. क्रू में और भी कई कैमरा ऑपरेटर, कई असिस्टेंट और हेल्पर होते हैं. इनमें कोई स्टेडी कैन ऑपरेटर होता है तो कोई क्रेन कैमरा ऑपरेट करता है.
(16) साउंड मिक्सर : एडिटिंग के वक्त साउंड पर काफी काम करना होता है, लेकिन इससे पहले शूटिंग के दौरान भी कई सीन को शूट करने में साउंड मिक्सर मदद करता है.
(17) विजुअल इफेक्ट डायरेक्टर : बहुत से शॉट क्रोमा पर शूट होते हैं. इसके लिए टेक्निकल चीजों का ध्यान रखना विजुअल इफेक्ट डायरेक्टर का काम होता है.
(18) कॉस्ट्यूम डिजाइनर : यह एक्टिंग करने वाले लोगों के कॉस्ट्यून पर काम करता है. साथ ही सेट के अनुसार एक्टर-एक्ट्रेस के लिए कपड़े आदि तैयार करने का काम भी इसी का होता है.
(19) मेकअप आर्टिस्ट : कलाकार के मेकअप का काम इसके हाथ में होता है. इनमें हेयर ड्रेसर, बॉडी मेकअप आदि के लिए अलग-अलग लोग होते हैं.
(20) ट्रांसपोर्टेशन कॉर्डिनेटर : एक्टर्स के रहने, खाने आदि की व्यवस्था का ख्याल रखता है. अगले सीन के लिए कहीं जाना है तो उसकी व्यवस्था भी यही करता है.
(21) यूनिट पब्लिसिस्ट : मीडिया में फिल्म से जुड़ी जानकारी देना, प्रेस रिलीज तैयार करने जैसे काम यूनिट पब्लिसिस्ट करता है.
(22) एडिटर : ये फिल्म को एडिट करते हैं. एडिटिंग का फील्ड काफी बड़ा है, इसलिए इसमें अलग अलग तरह के एडिटर रहते हैं.
(23) म्यूजिक डायरेक्टर : इसपर पूरी फिल्म के म्यूजिक की जिम्मेदारी रहती है. फिल्मों में शामिल गानों के म्यूजिक से जुड़ा काम यही देखता है.
(24) म्यूजिक टीम : म्यूजिक टीम में लिरिक्स राइटर, कंपोजर, गायक आदि रहते हैं और डायरेक्टर की मदद से म्यूजिक वाला सीन शूट करवाया जाता है.
(25) प्रमोशन एंड मार्केटिंग : फिल्म की मार्केटिंग और उसके प्रमोशन का काम यही टीम देखती है.
(26) लीगल टीम : फिल्म से जुड़े कानूनी मामलों को लीगल टीम देखती है.
(27) स्पॉट ब्वॉय : ये लोग इन टीमों की मदद करने के लिए हमेशा सेट पर मौजूद रहते हैं.
यहां सिर्फ टीम के मुखिया के बारे में बताया गया है. इसमें अलग-अलग टीम होती है और जिनमें कई सदस्य होते हैं. सबका अपना-अपना काम होता है.
सोर्स आभार सह ABP न्यूज़.