पाकीज़ा (पवित्र) सन 1972 की बॉलीवुड फिल्म है. यह एक त़वायफ़ की मार्मिक कहानी है. इसके मधुर गाने कोकिल कंठी लता मंगेशकर द्वारा गाये गये है. फिल्म का निर्देशन क़माल अमरोही ने किया था जो वास्तविक जीवन में मुख्य नायिका मीना कुमारी के पति थे. फिल्म लगभग 14 वर्षों मे बन कर तैयार हुई थी.
यह फ़िल्म ता : 4 फरवरी 1972 के दिन रिलीज हुई थी. इसके गीत को म्यूजिक से सवारा था, गुलाम मोहमद और नौशाद जी ने.
फिल्म पाकीज़ा (पवित्र) नरगिस (मीना कुमारी) के बारे में है जो कोठे पर पलती है. वो इस दुश्चक्र को तोड़ पाने में असमर्थ रहती है. नरगिस जवान होती है और एक खूबसूरत और लोकप्रिय नर्तकी / गायिका साहिबजान के रूप मे प्रसिद्ध होती है. नवाब सलीम अहमद खान (राज कुमार) साहिबजान की सुंदरता और मासूमियत पर मर मिटता है और उसे अपने साथ, भाग चलने के लिए राजी़ कर लेता है.
लेकिन वो जहां भी जाते है लोग साहिबजान को पहचान लेते हैं. तब सलीम उसका नाम पाकीज़ा रख देता है और कानूनी तौर पर निका़ह करने के लिये एक मौलवी के पास जाता है.
सलीम की बदनामी नही हो यह सोच कर साहिबजान शादी से मना कर देती है और कोठे पर लौट आती है. सलीम अंततः किसी और से शादी करने का निर्णय लेता है और साहिबजान को अपनी शादी पर नृत्य करने के लिए आमंत्रित करता है. साहिबजान जब मुजरे के लिये आती है तो कई राज़ उसका इंतजा़र कर रहे होते हैं.
वैसे तो पाकीजा फ़िल्म के सभी गाने सुपुर दुपर हिट थे. जिनका संगीत गु़लाम मोहम्मद ने दिया था और उनकी मृत्यु के पश्चात फिल्म का पार्श्व संगीत नौशाद ने तैयार किया था.
पाकीजा फ़िल्म का एक गाना मौसम है आशिकाना आज भी लोग गुनगुनाते है. जानते है उस गाने के बारेमें…..
मौसम है आशिकाना ( लिरिक्स )
मौसम है आशिकाना
मौसम है आशिकाना
ऐ दिल कहीं से उनको,
ऐसे में ढूंढ लाना….
कहना के रुत जवां है,
और हम तरस रहे हैं.
काली घटा के साये,
बिरहन को डस रहे हैं.
डर है ना मार डाले,
सावन का क्या ठिकाना.
सूरज कहीं भी जाये,
तुम पर ना धूप आये.
तुम को पुकारते हैं,
इन गेसूओं के साये.
आ जाओ मैं बना दूँ ,
पलकों का शामियाना.
फिरते हैं हम अकेले,
बाहों में कोई ले ले.
आखिर कोई कहाँ तक,
तनहाईयों से खेले.
दिन हो गये हैं ज़ालिम,
राते हैं कातिलाना.
ये रात ये खामोशी,
ये ख्व़ाब से नज़ारें.
जुगनू हैं या जमींपर,
उतरे हुये हैं तारें,
बेख़ाब मेरी आँखे,
मदहोश है ज़माना.
मौसम है आशिकाना
मौसम है आशिकाना
ऐ दिल कहीं से उनको,
ऐसे में ढूंढ लाना….
मीना कुमारी पाकीज़ा (1971) के “मौसम है आशिकाना” में एक अनदेखे प्रशंसक के लिए तरसती हैं. वास्तव में, “मौसम है आशिकाना” को वैसे ही गाया जाता है जैसे मीना कुमारी को अपने गुप्त प्रशंसक के घर का पता चलता है और भविष्य के लिए खुशी, आशा और उमंग से भर जाती है.
वैसे तो पाकीजा का हर गाना एक गहना है. मगर यह गाना पाकीज़ा के बेहतरीन गीतोंमें से एक है. मीना कुमारी पाकीज़ा में अपनी प्रेमी के लंबे समय तक दिवास्वप्न देखती हैं. पक्षियों के चहचहाने की आवाज़ संगीत ट्रैक के अंदर बखूबी बुनी गई है. इसमे सूर्योदय के समय उड़ते पक्षियों के शॉट पाकीज़ा की नई आज़ादी का प्रतीक है.
लता का अर्ध-शास्त्रीय गीत “मौसम है आशिकाना” मुजरा नृत्य को प्रदर्शित करता है.
फ़िल्म का गाना और अर्थ :
मौसम है आशिकाना
ऐ दिल कहीं से उनको,
ऐसे में ढूंढ लाना….
*** मौसम प्यार भरा है! ऐ दिल कहीं से ऐसे में ढूंढ़ लाना…. ये मेरे दिल उसे कहीं ढूंढो और मेरे पास ले आओ.
कहना के रुत जवां है,
और हम तरस रहे हैं.
काली घटा के साये,
बिरहन को डस रहे हैं.
डर है ना मार डाले,
सावन का क्या ठिकाना.
*** उससे कहना कि माहौल जवान है
और हम तरस रहे हैं. काले बादलों की परछाइयां कामुक बनके इस बिरहन को डस रही है. मुजे डर है, सावन का क्या ठिकाना! मार देंगे ? बारिश से क्या आश्रय हो सकता है ?
सूरज कहीं भी जाये,
तुम पर ना धूप आये.
तुम को पुकारते हैं,
इन गेसूओं के साये.
आ जाओ मैं बना दूँ ,
पलकों का शामियाना.
*** सूरज कही भी हो, तुम पर धूप ना बरसे. मेरे बालों की छांव तुम्हें बुलाती है
आ जाओ, मैं अपनी पलकों से तुम्हारे लिए एक तंबू बनाऊं.
फिरते हैं हम अकेले,
बाहों में कोई ले ले.
आखिर कोई कहाँ तक,
तनहाईयों से खेले.
दिन हो गये हैं ज़ालिम,
राते हैं कातिलाना.
***मैं अकेली भटक रही हूं. मुजे आप बाहो में लेलो! आखिर कोई कब तक अकेले तनहाईयों से खेल सकता है. दिन क्रूर, ज़ालिम हो गए हैं और रातें कातिलाना लग रही हैं.
ये रात ये खामोशी,
ये ख्व़ाब से नज़ारें.
जुगनू हैं या जमींपर,
उतरे हुये हैं तारें,
बेख़ाब मेरी आँखे,
मदहोश है ज़माना.
*** रात खामोश हो गई है. ख्वाबो के नज़ारे दिख रहे है. क्या ये इतने सारे जुगनू है या फिर जमीन पर उतरे तारे है.
मेरी आंखें सपनों के बिना हैं, और मेरी दुनिया मदहोश लग रही है.
मौसम है आशिकाना
मौसम है आशिकाना
ऐ दिल कहीं से उनको,
ऐसे में ढूंढ लाना….
*** मौसम प्यार भरा है. ये मेरे दिल,
उसे कहीं ढूंढो और मेरे पास ले आओ.
पाकीजा फ़िल्म में मीना कुमारी
राजकुमार के घर लौटने की प्रतीक्षा में, लालसा का गीत गाती हैं. यह गाना यु ट्यूब पर आसानी से मील जाता है. देखिएगा जरूर.