भगवान गौतम बुद्ध और चार पत्नियां.

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गौतम बुद्ध को विश्व के प्राचीनतम धर्मों में एक बौद्ध धर्म का प्रवर्तक माना जाता है. उनके कई अनमोल विचारों से जीवन की दशा और दिशा बदल जाती है , और नई प्रेरणा मिलती है. कई लोग उनके उपदेशों और विचारों को ग्रहण कर उसका पालन करते हैं.

मगर गौतम बुद्ध के कई विचारों में एक विचार है 4 पति-पत्नी होने का विचार, जिसे जानकर आप अचंबित हो जायेंगे. ” गौतम बुद्ध ” के अनुसार, हर पुरुष की चार पत्नियां और हर स्त्री के चार पति होने चाहिए. लेकिन आखिर उन्होंने ऐसा क्यों कहा होगा? और इसके पीछे का कारण क्या है, इसका जवाब इस कहानी में मिल जायेगा.

गौतम बुद्ध विश्व में अहिंसा, करुणा, दया, धर्म और सम्पूर्ण विश्व को शांति का संदेश देने के लिए जाने जाते हैं. भगवान गौतम बुद्ध का दिया ज्ञान लोगों को जीने की नई राह सिखाता हैं.

वैशाख पूर्णिमा के दिन बुद्ध जयंती मनाई जाती है. आज के दिन भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था. इस दिन को बुद्ध पूर्णिमा भी कहा जाता है.

आजकी कहानी बुद्ध के प्रारंभिक उपदेश वाले 32 आगम सूत्रों में से एक में, इस कहानी का जिक्र है.

प्राचीन भारत की सामाजिक व्यवस्था ऐसी थी जहां एक पुरुष कई पत्नियां रख सकता था. एक व्यक्ति को चार पत्नियां थीं. उम्र बढनेसे वो व्यक्ति बीमार पड़ गया और उसे अपनी मौत करीब आते दिखने लगी. अतः वो बहुत ही अकेलापन महसूस करने लगा.

उसने अपनी पहली पत्नी को पास बुलाया और उसे मृत्यु के बाद अपने साथ चलने के लिए कहा. उस व्यक्ति ने कहा, कि मेरी प्यारी पत्नी, मैंने तुम्हें दिन-रात प्यार किया, जीवन भर तुम्हारा ख्याल रखा. अब मैं मरने वाला हूं, क्या तुम मेरे साथ चलोगी ?

उसकी पहली पत्नी ने जवाब दिया कि ” मेरे स्वामी मुझे पता है कि आप हमेशा मुझसे प्यार करते थे और अब आपका अंत करीब है.” मगर मैं आपके साथ नहीं चल सकती.

जवाब सुनकर वो नाराज हुआ और

अपनी दूसरी पत्नी को बिस्तर के पास बुलाया और मृत्यु के बाद अपनी साथ चलने की बात कही. दूसरी पत्नी ने उसे जवाब दिया कि , है मेरे नाथ! आपकी पहली पत्नी ने आपकी मृत्यु के बाद आपका साथ देने से इनकार कर दिया तो फिर मैं भला आपके साथ कैसे आ सकती हूं? आपने मुझे केवल अपने स्वार्थ के लिए ही प्यार किया है.

अब बारी थीं तीसरी पत्नी की.

मृत्युशय्या पर लेटे हुए पुरुष ने अपनी तीसरी पत्नी को बुलाया और उसे भी मृत्युके बाद अपने साथ चलने को कहा. तीसरी पत्नी ने रोते हुऐ उत्तर दिया कि

हे! मेरे प्रियवर्य मुझे आप पर दया आ रही है, मगर मैं अंतिम संस्कार तक ही आपके साथ रहूंगी. इस तरह उसकी तीसरी पत्नी ने भी उसके साथ चलने से इनकार कर दिया.

अंत में उसने अपनी चौथी पत्नी को पास बुलाया, और साथ चलनेकी बात दोहराई. उसकी चौथी पत्नी, जिसकी उसने ज्यादा परवाह नहीं की थी. चौथी पत्नी के साथ उसने हमेशा एक दासी की तरह व्यवहार किया था और हमेशा उसे दुत्कारा था.

उस व्यक्ति ने सोचा कि अगर वह उसको अंतिम सफर पर साथ चलने को कहता है तो वो निश्चित रूप से मना कर देगी. हालांकि, वो इतना ज्यादा डरा हुआ था और अकेलापन महसूस कर रहा था कि उसने अपनी चौथी पत्नी से भी मृत्यु के बाद साथ चलनेकी बात कही. मगर चौथी पत्नी ने अपने पति के अनुरोध को तुरंत स्वीकार कर लिया. और कहा कि मेरे पति परमेश्वर जरूर आपके साथ आउंगी . कुछ भी हो, मैं हमेशा आपके साथ रहने के लिए दृढ़ संकल्पित हूं. मैं आपसे कभी अलग नहीं हो सकती. यह कहानी है एक व्यक्ति और उसकी चार पत्नियों की.

कहानिकों समाप्त करते हुए बुद्ध ने अपने श्रोता ओको कहा कि प्रत्येक पुरुष और महिला की चार पत्नियां या पति होते हैं और उनमे हर एक का खास मतलब होता है.

गौतम बुद्ध के अनुसार, इस कहानी में पहली पत्नी हमारा “शरीर” है. जो मृत्यु के बाद हमारे साथ नहीं जा सकता. इसलिए मृत्यु के बाद शरीर को जला दिया जाता है या दफना दिया जाता है.

दूसरी पत्नी हमारा “भाग्य” है. मृत्यु के बाद हमारा भाग्य भी यहीं छूट जाता है और हम लोग उसे साथ नहीं लेकर जा सकते हैं. अर्थात धन दौलत, जर, जमीन और मकान.

तीसरी पत्नी का संबंध “रिश्तों” से है. मृत्यु के बाद रिश्ते-नाते सभी यहीं छूट जाते हैं और हम चाहकर भी इसे अपने साथ नहीं लेकर जा सकते हैं. जिसमे भाई, बहन, मा बाप, बेटा बेटी आदि सभीका समावेश है.

कथा में चौथी पत्नी जोकि साथ जाने के लिए तैयार हो जाती है. इसका संबंध हमारे “कर्म” से है. सब का कर्म ही एकमात्र ऐसी चीज है जो मृत्यु के बाद हमारे साथ जाता है. कर्म ही वह चीज है, जिससे हमारे पाप-पुण्य का लेखा जोखा होता है और मृत्यु के बाद हमारी आत्मा को स्वर्ग या नरक की प्राप्ति होती है.

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