भूतेश्वर मंदिर एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है जो कानपुर के कल्याणपुर क्षेत्र के केशवपुरम में स्थित है. यह श्री मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, और लोगों के बीच भूतनाथ के रूप में लोकप्रिय है. यह भगवान शिव के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है. यह तीर्थ उत्तर प्रदेश के सभी मंदिरों में सबसे पुराना मंदिर है.
इस मंदिर में महाशिवरात्रि और श्रावण मास में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं. भक्तों को सुख, शांति और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद दिया जाता है. इस शिव मंदिर में कुछ और त्योहार मनाए जाते हैं और भक्तों के लिए प्रमुख आकर्षण नवरात्र उत्सव है.
दुर्गा पूजा और नवरात्र के अवसर पर यहाँ एक विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है. यह तीर्थस्थल को फूलों और रोशनी से सजाया जाता है. भूतेश्वर महादेव मंदिर के नाम से प्रसिद्ध शिव मंदिर में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु पूजा अर्चना करने के लिए आते हैं. इस मंदिर में दूरदराज से आने वाले शिवभक्त जलाभिषेक करते हैं.
मान्यता के अनुसार इस मंदिर में मनो कामना लेकर आने वाले भक्त यदि पूर्ण आस्था के साथ भोलेनाथ की पूजा अर्चना करते हैं तो उनकी मनो कामना अवश्य पूर्ण होती है. आपको बता दें कि गांव दत्तियाना दिल्ली लखनऊ राष्ट्रीय राजमार्ग 9 से 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.
यह शिव मंदिर गांव को एक अलग पहचान दिलाता है. लाल ईंटोंसे बने इस मंदिर की भव्यता प्रशंसनीय है. ग्रामीणों के अनुसार कई सौ वर्ष पुराने इस मंदिर को भूतों ने बनाया था लेकिन दिन होते ही भूत गायब हो गए थे. जिसके चलते यह मंदिर अधूरा रह गया था. मंदिर की चोटी का निर्माण बाद में एक राजा ने कराया था.
इस मंदिर के निर्माण में किसी भी प्रकार की मिट्टी, सीमेंट अथवा चूने का उपयोग नही किया गया था. मान्यता है कि तेज धूप और बरसात के पानी का भी मंदिर पर कोई असर नहीं होता है. मंदिर समिति के अध्यक्ष अजय त्यागी के मुताबिक यह मंदिर संवत 573 में बना था.
बताया जाता है कि जब औरंगजेब के राज में उन्होंने सभी मंदिर तुड़वाये लेकिन जब राजा के आदमी इस मंदिर को तोड़ने के लिए पहुँचे तो उन्होंने देखा कि मंदिर के मुख्य द्वार पर चारों धर्मो के प्रतीक चिन्ह स्थित है. तो यह देखकर वो वहां से वापस लौट गए थे. आज भी यह मंदिर सभी धर्मों का प्रतीक माना जाता है. मंदिर की परिधि में कोई भी आपदा अपना असर नहीं कर पाती है.
भूतेश्वर मंदिर को देखने के लिए उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों के अलावा दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, आदि प्रांतों के श्रद्धालु यहां आते है.
भूतेश्वर महादेव मंदिर के शिवलिंग के बारे में सुनने को मिलता है कि ये आज भी बढ़ रहा है, जिसे देखने लोग यहा दूर-दूर से आते हैं. भगवान शिव पे आस्था रखने वाले लोगो का मानना है की यहा मांगी हर मनोकामना पूरी होती है.
शिवलिंग के शाब्दिक अर्थ की बात की जाए तो “शिव” का अर्थ है “परम कल्याणकारी” और ‘लिंग’ का अर्थ होता है “सृजन”. लिंग का अर्थ संस्कृतमें चिंह या प्रतीक होता है. इस तरह शिवलिंग का अर्थ हुआ शिव का प्रतीक. भगवान शिव को देव आदिदेव भी कहा जाता है.
भगवान शंकर जी के प्रिय भूतों ने रातोंरात इस मंदिर का निर्माण किया. जिससे इसका नाम भूतेश्वर महादेव पड़ा था. भूतेश्वर महादेव मंदिर में दो सुरंगे भी थीं जिसमें से एक रावतपुर क्षेत्र में और दूसरी बिठूर क्षेत्र में खुलती थी. रावतपुर के राजा की रानी रौतेला इन्ही सुरंगों से भूतेश्वर महादेव की पूजा करने आती थीं. कहा जाता है कि रानी रौतेला बहुत सुन्दर थीं. उन्हें कोई देख न सके इसलिए रावतपुर राजा ने रानी के लिए दो सुरंगों का निर्माण कराया था जिनके अवशेष आज भी मौजूद हैं.
यहां मनोकामना पूरी होने पर पीतल के घण्टे चढ़ाते हैं. भूतेश्वर महादेव मंदिर में रोजाना सुबह ठीक 5 बजे महादेव की आरती होती है जिसमें सैकड़ों भक्त शामिल होते हैं.
मंदिर में पवित्र श्रावण मास के दिनों में हजारों की संख्या में भक्त महादेव का जलाभिषेक करने के लिए आते हैं. श्रावण मास के साथ महाशिवरात्रि और नागपंचमी पर मंदिर परिसर में भव्य मेले का आयोजन किया जाता है. यहां पर देशभर से भक्त पूजा अर्चना के लिए आते हैं.