ईश्वर ने हमारे रहनेके लिए बहुत खूबसूरत पृथ्वी का निर्माण किया, मगर एक मनुष्य है जो कुछ उटपटांग करने से बांज नहीं आता. पाषाण युग के पथ्थरों को तराश कर बनाये गये शस्त्र से लेकर अनु – परमाणु के बनाये गये आधुनिक शस्त्र (बम ) तक की लंबी सफर इसका पुख्ता प्रमाण है.
भारत का राष्ट्र गीत वंदे मातरम् की रचना बंकिमचंद्र चटर्जी द्वारा की गई थी. श्री बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय ने अपने प्रसिद्ध उपन्यास “आनंद मठ” में इसे सम्मिलित किया गया था. जिसमे सुजलां सुफलाम की कल्पना की गई है.
सुजलां सुफलाम का मतलब होता है, जल देने वाली, फल देने वाली. प्रभु ने हमारे वास्ते निर्मल जल, विविध फल का निर्माण किया है. पर्यावरण की शुद्धि के लिए वनस्पति की उत्पत्ति की है. हमें प्रकृति की संपदा को संवर्धन करना चाहिए मगर अधिक पाने की, हासिल करनेकी लालच ने विश्व के विकशित देशों ने मानव जाति को खतरे में जीने को मजबूर किया है.
रसिया – युक्रेन और उनके साथी राष्ट्रो ने आग उगलनेमे कोई कमी नहीं की है. रोज – बरोज खतरनाक जहरीले उत्सर्जन की मात्रा पृथ्वी के वातावरण में बढ़ रही है, जो मानव जीवन के लिए खतरे की निशानी है.
क्या यहीं दिन देखनेके लिये परम पिता परमेश्वर ने इस सृस्टि का निर्माण किया था ? स्वरक्षा के नाम पर दुनिया के तमाम देशोंमें शस्त्र संग्रह की रेस शुरु है. भारत भी इससे अछूता नहीं है.आज समग्र धराके लोग खतरनाक बारूद के ढेर पर जीवन ज्ञापन कर रहे है. वैसे हम सब जानते है कि स्वयं ये धरती लावा के उपर बसी है. कब , कहा ? ज्वालामुखी बाहर आ जाये या सुनामी, भूकंप जैसी आपदा आन पड़े, किसको कुछ पता नहीं है.
कुदरती आपदा का आगमन को रोकना हमारे बस की बात नहीं है, मगर
हमारी मानव सर्जित आपदा से तो बचा जा सकता है. सत्ता की भूख इंसान को पागल बना देती है. यहीं लालसा विश्व के तमाम देशोमें पाई जा रही है.
रूस ने यूक्रेन पर हमला बोला. चीन ने ताइवान पर शख्ती दिखाई. नतीजा ये हुआ की दुनिया का मिलिट्री खर्च बढ़ गया. साल 2022 में मिलिट्री खरीद पर 183 लाख करोड़ रुपए खर्च किए गए. यह अब तक का सबसे बड़ा मिलिट्री खर्च है. इस खर्च में भारत चौथे पायदान पर रहा है. सबसे ऊपर है अमेरिका फिर चीन, रूस, भारत और सऊदी अरब.
शस्त्र के सौदागर तो हमेशा यह चाहते है कि दुनिया में संघर्ष चलता रहे ताकी उनकी दुकान भी चलती रहे.
अमेरिका, रूस और यूरोपीय देशों के रक्षा खर्च में जो इजाफा हुआ है, वह रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से हुआ है. जबकि भारत का अपनी सुरक्षा को लेकर की जा रही तैयारियों की वजह से. भारत साल 2021 में रक्षा खर्च के मामले में दुनिया में तीसरे स्थान पर था लेकिन 2022 में चौथे स्थान पर पहुंच गया. क्योंकि हर देश किसी ने किसी देश से डरा हुआ है.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हथियारों पर नजर रखने वाली संस्था ” स्टॉकहोम अंतरराष्ट्रीय शांति शोध संस्था सिपरी ” का अनुमान है कि 2019 की शुरुआत में दुनिया में परमाणु हथियारों की कुल संख्या 13,865 थी. इस आंकड़े में उन सभी हथियारों को गिना गया है जिन्हें तैनात किया गया है या फिर डिस्मेंटल किया जाना है.
प्रथम विश्वयुद्ध तारीख़ : 28 जुलाई 1914 से लेकर ता : 11 नवंबर 1918 तक चला था. जो सहभागी गठबन्ध देश ( मित्र राष्ट्रों ) द्वारा जीता गया था जिसमें यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, इटली आदि देश शामिल थे.
सहभागी गठबन्ध / केन्द्रीय शक्ति देश
मारे गए कुल सैनिकों की संख्या :
55,25,000 43,86,000
घायल सैनिकों की संख्या :
1,28,31,500 83,88,000
लापता सैनिकों की संख्या :
41,21,000 36,29,000
कुल संख्या :
2,24,77,500 1,64,03,000
अर्थात
22477500 +1,64,03,000 = कुल
मिलाकर 3,88,80,500 ( 3 करोड़ 88 लाख 80 हजार 5 सौ ) सैनिक दोनों तरफ से प्रभावित हुए थे.
हमारे देश के कुल 8 लाख भारतीय सैनिक इस युद्ध में लड़े जिसमें कुल 47746 सैनिक मारे गये और 65000 घायल हुए. इस युद्ध के कारण भारत की अर्थव्यवस्था लगभग दिवालिया हो गयी थी.
महात्मा गांधी ने भी इस युद्ध में भारतीय सैनिकों को भेजने के लिए अभियान चलाया था. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बड़े नेताओं द्वारा इस युद्ध में ब्रिटेन को समर्थन ने ब्रिटिश चिन्तकों को चौंका दिया था. भारत के नेताओं को आशा थी कि युद्ध में ब्रिटेन के समर्थन से खुश होकर अंग्रेज भारत को इनाम के रूप में स्वतंत्रता दे देंगे या कम से कम स्वशासन का अधिकार देंगे किंतु ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. उलटे अंग्रेज़ों ने जलियाँवाला बाग नरसंहार जैसे घिनौने कृत्य से हमारे मुँह पर तमाचा मारा था.
दूसरा विश्व युद्ध जिसे द्वितीय विश्व युद्ध भी कहते है जो ( सन 1939 से लेकर सन 1945). छह वर्ष तक लड़ा गया था.
यह युद्ध धुरी राष्ट्रों ( जर्मनी, इटली और जापान ) और मित्र राष्ट्रों ( फ्रांस, ग्रेट ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका, सोवियत संघ और, कुछ हद तक चीन ) के बीच लड़ा गया था.
अमेरिका ने ता : 6 अगस्त और ता : 9 अगस्त 1945 के दिन जापान के हिरोशिमा और नागासाकी शहरों पर परमाणु बम गिरा दिए. जिसमें लाखों लोग मारे गए. इससे 2 सितंबर 1945 को जापान ने सरेंडर कर दिया. इस तरह जापान पर परमाणु बम गिराने के साथ दूसरा विश्व युद्ध अपने अंजाम पर पहुंच गया था.
मुख्य मित्रपक्ष / मुख्य धुरीराष्ट्र
*** मृत्यु एवं हानि :
( मुख्य मित्रपक्ष )
सैन्य मृत्यु : 16,000,000 से अधिक
नागरिक मृत्यु : 45,000,000 से अधिक
कुल मृत्यु : 61,000,000 से अधिक ( युद्ध काल 1937 से 1945 तक )
*** मृत्यु एवं हानि :
( मुख्य धुरी राष्ट्र )
सैन्य मृत्यु : 8,000,000 से अधिक
नागरिक मृत्यु : 4,000,000 से अधिक
कुल मृत्यु : 12,000,000 से अधिक
( युद्ध काल 1937 से 1945 तक )
द्वितीय विश्व युद्ध में लगभग 70 देशों की थल-जल-वायु सेनाएँ सम्मलित थीं. इस युद्ध में विश्व दो भागों मे बँटा हुआ था इस युद्ध में विभिन्न राष्ट्रों के लगभग 10 करोड़ सैनिकों ने हिस्सा लिया, तथा यह मानव इतिहास का सबसे ज़्यादा घातक युद्ध साबित हुआ था. इस महायुद्ध में 6 से 7 करोड़ लोगोंकी की जानें चली गईं थी. क्योंकि इसके महत्वपूर्ण घटनाक्रम में असैनिक नागरिकों का नरसंहार जिस के अंदर होलोकॉस्ट भी शामिल है, तथा परमाणु हथियारों का एकमात्र इस्तेमाल शामिल है ( जिसकी वजह से युद्ध के अंत मे मित्र राष्ट्रों की जीत हुई ).