” कोलेस्ट्रॉल ( HDL – LDL ).”

” कोलेस्ट्रॉल” मोम जैसा पदार्थ होता है जो लिवर में बनता है. यह दो प्रकार का होता है. अच्छा कोलेस्ट्रॉल यानी हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन (HDL) और लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन यानी बुरा कोलेस्ट्रॉल (LDL ). हमारे शरीर के अंदर एलडीएल कोलेस्ट्रॉल खतरनाक होता है. इसके बढ़ने से शरीर में काफी सारी समस्याएं होने लगती हैं.

एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में कार्डियोवस्कुलर डिजीज से मरने वाले लोगों की दर में 34 प्रतिशत की बढ़त हुई है. मृत्यु की दर 155.7 से बढ़कर 209.19 प्रतिशत हो गई थी. बताया जाता है कि जिन लोगों की मौत हुई थी, उनमें हाई कोलेस्ट्रॉल वालों की संख्या काफी अधिक थी.

हाई कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने के लिए सिर्फ अच्छी डाइट के साथ-साथ समय-समय पर कोलेस्ट्रॉल की जांच भी करानी होती है, ताकि कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल किया जा सके और हेल्थ रिस्क को कम कर सकें.

कोलेस्ट्रॉल हमारे मानव शरीर में कोशिकाओं और हार्मोन्स का निर्माण करने में मदद करता हैं. हमारे शरीर में टोटल कोलेस्ट्रॉल का सामान्य लेवल 200 mg/dL से कम माना जाता है. अगर यह लेवल 200 mg/dL से ज्यादा हो जाए, तो परेशानी होने लगती है. कोलेस्ट्रॉल की समस्या को साइलेंट किलर कहा जाता है, क्योंकि शुरुआत में इसके लक्षण नजर नहीं आते. जब तक लोगों को कोलेस्ट्रॉल का पता चलता है, तब तक यह गंभीर स्थिति में पहुंच जाता है.

मानव रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर 3.6 मिलिमोल्स प्रति लिटर से 7.8 मिलिमोल्स प्रति लिटर के बीच होता है. 6 मिलिमोल्स प्रति लिटर कोलेस्ट्रॉल को उच्च माना जाता है और ऐसी स्थिति में धमनियों से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. 7.8 मिलिमोल्स प्रति लीटर से ज्यादा कोलेस्ट्रॉल को अत्यधिक उच्च कोलेस्ट्रॉल का स्तर कहा जाता है. इसका उच्च स्तर हार्ट अटैक और स्ट्रोक की आशंका कई गुना बढ़ा देता है.

कोलेस्ट्रॉल हमारे रक्त का एक महत्वपूर्ण घटक है, क्योंकि यह कई लाभकारी हार्मोन्स के स्राव में सहायता करता है. यहां तक कि जिन लोगों में कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होता है, उन्हें इम्यून सिस्टम से संबंधित कई समस्याएं होती हैं और उनमें संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. कोलेस्ट्रॉल बैक्टीरिया द्वारा उत्पन्न किए विषैले पदार्थों को सोखने के लिए स्पंज का कार्य करता है. मस्तिष्क की कार्यप्रणाली के लिए भी कोलेस्ट्रॉल बहुत जरूरी है. जो लोग अल्जाइमर्स से पीड़ित होते हैं, उनके मस्तिष्क में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अधिक पाई जाती है.

कोलेस्ट्रॉल के कार्य :

कोलेस्ट्रॉल कोशिकाओं की बाहरी परत का निर्माण करता है और उनका रखरखाव करता है. यह एड्रिनल ग्रंथि द्वारा स्नवित हार्मोनों कार्टिसोल, एल्डोस्टेरन आदि के स्राव के लिए जरूरी है. यह सूरज की किरणों को विटामिन डी में बदलने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. वसा में घुलनशील विटामिनों (विटामिन ए, डी, ई और के) के मेटाबॉलिज्म के लिए कोलेस्ट्रॉल जरूरी है.

चाय में पाया जाने वाला कैटेचिन कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है. पारंपरिक काली चाय की तुलना में ग्रीन टी में इसकी मात्रा अधिक होती है. छह सप्ताह तक नाश्ते में रोजाना ओट्स खाने से कोलेस्ट्रॉल का स्तर 5.3 प्रतिशत कम हो जाता है.

ताजी नाशपाती में पेक्टिन की मात्रा बहुत अधिक होती है. जो कोलेस्ट्रॉल को बांधता है और उसे शरीर से बाहर निकाल देता है. इसके अलावा केला, संतरा और सेब में भी पेक्टिन पाया जाता है. कोलेस्ट्रॉल हमारे शरीर में विटामिन डी के निर्माण में सहायता करता है और बाइल एसिड के निर्माण में भी सहायता करता है, जो शरीर में वसा के पाचन के लिये आवश्यक है. यह सेक्स हार्मोन जैसे एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रन आदि के निर्माण के लिए भी आवश्यक है

आधुनिक जीवनशैली और मोटापा के कारण लोगों में एचडीएल का स्तर कम और एलडीएल का स्तर बढ़ रहा है. हृदय रोगों से पीड़ित केवल 2% लोगों में एलडीएल और एचडीएल का आदर्श स्तर पाया जाता है.

अंडे में डाएट्री कोलेस्ट्रॉल की मात्रा काफी होती है, विशेषकर पीले भाग में. हालांकि एक सप्ताह में छह अंडे खाना सामान्य बात है, लेकिन प्रतिदिन 3 या उससे अधिक अंडे खाने से रक्त में अच्छे और बुरे कोलेस्ट्रॉल दोनों का स्तर बढ़ जाता है.

कोलोस्ट्रोल का खतरा किसे ज्यादा होता है…….

*** आपके परिवार में या निकट संबंधियों में से कोई कोरोनरी हार्ट डिसीज या स्ट्रोक से पीड़ित रहा हो तो आपको उच्च कोलेस्ट्रॉल होने की आशंका ज्यादा बढ़ जाती है.

*** डायबिटीज, हाइपरटेंशन, किडनी डिसीज, लिवर डिसीज और हाइपर थाइरॉयडिज्म से पीड़ित लोगों में भी कोलेस्ट्रॉल का स्तर अधिक होता है.

*** पुरुषों में महिलाओं के मुकाबले कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर होने की आशंका ज्यादा होती है.

*** उम्र बढ़ने के साथ – साथ शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ने का खतरा बढ़ता जाता है.

*** जिन महिलाओं को मेनोपॉज जल्दी होता है, उनमें कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ने की आशंका दूसरी महिलाओं से अधिक होती है.

कोलेस्ट्रॉल हमेशा नियंत्रित रखने के लिए फल, सब्जियां, साबुत अनाज को अधिक मात्रा में खाना चाहिए. सैचुरेटेड फैट वाले खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए. भरपूर नींद लेनी चाहिए.

अपना वजन सामान्य रखना जरुरी है.

धूम्रपान और शराब से बचना चाहिए.

ज्यादा से ज्यादा फाइबरयुक्त भोजन का सेवन करना चाहिए.

स्वस्थ व्यक्ति के लिए कोलेस्ट्रॉल की मात्रा:

कुल कोलेस्ट्रॉल: 200- 239 mg/dL से कम

HDL: 60 mg/dL से अधिक

LDL: 100 mg/dL से कम

शरीर का ज्यादा वजन बढ़ने पर आपको हाई कोलेस्ट्रॉल के लिए ब्लड टेस्ट करा लेना चाहिए. पैरों में दर्द हाई कोलेस्ट्रॉल का लक्षण हो सकता है. जरूरत से ज्यादा पसीना आना भी हाई कोलेस्ट्रॉल का कारण हो सकता है.

हाई कोलेस्ट्रॉल से बचाव कैसे करें?

ब्रिटिश हार्ट फ़ाउंडेशन के विशेषज्ञ कहते हैं, अगर जीवनशैली में बदलाव करने के साथ स्वस्थ आहार का सेवन किया जाए तो कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ने से आसानी से रोका जा सकता है.

शराब और धूम्रपान से दूरी बना लें. हर

सप्ताह में कम से कम 150 मिनट व्यायाम करें. रिफाइंड खाद्य पदार्थ, सेचुरेटेड फैट और अतिरिक्त शुगर का सेवन नहीं करें. अपने आहार में दाल, बीन्स, नट्स, आदि को शामिल करें.

👉 अस्वीकरण :

सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. लेखक इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है. 🙏

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