अंगूठी एक आभूषण ( गहना ) है, जिसे उंगली में पहना जाता है. अंगूठी पुरुषों और महिलाओं, दोनों द्वारा पहनी जाती हैं. अंगूठी सोना, चांदी, पित्तल, प्लास्टिक, स्टील, तांबा, लकड़ी, कांच, रत्न और पंच धातु आदि अन्य सामग्री से बनाई जाती है.
अंगूठी हाथ की उंगलियों में पहनी जाती है. हाथ में पांच उंगली होती है.
(1) अंगूठा, (2) तर्जनी (3) मध्यमा, (4) अनामिका और (5) कनिष्ठा. बीच वाली मध्यमा अंगुली तथा सबसे छोटी वाली कनिष्ठा अंगुली के बीच वाली अंगुली का नाम अनामिका है.
शादी के सगाई की अंगूठी को अनामिका उंगली में पहनाई जाती है. वैवाहिक अंगूठियों का प्रथम उदाहरण प्राचीन मिस्र में मिलता है. पेपिरस पर उत्कीर्ण अभिलेखों सहित, लगभग 6000 साल प्राचीन अवशेषों में दूल्हे दुल्हन के बीच भांग या सरकंडे की गूंथी हुयी अंगूठियों के आदान-प्रदान की परम्परा के साक्ष्य मिलते हैं.
मिस्र के निवासी इस अंगूठी को अमरत्व का प्रतीक मानते थे, और इस तरह की वैवाहिक अंगूठिया दम्पति के एक-दूसरे के प्रति चिरस्थायी प्रेम की द्योतक होतीं थीं. उनकी मान्यता थी कि अंगूठी धारण करने वाली इस अंगुली में एक विशेष नस होती है जो सीधे ह्रदय से जुड़ी होती है और जिसे लैटिन भाषा में “वेना एमोरिस” (वर्तमान प्रेम) कहा जाता था.
सदियाँ बीतने के साथ वैवाहिक छल्लों का क्रमिक विकास हुआ, और लोगों ने गुंथे हुए छल्लों की जगह पर अधिक मजबूत एवं सुन्दर पदार्थों का प्रयोग करना आरम्भ किया. समय के साथ-साथ युवा पुरुष अपनी वैवाहिक अंगूठियों के रूप में, अपनी संभावित पत्नी के प्रति परम स्नेह के तौर पर स्वर्ण जैसी मूल्यवान धातुओं का प्रयोग करने लगे. यही वैवाहिक अंगूठियां शाश्वत प्रेम की अनमोल निशानी का प्रतिक माने जाने लगा. जो इतिहास में अंकित हुआ है.
हिंदू विवाह में मान्यता के अनुसार
सभी प्रतीकों में सबसे ज्यादा सामान्य प्रतीक अंगूठी ही है और ये विवाह के बाद भी लम्बे समय तक प्रयोग में लाया जाता है. ऐसा माना जाता है कि कन्या की अंगुली में अंगूठी पहनने का रिवाज “गन्धर्व विवाह” से प्रारंभ हुआ, यानि चोरी-छुपे विवाह में लड़की की उंगली में अंगूठी डाल देने का उद्देश्य शायद ये रहा होगा कि समाज ये समझ ले कि इसकी शादी हो चुकी है और फिर से उसका विवाह न कराया जाय.
एक समय यह माना जाता था कि विवाह के अवसर पर अंगूठी पहनाने का अर्थ एक पवित्र रिश्ते की शुरुआत करना है , और वर अपनी प्यारी पत्नी को आजीवन प्यार देने और उसकी देखभाल करने के लिए कृतसंकल्प है, पर आज इसे सिर्फ दो लोगों के मिलन का प्रतीक माना जाता है. पूर्व में औरतें अंगूठी अपने बाएं हाथकी चौथी अंगुली “अनामिका” में ही पहना करती थीं.
पुराणों में भी इसका प्रमाण “ग्रन्थ युग” से मिलता हैं. रामायण और महा काव्य महाभारत में भी अंगूठी महत्व की वस्तु के रूप में सामने आई है. सीता को जब रावण ने अपहरण कर अशोक वाटिका में रखा था और हनुमान जब सीता के पास राम दूत के रूप में पहुंचे थे तो उन्हें यह विश्वास दिलाने कि सचमुच उन्हें प्रभु श्रीराम ने ही भेजा है, वे राम के द्वारा दी गई अंगूठी सीता को देता है.
मान्यता और वैज्ञानिक पहलू पर गौर करें तो बाएं हाथ की चौथी अंगुली के नस और तंत्रिका का सम्बन्ध हृदय से होता है और इसमें पहनी गई अंगूठी हृदय को सही ढंग से काम करने में मदद पहुंचाती है. अंगूठी का पारंपरिक जो भी महत्व हो पर ये बात बहुत हद तक सही है कि अंगूठी एक ऐसा प्रतीक है जिसके विषय में माना जाता है कि यह सम्बन्ध को मजबूत, तथा साथ ही अंतहीन प्यार को बनाये रखती है.
अंगूठी पर शायरी :
हर अंगूठी में नगीना होता है,
मोहबत करके छोड़ देने वाला
कमीना होता है.
*** अंगूठी पर बने गाने :
उंगली में अंगूठी, अंगूठी में नगीना,
तेरे बिन…. तेरे बिन…
एक भी दिन मुश्किल हो गया,
जीना जीना जीना…..
उंगली में अंगूठी, अंगूठी में नगीना.