जासूस का काम जासूसी करके गुप्त विगतों को उजागर करना होता है. जासूस शब्द लैटिन मूल डिटेक्टस से आया है. जिसका अर्थ होता है उजागर करना. ऐसा ही एक निडर, बहादुर एवं देश भक्त श्री रवीन्द्र कौशिक की गौरव गाथा आप तक पहुचानी है.
श्री रविन्द्र कौशिक भारतीय रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) एजेंट थे. उन्हें भारत सरकार का सबसे अच्छा जासूस माना जाता है. वह पाकिस्तानी सेना में मेजर रैंक पर कार्यरत थे. श्री रवीन्द्र को ” ब्लैक टाइगर ” के नाम से भी जाना जाता है.
श्री रविन्द्र कौशिक का जन्म ता : 11 अप्रैल 1952 के दिन श्री गंगानगर, राजस्थान,भारत में हुआ था और उनकी मौत नवम्बर 2001 में ” सेंट्रल जेल ” मियांवाली, पंजाब, पाकिस्तान में हो गई थी. श्री रविन्द्र कौशिक जी एक प्रसिद्ध थिएटर कलाकार थेव, अपनी योग्यता को राष्ट्रीय स्तर नाटक सभा लखनऊ में प्रदर्शित कर चुके थे जिसे भारत की खुफिया एजेंसी रॉ के कुछ अधिकारियों ने भी देखा था.
उसके हुनर को देखते इस समय उनका सम्पर्क किया गया और उन्हें भारत के लिए पाकिस्तान में खुफिया एजेंट की नौकरी का प्रस्ताव रखा गया. 23 वर्ष की आयु में, उन्हें मिशन पर पाकिस्तान भेज दिया गया. इससे पहले उसको रॉ एजेंसी द्वारा दो साल के लिए दिल्ली में गहन प्रशिक्षण दिया गया था.
उन्हें इसलाम की धार्मिक शिक्षा दी गयी और पाकिस्तान के बारे में, स्थलाकृति और अन्य विवरण के साथ परिचित कराया गया था. उसे उर्दू भाषा पढ़ायी गयी. गंगानगर से होने के नाते, वह अच्छी तरह से पाकिस्तान के बड़े हिस्से में बोली जाने वाली पंजाबी भाषा में निपुण थे.
श्री रविन्द्र कौशिक को सन 1975 में पाकिस्तान में भेजा गया और नाम नबी अहमद शाकिर दिया गया था. वे कराची विश्वविद्यालय में दाखिला प्राप्त करने में सफल रहे और वहां एलएलबी पूरा किया. आगे जाकर वे पाकिस्तानी सेना में शामिल हो गए और कमीशन अधिकारी बन गए और बाद में उनको एक मेजरके पद पर पदोन्नत किया गया. उनहोंने इसी बीच वहां पर एक आर्मी अफसर की बेटी अमानत से शादी कर ली तथा एक बेटी का पिता बन गया.
उन्होंने सन 1979 से 1983 तक जो रॉ के लिए बहुमूल्य जानकारी दी जो भारतीय रक्षा बलों के लिए बहुत काम की थी. उन्हें भारत के तत्कालीन गृह मंत्री एस. बी. चव्हाण द्वारा ” ब्लैक टाइगर ” का खिताब दिया गया. कुछ जानकारों का कहना है की रविन्द्र को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा उपाधि प्रदत्त कि गई थी.
उन्होने देश के लिए दूर पाकिस्तान में अपने घर परिवार से अलग रहकर अपने जीवन के 26 साल बिताए थे.
भारतीय जासूस श्री रविन्द्र कौशिक द्वारा प्रदान की गुप्त जानकारी का उपयोग कर, भारत पाकिस्तान से सदा एक कदम आगे रहा और कई अवसरों पर पाकिस्तान ने भारत की सीमाओं के पार युद्ध छेड़ना चाहा , लेकिन रविन्द्र कौशिक द्वारा दिए गए समय पर अग्रिम शीर्ष गुप्त जानकारी का उपयोग करके इसे नाकाम कर दिया गया.
सितम्बर 1983 में, जब भारत के खुफिया एजेंसियों ने ब्लैक टाइगर के साथ संपर्क पाने के लिए एक एजेंट भेजा था. लेकिन उस एजेंट को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों ने पकड़ लिया और रविंदर कौशिक की असली पहचान का पता चला गया.
श्री कौशिक पर सियालकोट के एक पूछताछ केंद्र में दो साल तक अत्याचार किया गया. वर्ष 1985 उसे सजा ए मौत की सजा सुनाई गई, बाद में पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट द्वारा आजीवन कारावास में रूपान्तरित कर दी गई. उन्हें 16 साल तक सियालकोट, कोट लखपत और मियांवाली जेल सहित विभिन्न जेलों में रखा गया. वहीं कौशिक को दमा और टीबी हो गया. चुपके से वे भारत में अपने परिवार के लिए पत्र भेजने में कामयाब रहे. उसमें उनहोंने अपने खराब स्वास्थ्य की स्थिति और पाकिस्तान की जेलों में अपने ऊपर होने वाले यातनाओं के बारे में लिखा. लेकिन भारत सरकार या RAW ने उनकी खोज नहीं की.
उन्होंने अपने एक पत्र में पुछा था ,
” क्या भारत जैसे बड़े देश के लिए कुर्बानी देने का यही ईनाम मिलता है ? “
नवंबर 2001 में उन्होंने सेंट्रल जेल मुल्तान में फेफड़े , तपेदिक और दिल की बीमारी से दम तोड़ दिया उन्हें जेल के पीछे दफनाया गया.
वर्ष 2012 में प्रदर्शित मशहूर हिंदी बॉलीवुड फिल्म “एक था टाइगर” की शीर्षक लाइन रवींद्र कौशिक के जीवन पर आधारित थी. दो दशक पहले आई मलय कृष्ण धर की किताब “Mission to Pakistan : An Intelligence Agent in Pakistan” इसी ” ब्लैक टाइगर” पर आधारित है.
सालों तक रोंगटे खड़े कर देने वाली यातनाओं के बाद पाकिस्तान की एक जेल में आखिरी सांस लेने वाले श्रीमान रविन्द्र कौशिक के लिए एक सलाम तो जरूर बनता है.