” हिंदुस्तान की मल्लिका हरखा बाई.”

इतिहास के पन्नों में राजा और महा राजाओं की चर्चा तो होती रहती है, पर रानियों को नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है. मुगल शासन के समय भी कुछ ऐसा ही हुआ है. बाबर से लेकर अकबर और औरंगज़ेब की बहुत सारी बातें मिलती है मगर ” हरखा बाई ” जैसी महिलाओं की जानकारी हमें कम मिलती है.

हरखा बाई को हीरा कुंवारी, जोधा बाई और मरियम-उज़-ज़मानी के नाम से भी जाना जाता है. हरखा जयपुर की राजकुमारी और मुगल सम्राट अकबर की पत्नी थी. उनका जन्म 1 अक्टूबर, 1542 के दिन हुआ था. हरखा राजा भारमल की बेटी थी और बचपन में हीरा कुंवारी के नाम से जानी जाती थी. उन्हें ” जोधा बेगम ” भी कहा जाता है.

हरखा बाई, सलीम (जहांगीर) की मां थी, हरखा बाई का रसूख मुगल दरबार में काफ़ी था और अकबर की मौत के बाद भी ये कम नहीं हुआ था. अकबर की मृत्यु के बाद जहांगीर ने उनका शाही वजीफा दोगुना कर दिया था. साथ में 12,000 पुरुष घुड़सवार सेना की कमान भी सौंपी थी. यहां तक हरखा बाई जहांगीर के दरबार के चार वरिष्ठ सदस्यों में से एक बन गई थी.

हरखा बाई की सोच काफ़ी आगे थी. उन्होंने समुद्र में भी अपनी शक्ति बढाकर विदेशी व्यापार को बढ़ाया था.

बाबर से लेकर अकबर तक सभी ने जब सीमा का विस्तार किया तो वो ज़मीनी किया. समुद्र में शक्ति बढ़ाने पर ध्यान नहीं दिया. मगर हरखा बाई ने इस कमी को पूरा करने की कोशिश की. उन्होंने उस दौर में पानी का सबसे बड़ा जहाज बनाया और नाम रखा “राहिमी”.

इस जहाज के ज़रिए दूसरे देशों के साथ व्यापार होने लगा. नील, मसाले और दूसरी चीजों को मक्का भेजते थे. इसके बदले वहां से सोना-चांदी और ज़रूरी सामान भारत लाया जाता था. यहां तक कि इस राहिमी जहाज से हज यात्रियों का आना-जाना भी आसान हो गया था.

हरखा बाई ने व्यापार के लिए अपने सलाहकार और बिचौलिए रखे हुए थे. जो व्यापार से जुड़ा काम देखते थे और वो खुद बड़े फैसले लेनेका काम करती थी.

मरियम उज़-ज़मानी एक राजवंशी राजकुमारी थी जो मुग़ल बादशाह जलाल उद्दीन मुहम्मद अकबर से शादी के बाद मल्लिका-ऐ-हिन्दुस्तान बनीं थी. वे जयपुर राज्य के आमेर रियासत के राजपूत राजा राजा भारमल की पुत्री थी. इनके गर्भ से मुगल सल्तनत के वलीअहद और अगले बादशाह नूरुद्दीन जहाँगीर का जन्म हुआ था.

राजस्थान आमेर के राजा भारमल कछवाहा ने अकबर से मदद मांगी थी. उस जमाने पर राजनैतिक शादियां आम बात थी. ऐसे में राजा भारमल कछवाहा ने अपनी बेटी हरखा की शादी अकबर से करा दी थी. हरखा बाई से अकबर इतने प्रभावित थे कि उन्होंने गौ मांस खाना छोड़ दिया था. हरखाबाई मुगल दरबार में भी दखल दिया करती थी. वो एक मात्र अकबर की रानी थी जिन्हे ये रूतबा हासिल था.

अकबर का नाम लेते ही हमारे जहन में एक मूवी घूमती है, ” जोधा-अकबर ” इस मूवी में रितिक रोशन ने अकबर और विश्व सुंदरी एश्वर्या राय ने जोधा का किरदार निभाया था. जोधा को अकबर की पत्नी बताया गया था.

अकबर के जीवन पर प्रकाशित किताब ‘अल्लाहु अकबर: अंडरस्टैंडिंग द ग्रेट मुगल इन टुडेज इंडिया के लेखक मणिमुग्ध एस शर्मा इस बात को खारिज कर चुके हैं. उनके मुताबिक अकबर की चौथी पत्नी का नाम हीराकंवर यानि की हरखा बाई था. हरखा बाई जो आमेर की राजकुमारी थी.

अकबर से जब हरखा बाई की शादी हुई थी तो उसकी उम्र महज 20 साल की थी. हरखा बाई को अकबर ने “मरियम-उज-जमानी” नाम दिया था. हरखा अकबर के सामने भी कभी हिंदू धर्म को मानती रही और पूरी तरह से हिंदू धर्म का पालन करती रही. वो एक मात्र अकबर की गैर मुस्लिम पत्नी थी जिनका धर्मान्तरण नहीं कराया गया.

किताब में बताया गया है कि हरखा बाई से अकबर खासे प्रभावित रहे और गौमांस खाना छोड़ दिया, यहां तक की दरबारियों को गौ मांस खाने पर प्रतिबंध लगा दिया था. उस वक्त के इतिहासकार बदांयूनीने भी लिखा है कि अकबर का हिंदूओं के साथ होने के कारण उन्होंने गौमांस पर प्रतिबंध लगा दिया था. यहां तक कि लहसुन-प्याज खाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है, वो दाढ़ी वाले लोगों के साथ संपर्क करने में भी कतराने लगे थे.

उस वक्त की बात है जब मसाले और दूसरी चीजों को मक्का भेज कर व्यापार किया जा रहा था. लेकिन एक बार पुर्तगालियों ने (1613) में हरखा बाई के जहाज “राहिमी” को रोका और कब्जा कर लिया है. तो जहांगीर आग बबूला हो गया और पुर्तगालियों के साथ व्यापार बंद कर दिया गया. कई दूसरी दूसरी सहूलियतें जिनमें वजीफा शामिल है रोक दी गयी. यहीं नहीं आगरा में बने चर्च पर ताला लगा दिया गया.

हरखाबाई के साथ हुई ना इंसाफी का बदला जहांगीर ने लिया और दमन में पुर्तगालियों को घेर कर बुरी तरह नुकसान पहुंचाया. हरखा बाई जिनका नाम आज भी इतिहास के पन्नों में कैद है. राजस्थान की वो राजकुमारी जो जिंदगी अपनी शर्तों पर जीती थी और मौत भी. हरखा बाई ने सन 1623 में इस दुनिया को अलविदा कह दिया और अपना नाम इतिहास के पन्नों में अमर करते गई.

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