कई कहानी जनश्रुति पर आधारित या प्रचलित मान्यताओं पर आधारित होती है , जिसे लोग पीढ़ी दर पीढ़ी से सुनते आए हैं. ऐसी ही एक कथा है रावण की बेटी और हनुमानजी की प्रेम कहानी के बारे में. हालांकि इन कथाओं का वाल्मीकि रामायण और तुलसीदास रचित रामचरितमानस में कही उल्लेख नहीं है.
कहते हैं कि रावण की एक बेटी भी थी. जिसका नाम सुवर्णमछा या सुवर्णमत्स्य था जो देखने में बहुत ही सुंदर थी. उसे सोने की जलपरी कहा जाता था. मतलब स्वर्ण के समान उसका शरीर दमकता था. इसका सही अर्थ सुनहरी मछली होता है. थाईलैंड और कंबोडिया में सुनहरी मछली को उसी तरह पूजा जाता है जिस तरह की चीन में ड्रेगन को पूजा जाता है.
भारतीय रामायण के थाई तथा कम्बोडियाई संस्करणों के बारे में कहा जाता है कि उसमें लिखा है कि रावण की बेटी सुवर्णमछा (सोने की जलपरी) थी. जब नल और नील की योजन के तहत लंका तक सेतु बनाया जा रहा था तो रावण ने सुवर्णमछा को सेतु बनाने के प्रयास को विफल करने का कार्य को सौंपा था. वह हनुमानजी का लंका तक सेतु बनाने का प्रयास विफल करने की कोशिश करती है, परंतु इस दौरान ही अंततः वह उनसे प्यार करने लगती है.
कहानी विस्तार से :
रामकियेन-रामकेर रामायण के अनुसार रावण को सात बेटों के अलावा रावण की एक बेटी भी थी, जिसे पवन पुत्र हनुमानजी से प्रेम हो गया था. लंका पति रावण के 7 पुत्रो में मेघनाथ और अक्षय कुमार के बारे में हर कोई जानता है. लेकिन, रावण की पुत्री के बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं.
वास्तव में वाल्मीकि रामायण के बाद रामायण को दक्षिण भारत ही नहीं, बल्कि कई देशों में अलग-अलग तरह से लिखा गया है , और इनमें से ज्यादातर रामायण में श्रीराम के साथ-साथ रावण को भी काफी महत्व दिया गया है. यही वजह से श्रीलंका, इंडोनेशिया, माली, मलेशिया, थाईलैंड और कंबोडिया में भी रावण को पूरा महत्व दिया जाता है.
थाईलैंड की रामकीन रामायण और कंबोडिया की रामकेर रामायण में रावण की पुत्री का जिक्र किया गया है. आइए जानते हैं कौन थी रावण की बेटी जिसे हनुमान जी से प्रेम हो गया था. रावण के तीन पत्नियों से थे 7 बेटे थे.
रामकियेन और रामकेर रामायण के अनुसार, रावण के तीन पत्नियों से 7 बेटे थे. पहली पत्नी मंदोदरी से दो बेटे मेघनाद और अक्षय कुमार थे, दूसरी पत्नी धन्यमालिनी से अतिकाय और त्रिशिरा नाम के दो बेटे थे और तीसरी पत्नी से प्रहस्थ, नरांतक और देवांतक नाम के तीन बेटे थे.
रामकियेन और रामकेर इन दोनों रामायण में बताया गया है कि सात बेटों के अलावा रावण की एक बेटी भी थी, जिसका नाम सुवर्णमछा या सुवर्णमत्स्य था. सुवर्णमत्स्य देखने में बहुत सुंदर थी
रामकियेन और रामकेर रामायण के अनुसार, राम सेतु निर्माण के दौरान जब वानरसेना की ओर से डाले जाने वाले पत्थर गायब होने लगे तो पवन पुत्र हनुमानजी ने समुद्र में उतरकर देखा कि आखिर ये चट्टानें कहां जा रही हैं? तब उन्होंने देखा कि पानी के अंदर रहने वाले लोग पत्थर और चट्टानें उठाकर कहीं ले जा रहे हैं. ऐसे में हनुमान जी ने उनका पीछा किया तो देखा कि एक मत्स्य कन्या उनको इस कार्य के लिए निर्देश दे रही है. फिर श्री हनुमान जी सुवर्णमछा के पास गए तब सुवर्णमछा ने जैसे ही हनुमानजी को देखा उसे उनसे प्रेम हो गया.
श्री हनुमानजी सुवर्णमछा के मन की स्थिति भांप गए और सुवर्णमछा को पूछा कि आप कौन हैं ? तब सुवर्णमछा ने हनुमान जी को बताया कि वह रावण की बेटी है. तब हनुमान जी ने रावण की गलतियों के बारे में सुवर्णमछा को सब बताया. हनुमानजी के समझाने पर सुवर्णमछा ने सभी चट्टानों को लौटा दिया, जिसके बाद रामसेतु के निर्माण का कार्य पूरा हुआ.