वो गांव जहां विदेशी महिलाएं संबंध बनाने के लिए पुरुषों को देती है पैसे.

भारत में विविध जाति जमाती के लोग वास्तव्य करते है. हर एक के रीति रिवाज़ में अंतर है. भारत ने सदियों से कई संस्कृतियों को अपनाया है. देश में कई स्थान हैं, जहां लोग आज भी पूरी तरह से अनजान हैं. कुछ जनजाति जीवन की व्यस्तता से दूर कबीलों में रहती हैं.

आपको पता है ? हिमालय के कुछ गांवों में 5000 साल पुराने आर्यन के आखिरी वंशज आज भी रहते हैं. ये मूल ” आर्यन ” के वंशज हैं. आज भी अपनी असली नस्ल को बनाए रखने के लिए 80% लोग अपने ही गांव के लोगों से शादी करते हैं, इनमे से 20% बाहर के लोगों से शादी करते हैं. 15,000 फीट की ऊंचाई पर बसे दाह और बीमा हिमालय में दो गांव है जहां ये लोग रहते हैं. इस जगह को आर्यन वैली भी कहते हैं. आर्यन्स की असल नस्ल को बचाए रखने के लिए पहले यहां जाना मना था, लेकिन अब यहां टूरिस्ट्स जा सकते हैं.

ब्रोकपा जाति के लोग सालों पहले आए यूरोपियन आक्रमणकारियों के वंशज हैं और बहुत कुछ उनके जैसे दिखते भी हैं. ये सभी लोग कश्मीर और लद्दाख के लोगों से अलग दिखते हैं. यहां की महिलाएं सबसे खूबसूरत मानी जाती हैं. ज्यादातर लोगों की आंखें नीली, रंग गोरा, खूबसूरत नाक और चमकदार स्किन होती है. यह ब्रोकपास जाति के लगभग 2000 वंशज आज भी हैं जो दाह, हानू, गारकों व दारचिक एरिया में रहते हैं.

यहां रहने वाले ब्रोकोपा जनजाति के लोग को अलेग्जेंडर द ग्रेट की सेना का वंशज माना जाता है. भारत के इस गांव में यूरोप से लड़कियां प्रेग्नेंट होने के लिए आती है. विश्वास नहीं होता है ना ?

बात ही कुछ ऐसी है. लेकिन यह सच है. इस गांव में महिलाएं घूमने के लिए नहीं बल्कि यहां रहने वाले मर्दों से खुद को प्रेग्नेंट करवाने के लिए आती हैं.

इसके पीछे का रहस्य :

यह गांव कारगिल से 70 किलोमीटर दूर है, जिसका नाम आर्यन वैली विलेज है. इसके पीछे का किस्सा यह है कि अलेग्जेंडर द ग्रेट जब भारत में हारने के बाद जा रहा था तो उसके कुछ लोग भारत में ही रह गए थे. तब से अब तक उनके कुछ वंशज इसी गांव में रहते हैं. यूरोप की महिलाएं अलेग्जेंडर द ग्रेट जैसे बच्चे की चाह में इस गांव में आती हैं. वह यहां आने वाले पुरुषों के साथ संबंध बनाती हैं. उनका मानना है कि यहां के मर्दों से संबंध बनाकर वे प्रेगनेंट होने पर अलेग्जेंडर द ग्रेट जैसे बच्चे को जन्म देंगी.

यूरोप से यहां आनेवाली यूरोपियन महिलाएं यहां पर मर्दों से संबंध बनाने के लिए उन्हें पैसे देती हैं. जब उनका काम पूरा हो जाता है तो वह वापस यूरोप चली जाती है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, लंबे समय से चल रहा यह अब बिजनेस के रूप में बदल गया है. इस गांव को लेकर दावा किया जाता है कि यहां पर अभी भी दो हजार से अधिक शुद्ध आर्यन जिंदा हैं.

यहां के लोग अन्य राज्यों से बहुत अलग तरीके से रहते हैं. अगर पहनावे की बात करें तो यहां पर पुरुष और महिलाएं दोनों ही रंग बिरंगे और खास तरह के कपड़े पहनते हैं.

लद्दाख की पोशाक को ” गोंचा ” कहा जाता है जो लद्दाख की कठोर ठंडी जलवायु के लिए एक व्यावहारिक पोशाक है. पुरुषों का पहनावा एक विशिष्ट स्टाइलिश परिधान है. यह एक लंबाई वाला कोट होता है. यह लोग शाकाहारी होने के साथ गाय के दूध और दूध से बनी चीजें नहीं खाते हैं.

लद्दाख अपनी सुंदरता के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है. आर्य वैली गांव पुरुषों में लोकप्रिय है. अब आर्यन वैली गांव विश्व प्रसिद्ध हो चूका है

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