लाजवाब गीतकार हसरत जयपुरी |

Lyricist Hasrat Jaipuri

हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्रीज मे ऐसा कोई व्यक्ति नहीं होगा, जो हसरत जयपुरी जी को नहीं जानता होगा. उनका जन्म इकबाल हुसैन के रूप में ता : 15 अप्रेल 1922 के दिन जयपुर में हुआ था. आप हिंदी और उर्दू भाषा के कवि थे. हसरत हिंदी फ़िल्मों के जानेमाने गीतकार थे.

उनको दो बार सर्वश्रेष्ठ गीतकार का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार सन1967 में गीत बहारो फूल बरसाओ के लिए फ़िल्म सूरज 1966 की फ़िल्म और फिर सन 1972 ज़िन्दगी एक सफ़र है सुहाना अंदाज़ (1971) के लिए मिला था. एक ब्रजभाषा गीतके लिए जयपुरी को वर्ल्ड यूनिवर्सिटी राउंड टेबल से डॉक्टरेट की उपाधि से भी सम्मानित किया गया था.

उन्होंने अपने नाना, कवि फ़िदा हुसैन से उर्दू और फ़ारसी में तालीम ली थी. करीब बीस वर्ष की आयुमे पद्य लिखना शुरू किया था. लगभग उसी समय, उन्हें पड़ोस की राधा नाम की लड़की से प्यार हो गया. हसरत ने अपने जीवन के अंत में एक साक्षात्कार में इस लड़की को लिखे एक प्रेम पत्र के बारे में बात करते हुए कहा था कि प्यार का कोई धर्म नहीं होता.

हसरत जयपुरी ने इस प्रेमिका के लिए एक कविता लिखी थी. ” ये मेरा प्रेम पत्र पढ़ कर, के ” तुम नाराज़ न होना.” फिल्म निर्माता राज कपूर को यह काफी पसंद आया और उन्होंने इसे अपनी संगम (1964 हिंदी फिल्म) में शामिल किया और यह गाना भारतभर में काफ़ी पसंद किया गया.

सन 1940 में, हसरत बंबई आये. दरअसल घर से निकालने के बाद इकबाल मुंबई आ गए. मुंबई आकर उन्होंने जीवन का असली संघर्ष देखा, उस वक्त जेब में ना पैसा, ना खाने के लिए रोटी और ना ही इतने बड़े अंजान शहर में कोई पहचान वाला. उन्होंने कई रातें फुटपाथ पर सो कर गुजारीं, कुछ दिनों के बाद उन्हें एहसास हुआ कि खाने के लिए कुछ तो कमाना पड़ेगा. काफी ढूंढने के बाद इकबाल को बस कंडक्टर की नौकरी मिल गई.

तब उनको मासिक ग्यारह रुपये का वेतन मिलता था. हसरत मुशायरों में भाग लेते थे. एक मुशायरे में पृथ्वीराज कपूर की नजर हसरत पर पड़ी और उन्होंने अपने बेटे राज कपूर से उनकी सिफारिश की. उसी समय राज कपूर शंकर-जयकिशन के साथ मिलकर प्रेम कहानी, बरसात (1949) की योजना बना रहे थे. जयपुरी ने फिल्म के लिए अपना पहला रिकॉर्डेड गाना जिया बेकरार है लिखा. उनका दूसरा गाना (और पहला युगल) “छोड़ गए बालम” था.

शैलेन्द्र के साथ , जयपुरी ने 1971 तक राज कपूर की सभी फिल्मों के लिए गीत लिखे. जयकिशन की मृत्यु और मेरा नाम जोकर (1970) और कल आज और कल फ़िल्म (1971) की विफलता के बाद, राज कपूर ने अन्य गीतकारों और संगीत निर्देशकों की ओर रुख किया.

जब साथी गीतकार शैलेन्द्र “तीसरी कसम” के निर्माता बने, तो उन्होंने हसरत को फिल्म के लिए गीत लिखने के लिए आमंत्रित किया. उन्होंने फिल्म हलचल (1951) के लिए पटकथा भी लिखी. गीतकार के रूप में आखिरी फिल्म हत्या: द मर्डर (2004) थी.

हसरत जयपुरी साहब की मृत्यु ता : 17 सितम्बर 1999 के दिन मुंबई मे हुईं. तब वें 77 साल के थे.

हसरत के दो बेटे और एक बेटी, अख्तर हसरत जयपुरी और आसिफ हसरत जयपुरी और किश्वर जयपुरी हैं. आदिल, अमान, आमिर और फैज़ जयपुरी उनके पोते हैं. उनकी एक बहन बिलकिस मलिक की शादी संगीत निर्देशक सरदार मलिक से हुई थी और वह संगीतकार अनु मलिक की मां हैं.

आजकी पोस्ट मैं हसरत जयपुरी के भावपूर्ण गाने के साथ समापन करना चाहूंगा.

फ़िल्म का नाम है : दिल एक मंदिर.

संगीतकार : शंकर – जयकिशन.

गीतकार : हसरत जयपुरी.

गायक : लता मंगेशकर.

हम तेरे प्यार में सारा आलम

खो बैठे हैं तुम कहते हो कि

ऐसे प्यार को भूल जाओ,

भूल जाओ,

हम तेरे प्यार में सारा…

पंछी से छुड़ाकर उसका घर

तुम अपने घर पर ले आये

ये प्यार का पिंजरा मन भाया

हम जी भर-भर कर मुस्काये

जब प्यार हुआ इस पिंजरे से

तुम कहने लगे आज़ाद रहो

हम कैसे भुलायें प्यार तेरा

तुम अपनी ज़ुबाँ से ये न कहो

अब तुमसा जहां में कोई नहीं है

हम तो तुम्हारे हो बैठे

तुम कहते हो कि…

इस तेरे चरण की धूल से हमने

अपनी जीवन मांग भरी

जब ही तो सुहागन कहलाई

दुनिया के नज़र में प्यार बनीं

तुम प्यार की सुन्दर मूरत हो

और प्यार हमारी पूजा है

अब इन चरणों में दम निकले

बस इतनी और तमन्ना है

हम प्यार के गंगाजल से बलम जी

तनमन अपना धो बैठे

तुम कहते हो कि…

सपनों का दर्पण देखा था

सपनों का दर्पण तोड़ दिया

ये प्यार का आँचल हमने तो

दामन से तुम्हारे बाँध लिया

ये ऐसी गाँठ है उल्फत की

जिसको न कोई भी खोल सका

तुम आन बसे जब इस दिल में

दिल फिर तो कहीं ना डोल सका

ओ प्यार के सागर

हम तेरी लहरों में नांव डुबो बैठे

तुम कहते हो कि…

एक सेल्यूट तो बनता है हसरत जयपुरी के लिए.🌹

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