भारत को प्राचीन मंदिरों की भूमि कहा जाते है. यहां प्राचीन मंदिरों की संख्या लाखोमे है, जो अपनी प्राचीन कलाकृति को उजागर करती है. ऐसा ही डूंगरपुर स्थित एक प्राचीन मंदिर ” देव सोमनाथ मंदिर ” की बात आज मुजे आप लोगोंके साथ शेयर करनी है.
देव सोमनाथ मंदिर डूंगरपुर जिले के उत्तर-पूर्व में 20 किमी की दूरी पर देव नामक गाँव में सोम नदी के किनारे स्थित विध्यमान होने के कारण ही मंदिर का नाम देव सोमनाथ पड़ा है. मंदिर में प्राप्त शिलालेखों से यह पता चलता है कि इस भव्य मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी के दौरान राजा अमृतपाल के द्वारा कराया गया था.
मंदिर में 14वीं शताब्दी के अस्पष्ट शिलालेख भी प्राप्त होते हैं. वर्तमान में यह मंदिर भारतीय पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है. मंदिर के भीतर गर्भगृह में दो शिवलिंग स्थापित हैं. यह दोनों ही शिवलिंग स्वयंभू हैं और इनके विषय में कोई भी एतिहासिक पुष्ठ भूमि ज्ञात नहीं है. गर्भगृह में दो शिवलिंगों के अलावा अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाए भी स्थापित की गई हैं, जिनका निर्माण पत्थरों की सहायता से किया गया है.
देव सोमनाथ मंदिर के विषय में पुरातत्व विभाग के द्वारा प्रदान की गई जानकारी से यह पता चलता है कि इस मंदिर के निर्माण में मालवा शैली का उपयोग किया गया है. योजन आकार में निर्मित इस मंदिर में गर्भगृह, अंतराल और सभा मंडप हैं और साथ ही मंदिर में प्रवेश के लिए 3 द्वार हैं. मंदिर की छत पर भी आकर्षक शानदार नक्काशी की गई है.
मंदिर तीन मंजिला ईमारत है, जो कुल 108 खम्भों पर टिका हुआ है. इन खम्भों का निर्माण चूने और मिट्टी के गारे से हुआ है. मंदिर की खासियत है कि इसे बनाने में उपयोग हुए पत्थरों को इन खम्भों से जोड़ने में किसी भी प्रकार के पदार्थ का उपयोग नहीं किया गया है. बल्कि ये पत्थर आपस में और इन खम्भों के साथ क्लैंप तकनीक के माध्यम से जुड़े हुए हैं. इस तकनीक से जुड़े होने का फायदा यह है कि न तो मंदिर के पत्थर और न ही खम्भों पर भूकंप का कोई असर होता है.
देव सोमनाथ मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण मात्र एक रात में ही हुआ था. इस मंदिर की स्थापत्य कलासे अंदाजा लगाया जाता है कि इसका निर्माण गुजरात के प्रसिद्द सोमपुरा शिल्पकारों ने किया था लेकिन इस विषय में स्पष्ट साक्ष्यों का अभाव है.
देव सोमनाथ मंदिर, भगवान शिव का मंदिर है. यह मंदिर, विक्रम समवत के शासनकाल के दौरान इसे बनाया गया था. सफेद संगमरमर से बने इस खुबसूरत मंदिर की दीवारों पर कई शिलालेख है. यह गुजरात के सोमनाथ मंदिर की प्रतिकृति है और मध्य प्रदेश के खजुराहो मंदिरों में से एक भी है. मंदिर के प्रवेश द्वार पर, हाथी की एक बड़ी से प्रतिमा है और पत्थर की बनी भगवान शिव की नंदी बैल की मूर्ती प्रवेश द्वार पर स्थापित है.
मंदिर की शिलालिखित दीवारों पर हथेलिओ के निशान भी हमें देखने को मिलते है जो उन महिलाओं के माने जाते है जो सती हो गयी थी. मंदिर की गुंबद पर सटीक वास्तुकला है और यह रानाकपुर जैन मंदिर जैसा भी दिखता है. मशहूर चित्रों और शिलालेखों की कड़ियाँ और अद्भुत नक्काशीदार खम्बे इसकी सुंदरता को और बढ़ावा देता है.
वहां तक कैसे पहुँचें :
हवाई मार्ग :
दूंगरपुर पहुँचने के लिए सबसे नजदीकी हवाईअड्डा उदयपुर में स्थित है, जो मंदिर से लगभग 128 कि. मी. की दूरी पर है. इसके आलावा आप अहमदाबाद के अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से मंदिर की दूरी लगभग 200 किमी है.
रेल और सड़क मार्ग से :
डूंगरपुर रेलवे स्टेशन मंदिर से लगभग 30 किमी की दूरी पर है, जो देश के लगभग सभी बड़े शहरों से रेलमार्ग के माध्यम से जुड़ा हुआ है. राजस्थान, गुजरात और अन्य उत्तर भारतीय इलाकों से डूंगरपुर सड़क मार्ग से भी जुड़ा हुआ है. राज्य परिवहन बस सेवा का उपयोग करके आप आसानी से डूंगरपुर तक पहुंच सकते है.