विजय पांडुरंग भटकर को भारत में सुपरकंप्यूटर के निर्माण के लिए जाना जाता है. उन्हें भारत सरकार द्वारा ” पद्म भूषण ” और ” पद्म श्री ” और महाराष्ट्र सरकार द्वारा उन्हें ” महाराष्ट्र भूषण” से सम्मानित किया गया है.
डॉ. विजय पांडुरंग भटकर जी का जन्म : 11 अक्टूबर 1946 (उम्र 77) पुणे, महाराष्ट्र राज्य में हुआ था. उन्होंने भारत का पहला सुपर कंप्यूटर “परम” विकसित किया था. उसका नाम आईटी लीडर है और वह काफी मशहूर है. डॉ. भटकर के पास आईआईटी दिल्ली, सर विश्वेश्वरैया नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, नागपुर से डिग्री और एम. एस. है. उन्होंने वड़ोदरा विश्वविद्यालय से सन 1965 में इंजीनियरिंग में डिग्री व 1968 में मास्टर ऑफ इंजीनियरिंग की उपाधि प्राप्त की. पुणे में सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (सी-डैक) में डॉ. भटकर ने 1987 में एक सुपर कंप्यूटर बनाने की परियोजना का निरीक्षण किया.
इससे भारत के पहले सुपर कंप्यूटर, परम 8000 और परम 10000 का निर्माण हुआ. डॉ.भटकर ने अपनी अन्य उपलब्धियों के अलावा 80 से अधिक शोध पत्र लिखे, संपादित और निर्मित किए हैं. कंप्यूटर विज्ञान के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान देने के लिए उन्हें कई पुरस्कार मिले हैं. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), दिल्ली के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष डॉ. विजय भटकर हैं.
इसके अलावा वह स्वदेशी अनुसंधान को आगे बढ़ाने के लिए समर्पित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ संगठन, विज्ञान भारती के नेता हैं. डॉ. विजय भटकर की निजी वेबसाइट के अनुसार, उन्होंने 1987 में पुणे में सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (सी-डैक) में एक सुपर कंप्यूटर के निर्माण का निरीक्षण किया था.
भारत का पहला सुपर कॉम्प्युटर, परम 8000 और परम 10000 बनाने के लिए भारत सरकार द्वारा उन्हें सन 2000 में ” पद्मश्री ” और सन 2015 में उन्हें ” पद्मभूषण ” पुरस्कार से सन्मानित किया गया.
डॉ. भटकर द्वारा लिखी गई और संपादित की गई कुल 12 पुस्तक का प्रकाशन किया गया है. जिसमे अस्सी से अधिक संशोधनात्मक लेख दिये गये है. डॉ. विजय भटकर के अनुसार ई सन 2030 तक भारत चीन और अमेरिका को पीछे छोड़कर विश्व का अव्वल नंबर का राष्ट्र बनेगा. रॉयल सोसायटीने सन 2003 में तज्ञ के एक ग्रुप जो दक्षिण आफ्रिका में भेजा गया था जिसका नेतृत्व डॉ. विजय भटकर ने किया था.
राजीव गांधी जब प्रधानमंत्री थे तब उन्होंने अमेरिका से सुपर कंप्यूटर की मांग की, लेकिन उन्होंने कहा कि हमारे सुपर कंप्यूटर का इस्तेमाल अंतरिक्ष , परमाणु और रक्षा कार्यों के लिए नहीं किया जा सकता. उस समय सूचना प्रौद्योगिकी जैसा जटिल विषय केवल बड़े लोग ही संभालते थे. सभी लोगोंकी यहाँ तक कि भारतीयों की भी धारणा यह थी कि यह अत्यंत जटिल विषय भारत जैसे देश की पहुँच से बाहर है !!!
लेकिन एक मराठी व्यक्ति डॉ. विजय भटकर ने अमेरिका को पूरी तरह झूठा साबित कर दिया. डॉ. विजय भटकर ने भारत के लिए पहला सुपर कंप्यूटर बनाकर दुनिया को चौंका दिया. उन्होंने भारत का परिचय विश्व को कराया.
विजय भटकर का जन्म महाराष्ट्र के अकोला में ” मुरम्बा ” नामक गाँव में हुआ था, जिसकी आबादी करीब 200 से 300 थी. एक छोटे से गांव में, एक छोटे से घर में जन्मे इस लड़के के सपने आसमान छूने वाले थे. संघर्ष करते हुए, अकोला, नागपुर, दिल्ली में यथा संभव अध्ययन करते हुए उन्होंने डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की.
शिक्षा ग्रहण करते समय डॉ. विजय पांडुरंग भटकर ने कई किताबें पढ़ीं. उन्होंने भारत का पहला सुपर कंप्यूटर बनाया. उनका कहना है कि ” जो किताब को अपना मित्र बनाता है उसे किसी अन्य मित्र की आवश्यकता नहीं होती है.” डॉ. विजय बिना किसी देश की सहायता के पूर्णतः स्वदेशी बनकर कार्य किया. दुनिया ने आश्चर्य से मुँह में उंगलियाँ दबा लीं और भारत न केवल आत्मनिर्भर बन गया, बल्कि रूस, सिंगापुर जैसे “उन्नत” देशों का निर्यातक भी बन गया…!!!
अमेरिका एक शक्तिशाली देश है. हालाँकि भारत आज एक विकासशील देश है, लेकिन अमेरिका सहित कई उन्नत देशों को पता था कि यह आने वाले वर्षों में एक महाशक्ति के रूप में उभर कर सामने आयेगा. इसी डर के कारण किसी भी विकसित देश ने भारत को सुपर कंप्यूटर नहीं दिया था. इसी मौके का फायदा लेकर डॉ. विजय ने स्वदेशी सुपर कंप्यूटर बना दिया. और सुपर कंप्यूटर के जनक के रूपमें विश्व में प्रसिद्ध हुए. उस समय वह त्रिवेन्द्रम में इलेक्ट्रॉनिक्स अनुसंधान एवं विकास निदेशक के पद पर कार्यरत थे.
जब केंद्र सरकार ने उनसे इस बारे में पूछा तो उन्होंने तुरंत हा कह दिया. उनका आत्मविश्वास इतना प्रबल था कि उन्होंने इस विषय को बिना ” सुपर कंप्यूटर ” देखे या इसके बारे में कोई आगे ज्ञान प्राप्त किए बीना ही शुरू कर दिया. वो भी अमेरिका द्वारा मांगी गई आधी कीमत पर और डॉ. को बनाने में आधा समय लगा. डॉ. भटकर ने बनाया “परम 8000” और अमेरिका के “वॉल स्ट्रीट जनरल” के पहले पन्ने पर खबर आई – इंडिया डिड इट !!!
स्वामी विवेकानन्द ने हमारे देश की संस्कृति एवं धर्म के आध्यात्मिक ज्ञान से उन्नत देशों को परिचित कराया एवं डाॅ. भटकर ने सुपर कंप्यूटर देकर.
” परम 8000 “, ” परम 10000 ” सुपर कंप्यूटर प्रति सेकंड अरबों की गणनाएँ हल कर सकता हैं. वे अंतरिक्ष अनुसंधान, भूमिगत आंदोलन, तेल भंडार अनुसंधान, चिकित्सा मौसम, इंजीनियरिंग, सैन्य जैसे कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं. विश्व के विकासशील देशों में अमेरिका और जापान के अलावा केवल भारत के पास ही इतनी क्षमता के कंप्यूटर हैं. “परम” को पहचान और प्रसिद्धि स्विट्जरलैंड की एक प्रदर्शनी में मिली थी.
विज्ञान के समर्थक, शोधकर्ता, लेखक, प्रोफेसर के साथ-साथ राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पदों पर आसीन डॉ. भटकर भगवानके सच्चे भक्त हैं. विज्ञान और अध्यात्म का यह सुंदर अनुसंधान कहा जा सकता है.
असामान्य व्यक्ति डॉ.भटकर को अनेक पुरस्कारों से नवाजा गया है. कम्प्यूटर एवं सूचना प्रौद्योगिकी पर डाॅ. भटकर के कई शोध पत्र प्रसिद्ध हैं. डॉ. विजय को देश-विदेश में महाराष्ट्र भूषण, प्रियदर्शिनी अवॉर्ड, पद्मश्री जैसे कई सम्मान मिल चुके हैं. इतना ही नहीं, डॉ. भटकर को भारत में सुपरकंप्यूटर के जनक के रूप में जाना जाता है.
डॉ. विजय भटकर को मिले पुरस्कार :
(1) अनासाहेब चिरामुले मेमोरियल अवार्ड- 2003.
(2) इंडियन जियोटेक्निकल सोसायटी- स्वर्ण पदक – 1979.
(3) इलेक्ट्रॉनिक मैन ऑफ द ईयर -1992 – एल्सिना.
(4) एबिज़ इनोवेशन कॉन्टेस्ट अवार्ड – दुबई, 1998. (इस प्रतियोगिता में 35 देशों से 1325 लोग आये थे, जिनमें भटकर प्रथम स्थान पर रहे.)
(5) एचके फिरोदिया लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड -1995-96.
(6) एनआरडीसी पुरस्कार-1981.
(7) ओम प्रकाश भ. – पुरस्कार-2000.
(8) प्रशंसा पुरस्कार – केजी फाउंडेशन का पर्सनैलिटी ऑफ द डिकेड अवार्ड – 2004.
गुलाबराव महाराज पुरस्कार – डानाक्वेस्ट लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड -2003.
(9) पावरग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (पीएमसीआईएल) पुरस्कार-2001.
(10) पीटर्सबर्ग पुरस्कार-2004.
(11) पुणे अभिमान मूर्ति -1997.
पुणे गढ़ पुरस्कार – पुण्य भूषण पुरस्कार –
(12) प्रतिष्ठित पूर्व छात्र पुरस्कार -1994 (आईआईटी, दिल्ली).
(13) प्रियदर्शिनी पुरस्कार-2000.
(14 ) फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स (फिक्की) 1983,1991.
(15) भारत सरकार से पद्मश्री-2000.
(16) महाराष्ट्र सरकार भूषण पुरस्कार -2000.
(17) भारत सरकार से पद्म भूषण -2015.
(18) राजर्षि शाहू महाराज पुरस्कार –
रामियल वाधवा स्वर्ण पदक -1992 (आईईटीई).
(19) रोटरी पुरस्कार-1997.
(20 ) लोकमान्य तिलक पुरस्कार -1999.
विदर्भ भूषण पुरस्कार :
(21) वाद्यलाक्षी औद्योगिक विकास केंद्र (वासुइक) पुरस्कार -1993
विश्वरत्न पुरस्कार :
(22) विश्वेश्वरैया मेमोरियल अवार्ड-2002 (कोल्हापुर).
विज्ञान सम्मान पुरस्कार :
(23) सरस्वती पुरस्कार –
सावरकर राष्ट्रीय स्मृति विज्ञान पुरस्कार
(24) सीईडीएसी-एसीएस फाउंडेशन व्याख्यान पुरस्कार -2007.
(25) श्रीमंत मालोजीराव स्मृतिपुरस्कार
हाईग्रेव पुरस्कार आदि. (