रेल्वे में क्या होता है RAC का स्टटेस? यात्री क्यों देते है आधी सीट के पूरे पैसे.
ट्रेन में सफर करने वाले ज्यादातर यात्रियों का पाला कभी न कभी RAC टिकट से तो पड़ता ही है. यह टिकट हाथ में होने पर आपको ट्रेन में आधी सीट तो मिल ही जाएगी. आखिर इस तरह के टिकट का फंडा क्या होता है, जिसमें यात्री को आधी सीट का ही हक मिलता है.
RAC का फुलफॉर्म होता है……( RESERVATION AGAINST CANCELLATION ) आरएसी और वेटिंग लिस्ट में बेहतर आरएसी है , क्योंकि इसके साथ आप आराम से बैठकर यात्रा कर सकते हैं जबकि वेटिंग लिस्ट में आपको बैठने तक की अनुमति नहीं होती है , हो सकता है कि कहीं जगह खाली हो तो हम बैठ सकते हैं लेकिन यह बहुत रेयर केस में होता है कि आपको कहीं सीट खाली मिल जाए. और वेटिंग लिस्ट की अपेक्षा आरएसी टिकट के कंफर्म होने की संभावना अधिक होती है.
अगर आपकी टिकट RAC हो तो तब एक सीट पर 2 यात्री यात्रा कर सकते हैं. RAC का स्टटेस होने पर आपको सोने के लिए ट्रेन में सीट नहीं मिलती. अगर 2 लोगों को एक सीट मिलने पर अगर कोई एक व्यक्ति भी अपना रिजर्वेशन टिकट कैंसिल करता है तो दूसरे यात्री को पूरी सीट मिल जाएगी.
ट्रेन में सफर करने के लिए हर यात्री को कंफर्म सीट मिलना बहुत जरूरी है. कई बार ऐसा होता है कि आपकी सीट कंफर्म होने के बजाए RAC हो जाती है. इसका मतलब है कि ट्रेन में आपको सिर्फ आधी सीट ही मिलेगी. आखिर रेलवे का ऐसा क्या नियम है, जिसकी वजह से आपको सीट के पूरे पैसे देने के बावजूद आधी ही सीट मिलती है. दरअसल, स्लीपर क्लास की बोगी में यात्रियों को RAC का विकल्प मिलता है. इसके तहत बोगी में किनारे वाले रो की एक ही सीट दो यात्रियों को अलॉट हो जाती है.
अंतिम चार्ट ट्रेन के प्रस्थान करने से 30 मिनट पहले बनाया जाता है. कुछ वेटिंग टिकट कन्फर्म की जाती है. बर्थ और कोच संख्या सभी यात्रियों को चार्ट बनने के बाद दी जाती है कि उनकी टिकट कन्फर्म है या RAC चार्ट बनने के बाद पूरी तरह से वेटिंग लिस्ट ई-टिकट स्वचालित रूप से कैंसिल हो जाते हैं.
हम लोगोंने देखा कि आरएसी का फुल फॉर्म रिजर्वेशन अगेंस्ट कैंसिलेशन होता है. इसे आसान भाषा में समझें तो जब कोई टिकट कैंसिल होगी तो एक आरएसी सीट पक्की हो जाएगी. यात्री को या तो वही सीट फुल अलॉट कर दी जाएगी या फिर दूसरी जगह पूरी सीट दे दी जाएगी. यही होता है, ” रद्दीकरण के विरुद्ध आरक्षण ” यानी जो टिकट कैंसिल हुई उसके बदले एक दूसरी टिकट का पक्का हो जाना. यह वेटिंग का ही एक प्रकार है लेकिन इसे सबसे बेहतर वेटिंग टिकट माना जाता है.
आधी सीट का पूरा पैसा क्यों? यह बात जरूर लोगों के मन में आती है कि रेलवे आधी सीट का पूरा पैसा क्यों ले रही है. रेलवे हर आपको एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचने के लिए साधन दे रही है. किसी भी अन्य साधन में भले आपको सीट मिले या ना मिले आपसे पैसा पूरा ही लिया जाता है क्योंकि अंतत: आप उसके सहारे अपनी मंजिल तक पहुंच रहे हैं.
ठीक उसी तरह रेलवे वेटिंग टिकट के लिए पूरा पैसा वसूल करता है. इसमें वह वेटिंग टिकट भी शामिल होती हैं जिनमें आधी सीट भी नहीं मिलती है. इसलिए जब लोगों को आरएसी वेटिंग मिलती है जहां कम-से-कम उनके पास आधी सीट सफर करने के लिए होती है, तो वह खुशी-खुशी पूरा पैसा देने के लिए तैयार रहते हैं.
फुल सीट अलॉट होने की संभावना
फुल किराया लेने की एक वजह यह भी है कि अगर सफर के दौरान यात्री की आरएसी टिकट कंफर्म हो गई तो टिकट का बाकी पैसा कैसे वसूला जाएगा. बेशक यह काम टीटीई द्वारा किया जा सकता है लेकिन इसके लिए पूरी प्रणाली तैयार करनी होगी और यह सुनिश्चित करना होगा कि इसमें कोई धांधली ना हो. फिलहाल ऐसी कोई व्यवस्था मौजूद नहीं है और इससे बनने में काफी समय लग सकता है. इसलिए फिलहाल भारत की खचाखच भरी ट्रेनों में आधी सीट के लिए भी यात्री आराम से पूरी रकम दे रहा है.
रेल्वे की कुछ जानकारी :
*** SL: इसका मतलब होता है स्लीपर क्लास. इस वर्ग में ज्यादातर लोग यात्रा करते हैं. स्लीपर क्लास में 72 से 78 सीटें होती हैं और सीट कॉन्फ़िगरेशन 3 + 3 + 2 जैसा होता है. इसका मतलब है कि डिब्बे के दोनों ओर तीन सीटें हैं और डिब्बे के गलियारे की तरफ दो सीटें होती हैं.
*** जब भी ट्रेन में यात्रा के दौरान जो रेलवे कर्मचारी यात्रियों की टिकट चेक करते हैं, उन्हें TTE कहते है. इसका फुल फॉर्म ट्रैवल टिकट एग्जामिनर (TRAVEL TICKET EXAMINER ) होता है. रेलवे के इस कर्मचारी को प्रीमियम ट्रेन से लेकर मेल एक्सप्रेस ट्रेनों में यात्रा करने वालों के टिकट चेक करने की जिम्मेदारी सौंपी जाती है.
*** सभी को यह प्रश्न निर्माण होता है की जनरल टिकट कितने घंटे पहले ले सकते हैं ? इसका उत्तर है कि आपकी यात्रा के अधिकतम 3 घंटे पहले का ही टिकट मान्य होगा. वहीं अगर आपको 200 किलोमीटर या उससे अधिक लंबी जर्नी करनी है, तो आप 3 दिन पहले भी टिकट ले सकते हैं.
*** प्लेटफॉर्म टिकट के बिना पकड़े जाने पर जुर्माना :
यदि आप प्लेटफॉर्म टिकट को पूरी तरह से नजरअंदाज करते हैं, तो रेलवे टिकट-चेकिंग स्टाफ कम से कम 250 रुपये का जुर्माना लगा सकता है. इसके अलावा, अगर यात्री बिना प्लेट फार्म टिकट या यात्रा टिकट के बीना प्लेटफार्म पर पकड़ा जाता है, तो प्लेट फार्म छोड़ने वाली पिछली ट्रेन के किराए का दोगुना आर्थिक जुर्माना लगाया जाता है.
*** आरएसी टिकट के लिए रिफंड नियम :
यदि आप स्टेशन से ट्रेन के प्रस्थान से 30 मिनट पहले तक रद्द करते हैं, तो आप अपने आरएसी टिकटों के लिए रिफंडप्राप्त कर सकते हैं. रिफंड प्रति यात्री ₹ 60 + जीएसटी के कैंसिलेशन शुल्क के अधीन है.
*** वेटिंग लिस्ट (WL)
WL को भारतीय रेलवे में वेटिंग लिस्ट कहा जाता है. जिन टिकट में WL दर्ज होता है इसका मतलब है कि आपकी टिकट अभी कन्फर्म नहीं हुई है लेकिन इन टिकट के कन्फर्म होने के चांसेस सबसे ज्यादा रहते हैं. अगर आपकी टिकट में WL 10 लिखा है इसका मतबल है कि अगर 10 लोग अपनी टिकट कैंसल कर देते हैं तो इस स्थिति में टिकट कन्फर्म हो जाएगी और आपको सीट प्रदान की जाएगी.
*** कन्फर्म (CNF) :
अगर आपकी टिकट टिकट कन्फर्म है तो आपकी टिकट पर CNF लिखा होता है. इस स्थिति में आपको सीट नंबर एवं बर्थ नंबर भी अलॉट हो जाता है. कभी-कभी टिकट पर CNF लिखा होता है लेकिन बर्थ नंबर एवं सीट नंबर अलॉट नहीं होता है. ऐसी स्थिति में आपकी टिकट कन्फर्म होती है. चार्ट तैयार होने के बाद आपको सीट नंबर एवं बर्थ नंबर अलॉट कर दिया जाता है.
*** (RAC) रिजर्वेशन अगेंस्ट कैंसलेशन :
जिन टिकट में RAC कोड दर्ज होता है इसका मतलब है कि आपको अपनी सीट किसी दूसरे व्यक्ति के साथ शेयर करनी होगी. ऐसे स्थिति में एक सीट पर दो लोगों को सफर करना होता है. अगर RAC टिकट वाले कोई व्यक्ति अपनी टिकट कैंसल करते हैं तो इस स्थिति में आपकी टिकट कन्फर्म हो सकती है और आप उस पर अकेले सफर कर सकते हैं.
(RLWL) रिमोट लोकेशन वेटिंग लिस्ट :
RLWL जिन टिकट में दर्ज होता है उसका मतलब रिमोट लोकेशन वेटिंग लिस्ट होता है. इन टिकट को ट्रेन के शुरू होने और अंतिम स्टेशन के बीच में पड़ने वाली स्टेशनों से कराया जाता है. अगर ये टिकट कन्फर्म नहीं होती है तो आगे भी इसके कन्फर्म होने के चांस बहुत कम रहते हैं.