दूधिया से बना ” मिल्क किंग” वेद राम.

व्यापार की शुरुआत 60 लीटर से की और 36 लाख लीटर प्रतिदिन तक का सुनहरा सफर कैसे पुरा किया जाने एक छोटा सा दूधिया की कहानी जो एक सामान्य दूधिया से ” मिल्क किंग” बन गया. आज उनकी कंपनी अमूल को टक्कर देती है.

श्री वेद राम नागर का जन्म उत्तर प्रदेश के बागपत में हुआ. उन्होंने 27 साल की उम्र से दूध बेचने का काम शुरू किया. उन्होंने एक छोटी डेयरी के रूप में अपना काम प्रारंभ किया और तब हर दिन सिर्फ 60 लीटर दूध की बिक्री होती थी. श्री वेदराम नागर ने पारस मिल्क की स्थापना की थी.

वह कंपनी आज 36 लाख लीटर दूध हर दिन बेचती है. कंपनी के आज पूरे देशभर में कई मिल्क प्लांट हैं. यदि आप दिल्ली या उसके आसपास रहते हैं तो संभव है कि आपके घर में पारस मिल्क आता हो. अगर नहीं भी आता तो भी पारस मिल्क कंपनी के बारे में पता सभी को होता है.

ऐसा इसलिए क्योंकि यह कंपनी हर दिन करीब 36 लाख लीटर दूध बेच देती है. दूध बिक्री के मामले में यह कंपनी मदर डेयरी व अमूल जैसी बड़ी कंपनियों को भी टक्कर देती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस कंपनी की शुरुआत मात्र 60 लीटर दूध की बिक्री से हुई थी. इसके संस्थापक का नाम वेद राम नागर है जिनका निधन 2005 में हो गया था.

सन 1933 के दिन जन्मे वेद राम नागर ने 27 साल की उम्र में एक छोटे दूधिए का काम शुरू किया था. तब वह केवल ही 50-60 लीटर प्रतिदिन दूध बेचते थे. वेदराम ने सबसे पहली फर्म 1980 में स्थापित की थी. इसके बाद सन 1984 में उन्होंने दूध व उससे बनने उत्पाद बनाने के लिए एक यूनिट की स्थापना की.

1986 में उन्होंने वी.आर.एस. फूड के नाम से एक कंपनी की शुरुआत की. और सन 1987 में गाजियाबाद के साहिबाबाद में उन्होंने पहला बड़ा मिल्क प्लांट स्थापित किया. 1992 में गुलावठी में एक और बड़ा मिल्क प्लांट लगाया. सन 2004 में कंपनी ने दिल्ली एनसीआर से बाहर पैर पसारे और मध्य प्रदेश के ग्वालियर में मिल्क प्लांट की स्थापना की.

सन 2005 में वेद राम नागर का देहांत होने के बाद सन 2008 में कंपनी का नाम बदलकर वेदराम एंड संस प्राइवेट लिमिटेड कर दिया गया. आज यह कंपनी 36 लाख लीटर दूध हर दिन बेचती है. इसका ” प्रमुख ब्रांड पारस ” है. पारस का इतिहास 1960 से शुरू होता है. जिसे दिल्ली एनसीआर में काफी ख्याति प्राप्त है.

आज कंपनी दिल्ली मेट्रो में प्रतिदिन 2.50 लाख लीटर दूध बेचती है. पारस के पास गांव लेवल 5400 में प्राथमिक केंद्र हैं. पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात से रोजाना दूध जमा होता है. इसके अलावा रियल एस्टेट, हॉस्पिटलिटी और एजुकेशन सेक्टर में भी एक कंपनी का बिजनेस है.

इसके अलावा कंपनी अब केवल डेयरीके व्यापारमें नहीं रह गई है. बल्कि वेदराम नागर के बेटों ने अब हेल्थ केयर, रीयल एस्टेट, शिक्षा व दवा उत्पादन समेत कई क्षेत्रों में कंपनी की पहचान बनाना शुरू कर दी है. यूपी के बागपत से शुरू हुआ वेदराम नागर का सफर आज देश में कई बड़े प्लांट्स के रूप में आगे बढ़ रहा है.

वेद राम नागर के 5 बेटे हैं. इनमें से एक सुरेंद्र सिंह नागर राज्यसभा सांसद हैं. बाकी बेटे अपने पिता के बिजनेस में सक्रिय रूप से शामिल हैं और उसे आगे बढ़ा रहे हैं. बिजनेस के अलावा वे चौ. वेद राम चैरिटेबल ट्रस्ट के माध्यम से समाजसेवा के क्षेत्र में अनेक कार्य कर रहे हैं. कंपनी से हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात और यूपी के गांव जुड़े हुए हैं. यहां रहने वाले लाखों किसानों को पशुपालन व खेती से जुड़े सामान खरीदने भी कंपनी मदद करती है.

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