सामुद्रिक शास्त्रमें पुरुषों और स्त्रियों के प्रकार के बारे में लिखा गया है. हालांकि पुरुषों के बारे में तो कुछ ज्यादा नहीं लिखा गया लेकिन स्त्रियां कितने प्रकार की होती है उनके लक्षण क्या होते हैं उनका स्वाभाव कैसा होता है, इसके बारे में काफी लिखा गया है.
सामुद्रिक शास्त्र वैदिक परंपरा का हिस्सा है, चेहरे को पढ़ने, आभा पढ़ने और शरीर के विश्लेषण का अध्ययन के बारे में बताया गया है. सामुद्रिक शास्त्र एक संस्कृत शब्द है जिसका अनुवाद मोटे तौर पर “शरीर की विशेषताओं का ज्ञान” के रूप में किया जाता है.
सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार स्त्रियों को मुख्यतः निम्न पांच वर्गों में बाटा गया है.
(1) शंखिनी (2) चित्रिणी (3) हस्तिनी (4) पद्मिनी (5) पुंश्चली. इन पांच वर्गों के स्त्रियों के स्वभाव, लक्षण, और व्यवहार के बारे में सामुद्रिक शास्त्र में काफी कुछ लिखा गया है.
(1) शंखिनी :
ये स्त्री अन्य स्त्रियों से थोड़ी लंबी होती हैं. इनमें से कुछ मोटी और कुछ दुर्बल होती हैं. इनकी नाक मोटी, आंखें अस्थिर और आवाज गंभीर होती है. ये हमेशा अप्रसन्न ही दिखाई देती हैं और बिना कारण ही क्रोध किया करती हैं.
ये स्त्री पति से रूठी रहती हैं, पति की बात मानना इन्हें गुलामी की तरह लगता है. इनका मन सदैव भोग-विलास में डूबा रहता है. इनमें दया भाव भी नहीं होता. इसलिए ये परिवार में रहते हुए भी उनसे अलग ही रहती हैं. ऐसी स्त्रियां संसार में अधिक होती हैं.
ऐसी स्त्री चुगली करने वाली यानी इधर की बात उधर करने वाली होती हैं. ये अधिक बोलती हैं. इसलिए लोग इनके सामने कम ही बोलते हैं. इनकी आयु लंबी होती हैं.
(2) चित्रिणी :
ये स्त्रियां पतिव्रता, स्वजनों पर स्नेह करने वाली होती हैं. ये हर कार्य बड़ी ही शीघ्रता से करती हैं. इनमें भोग की इच्छा कम होती है. श्रृंगार आदि में इनका मन अधिक लगता है. इनसे अधिक मेहनत वाला काम नहीं होता, परंतु ये बुद्धिमान और विदुषी होती हैं.
गाना-बजाना और चित्रकला इन्हें विशेष प्रिय होता है. ये तीर्थ, व्रत और साधु-संतों की सेवा करने वाली होती हैं. ये दिखने में बहुत ही सुंदर होती हैं. इस स्त्री का मस्तक गोलाकार, अंग कोमल और आंखें चंचल होती हैं. इनका स्वर कोयल के समान होता है. बाल काले होते हैं.
इस वर्ग की स्त्रियां बहुत कम होती हैं. यदि इनका जन्म गरीब परिवार में भी हो तो ये अपने भविष्य में पटरानी के समान सुख भोगती हैं. अधिक संतान होने पर भी इनकी लगभग तीन संतान ही जीवित रहती हैं, उनमें से एक को राजयोग होता है. इस जाति की स्त्रियां की आयु लगभग 48 वर्ष होती है.
(3) हस्तिनी :
इस वर्ग की स्त्रीयों का स्वभाव बदलता रहता है. इनमें भोग-विलास की इच्छा अधिक होती है. ये हंसमुख स्वभाव की होती हैं और भोजन अधिक करती हैं. इनका शरीर थोड़ा मोटा होता है. ये प्राय: आलसी होती हैं.
ऐसी स्त्री के गाल, नाक, कान और व मस्तक का रंग गोरा होता है. इन्हें क्रोध अधिक आता है. कभी-कभी तो इनका स्वभाव बहुत क्रूर हो जाता है. इनके पैरों की उंगलियां टेढ़ी-मेढ़ी होती हैं. ऐसी स्त्री की संतानों में लड़के खास अधिक होते हैं. ये बिना रोग के ही रोगी बनी रहती हैं. इनका पति सुंदर और गुणवान होता है.
अपने झगड़ालू स्वभाव के कारण ये परिवार को क्लेश पहुंचाती हैं. इनके पति इनसे दु:खी होते हैं. धार्मिक कार्यों के प्रति इनकी आस्था नहीं होती. इन्हें स्वादिष्ट भोजन पसंद होता है. इनके कई गर्भ खंडित हो जाते हैं. इनके दुष्ट स्वभाव के कारण ही परिवार में भी इनकी पूछ-परख नहीं होती.
(4) पद्मिनी :
सामुद्रिक शास्त के अनुसार पद्मिनी स्त्रियां सुशील, धर्म में विश्वास रखने वाली, माता-पिता की सेवा करने वाली व अति सुंदर होती हैं. इनके शरीर से कमल के समान सुगंध आती है. यह लंबे कद व कोमल बालों वाली होती हैं. इसकी बोली मधुर होती है.
पहली नजर में सभी को आकर्षित कर लेती हैं. इनकी आंखें सामान्य से थोड़ी बड़ी होती हैं. ये अपने पति के प्रति समर्पित रहती हैं. इनके नाक, कान और हाथ की उंगलियां छोटी होती हैं. इसकी गर्दन शंख के समान रहती है व इनके मुख पर सदा प्रसन्नता दिखाई देती है.
पद्मिनी स्त्रियां प्रत्येक बड़े पुरुष को पिता के समान, अपनी उम्र के पुरुषों को भाई तथा छोटों को पुत्र के समान समझती हैं. यह देवता, गंधर्व, मनुष्य सबका मन मोह लेने में सक्षम होती हैं. यह सौभाग्यवती, अल्प संतान वाली, पतिव्रताओं में श्रेष्ठ, योग्य संतान उत्तपन्न करने वाली तथा आश्रितों का पालन करने वाली होती हैं.
(5) पुंश्चली :
पुंश्चली स्वभाव की स्त्रियों के मस्तक का चमकीला बिंदु भी मलीन दिखाई देता है. इस स्वभाव वाली स्त्रियां अपने परिवार के लिए दु:ख का कारण बनती हैं. इनमें लज्जा नहीं होती और ये अपने हाव-भाव से कटाक्ष करने वाली होती हैं. इनके हाथ में नव रेखाएं होती हैं जो सिद्ध (पुण्य, पद्म), स्वस्तिक आदि उत्तम रेखाओं से रहित होती हैं.
ऐसी स्त्री का मन अपने पति की अपेक्षा, पर पुरुषों में अधिक लगता है. इसलिए कोई इनका मान-सम्मान नहीं करता. सभी इनकी अपेक्षा करते हैं. पुंश्चली स्त्रियों में युवावस्था के लक्षण 12 वर्ष की आयु में ही दिखाई देने लगते हैं. इनकी आंखें बड़ी और हाथ पैर छोटे होते हैं. स्वर तीखा होता है.
यदि ये किसी से सामान्य रूप से बात भी करती हैं तो ऐसा लगता है कि जैसे ये विवाद कर रही हैं. इनकी भाग्य रेखा व पुण्य रेखा छिन्न-भिन्न रहती है. इनके हाथ में दो शंख रेखाएं व नाक पर तिल होता है.
सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार आंखों की बनावट खोल सकती है. इस शास्त्र में आंखों की बनावट के बारे में इतनी सही गणना की गई है कि कोई भी व्यक्ति किसी व्यक्ति को देखकर ही उसके विचारों और मन को जान और समझ सकता है.
सामुद्रिक शास्त्र में आंखों की बनावट का भी अध्ययन किया गया है. सामुद्रिक शास्त्र भी यह मानता है कि आंखों की बनावट से यह पता लगाया जा सकता है कि किसी व्यक्ति के मन में इस प्रकार के विचार रहते हैं. बताया जाता है कि ऋषि समुद्र ने इस शास्त्र की रचना इसी आधार पर की थी कि किसी व्यक्ति को देखकर ही यह पता लगाया जा सके कि उसके मन-मस्तिष्क में किस प्रकार के विचार रहते हैं.
*** गोल आंखें :
कुछ लोगों की आंखें गोल आकार की होती हैं. सामान्य तौर पर जिस तरह नवजात शिशुओं की आंखें दिखती हैं इन लोगों की आंखें भी इसी प्रकार गोल होती हैं. कहते हैं कि यह लोग मन के बहुत भोले होते हैं. इन्हें किसी भी व्यक्ति से ईर्ष्या, घृणा या नफरत का भाव नहीं रहता है. माना जाता है कि ऐसे लोग हमेशा अपने मन में किसी का भला करने का ही सोचते रहते हैं. यह लोग ज्यादातर लोगों के पसंदीदा होते हैं.
*** बड़ी आंखें :
समुद्र शास्त्र यह मानता है कि जिन लोगों की आंखें बड़ी होती हैं यानी जिनकी आंखों की चौड़ाई बहुत ज्यादा होती हैं वह लोग बहुत होशियार होते हैं और दिल के बहुत अच्छे होते हैं. समाज में अपना रुतबा कायम करने के लिए यह साम, दाम, दंड और भेद का इस्तेमाल करने से पीछे नहीं हटते हैं. इनके मन में अक्सर यह ख्याल रहते हैं कि यह किसी भी तरह अपने साथ के लोगों पर वर्चस्व हासिल कर सकें.
*** लंबी आंखें :
जिन लोगों की आंखें लंबी होती हैं यानी जिनकी आंखों की लंबाई ज्यादा होती है ऐसे लोग बुद्धिमान होते हैं और लोगों का दिल साफ होता हैं. साथ ही यह लोग कोशिश करते हैं कि यह सिर्फ खुद ही सफलता हासिल ना करें बल्कि अपने सभी साथियों के साथ मिलकर सफलता का मुकाम हासिल करें. इन लोगों में दयालुता का भाव बहुत अधिक होता है.
*** छोटी आंखें :
बताया जाता है कि जिन लोगों की आंखें छोटी होती हैं वह बहुत गुस्सैल होते हैं. वह लोग दिल के साफ होते हैं. इन लोगों को सही-गलत का फैसला लेने के बाद ही जीवन में कोई निर्णय लेना पसंद होता है. ऐसे लोग किसी का बुरा नहीं करना चाहते हैं. लेकिन कई बार समाज को देखते हुए यह उनमें ढलने की कोशिश करते हैं.