जयपुर की राजमाता रानी गायत्री देवी का जन्म 23 मई 1919 के दिन लंदन में हुआ था. राजकुमारी गायत्री देवी के पिता श्री राजकुमार जितेन्द्र नारायण कूचबिहार (बंगाल) के युवराज के छोटे भाई थे, जो बाद में राजा बने. उनकी माता राजकुमारी इंदिरा राजे बड़ौदा के महाराज सयाजीराव की बेटी थीं. राजा जितेंद्र के निधन के बाद इंदिरा राजे ने ही गायत्री देवी और अन्य चार बच्चों को संभाला.
पहले शांतिनिकेतन, फिर लंदन और स्विट्ज़रलैंड में शिक्षा ग्रहण करने के पश्चात इनका इनका विवाह जयपुर के महाराजा सवाई मानसिंह (द्वितीय) से हुआ. वह दुनिया की सबसे सुंदर 10 महिलाओं में से एक चुनी गई थीं. 12 साल की उम्र में चीते का शिकार किया था. वह 16 साल की उम्र में एक बड़े राजघराने की महारानी बन गईं.
रानी गायत्री सबसे महंगा फ्रेंच इत्र इस्तेमाल करती थीं. गायत्री इटली की सबसे महंगी सिगरेट का आनंद लेतीं थी. सिगरेट केस था सोने का होता था. शिफॉन की सबसे महंगी साड़ी पहनतीं थी. चुनाव मैदान में उतरीं तो गिनीज बुक में नाम दर्ज करवा लिया. उन्होंने दो-दो प्रभावशाली प्रधानमंत्रियों से पंगा लिया और पांच महीने जेल में बिताए.
रानी गायत्री देवी की स्कूली शिक्षा गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के शांतिनिकेतन से हुई. गायत्री देवी बचपन से ही बेहद खूबसूरत थीं. इंदिरा गांधी भी उनके साथ ही पढ़ाई करती थीं.
भारतीय इतिहास में जयपुर की महारानी गायत्री देवी का नाम बड़े ही आदर के साथ लिया जाता है. उन्होंने शादी के बाद अपना राज्य संभाला और राजनीति में आईं तो देश के लिए बड़ा योगदान दिया. राजकुमारी से महारानी कहलाईं और फिर राजमाता.
गायत्री जयपुर के महाराजा सवाई मान सिंह द्वितीय की तीसरी पत्नी थीं. कहा जाता है कि वह किसी मामले में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से कम नहीं थीं. इंदिरा के साथ उनका विवाद हमेशा से रहा.
पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने गायत्री देवी को कांग्रेस में आने का न्योता दिया था, लेकिन उन्होंने स्वीकार नहीं किया. उन्होंने 1962 में कांग्रेस पार्टी के खिलाफ स्वतंत्र पार्टी से चुनाव लड़ा और कुल 2,46,516 वोटो में से 1,92,909 वोट पाकर रिकॉर्ड बना दिया. इतनी बड़ी जीत के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में उनका नाम दर्ज हुआ.
खुशवंत सिंह के हवाले से ही यह बात भी कही जाती है कि संसद में गायत्री देवी की मौजूदगी इंदिरा गांधी को रास नहीं आती थी. इंदिरा गांधी ने उन्हें ” शीशे की गुड़िया ” कह दिया था.
गायत्री देवी बचपन से ही बेहद खूबसूरत थीं. इंदिरा गांधी भी उनके साथ ही पढ़ाई करती थीं. ऐसे में दोनों एक-दूसरे को बचपन से जानती थीं और वहीं से दोनों के बीच रंजिश शुरू हुई. बेबाक पत्रकार रहे खुशवंत सिंह ने लिखा था कि इंदिरा गांधी को स्कूल में गायत्री देवी की खूबसूरती और उनकी प्रसिद्धि से जलन होती थी. बाद में यह रंंजिश राजनीतिक दुश्मनी में बदल गई.
महज 12 साल की उम्र में गायत्री देवी ने जयपुर के राजा मानसिंह बहादुर को दिल दे बैठीं. मानसिंह पहले से ही शादीशुदा थे. उनकी दो शादियां हुईं थी. लेकिन गायत्री ने उनकी तीसरी पत्नी बनना स्वीकार किया. मानसिंह उनसे 9 साल बड़े थे. जब गायत्री 16 साल की हुईं तो मानसिंह ने शादी के लिए पूछा और फिर गायत्री देवी ने हा भर दी.
देश मे इमरजेंसी के समय इंदिरा के विरोधी नेताओं को मीसा एक्ट के तहत गिरफ्तार कर जेल भेजा जा रहा था. गायत्री का मुंबई में इलाज चल रहा था तो बच गईं, लेकिन जैसे ही वह दिल्ली पहुंची, उनके यहां इनकम टैक्स का छापा पड़ गया. उन्हें कन्जर्वेशन ऑफ फॉरेन एक्सचेंज एंड प्रिवेंशन ऑफ स्मगलिंग एक्टिविटीज एक्ट के तहत जेल भेज दिया गया. वह 6 महीने जेल में रहीं. उन्हें जेल में रहते हुए माउथ अल्सर हो गया था, लेकिन इलाज के लिए अनुमति देने में 3 हफ्ते लगा दिए गए थे.
गायत्री की किताब ‘A Princess Remembers: Memoirs of the Maharani of Jaipur’ के अनुसार, जेल में उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया गया, लेकिन उन्होंने बिलकुल हार नहीं मानी. जेल में वह अन्य कैदियों के बच्चों को पढ़ाया करती थीं. छह महीने जेल में रहने के बाद वह पेरोल पर बाहर आईं. गायत्री देवी और इंदिरा गांधी के बीच रंजिश आजीवन बनी रही. बाद में गायत्री देवी ने राजनीति छोड़ दी थी.
राजमाता गायत्री अकूत दौलत की मालकीन थीं. बताया जाता है कि वैसे तो जयपुर जिले में ही कई जगहों पर राजमाता की प्रॉपर्टी है जो कि पचास हजार करोड़ से भी ज्यादा होना संभव है. उन पर अब उनके बेटों और उनके बच्चों के अधिकार है. लेकिन जो सबसे बड़ा संपत्ति विवाद है वह पंद्रह हजार करोड़ की सम्पत्ति को लेकर है.
इनमें पहली प्रॉपर्टी देश दुनिया में ख्याती प्राप्त होटल रामबाग पैसेल और रिसोर्ट हैं. तो दूसरी संपत्ति जयमहल पैलेस की है. दोनो करीब पंद्रह हजार करोड़ से भी ज्यादा की हैं. इस सम्पत्ति को लेकर ही सीधे तौर पर परिवार के दो पक्षों में केस चल रहे हैं.