सनातन धर्म प्रेमी, बाप बेटे की जोडी.

Default young and senior lawer 1

आपने कभी हरिशंकर जैन जी और विष्णु जैन साहब का नाम सुना है ? शायद आपमेंसे बहोत लोगों ने इनका नाम नहीं सुना होगा. ये दोनों बाप बेटे पेशे से सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट है. श्री हरिशंकर जैन 47 वर्षों से वकालत कर रहे है. वो लखनऊ कोर्ट में और बाद में सुप्रीम कोर्ट के वकील बने. उनके बेटे विष्णु शंकर जैन ने 2010 में लॉ की पढ़ाई की.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक श्री हरिशंकर जैन को श्रीराम जन्मभूमि मामले में मुस्लिम पक्ष रखने का प्रस्ताव आया था, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया. उनका मानना था कि वे पैसों के लिए अपनी अंतरआत्मा को नहीं बेच सकते.

श्री हरिशकंर जैन जी मूल रूप से उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से ताल्लुक रखते हैं. उन्होंने सन 1976 में वकालत शुरू की थी. वहीं उनके बेटे श्री विष्णु जैन का जन्म ता : 9 अक्टूबर 1986 को हुआ था. विष्णु भी अपने पिता के नक्शे-कदम पर चले. उन्होंने सन 2010 में बालाजी लॉ कॉलेज से डिग्री हासिल की.

इसके बाद वकालत में अपना करियर शुरू कर दिया था और पिता के साथ तब से लेकर आज तक हैं. उन्होंने 2016 में सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता का पेपर पास करके नई उपाधि हासिल की थी. उन्हें सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने का लाइसेंस मिला है. श्री विष्णु जैन ने श्रीराम जन्मभूमि मामले से प्रैक्टिस शुरू की थी.

ये दोनों बाप बेटे मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मामले से लेकर कुतुब मीनार बनाने के लिए मुस्लिम आक्रांताओं द्वारा तोड़े गए 27 हिंदू और जैन मंदिरों का मामला, ताजमहल के पूर्व शिवमंदिर होने का दावा, वर्शिप एक्ट और वक्फ एक्ट सन 1995 को चुनौती देने के मामले को यही दोनों संभाल रहे हैं.

लखनऊ में स्थित टीले वाली मस्जिद के शेष गुफा होने का दावा भी इस पिता-पुत्र की जोड़ी ने किया है. इतना ही नहीं इन दोनों ने भारत के संविधान की प्रस्तावना में शामिल किए गए सोशलिस्ट और सेक्युलर शब्द के संशोधन की वैधता को भी चुनौती दी है. केवल सन 2021 में वकील पिता-पुत्र की जोड़ी ने ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर सात केस दर्ज किए, जिसमें गंगा नदी, देवी नंदी और मां श्रृंगार गौरी का मामला है.

राम जन्मभूमी – बाबरी मस्जिद, काशी विश्वनाथ ज्ञानव्यापी और कृष्ण जन्मभूमि शाही ईदगाह केस में हिंदू पक्ष की पैरवी करने वाले पिता-पुत्र की जोड़ी ने हिंदू धर्म से जुड़े करीब 100 से अधिक मामलों में कानूनी प्रतिनिधित्व किया है. इसमें सबसे तीन बड़े मामले अयोध्या, काशी और मथुरा विवाद भी शामिल हैं. अयोध्या मामले का सुप्रीम कोर्ट से फैसला हो चुका है, वर्तमान में पिता-पुत्र की जोड़ी ने काशी और मथुरा पर ध्यान केंद्रित कीया है.

श्री हरिंशकर जैन की उम्र 78 साल की है और विष्णुशंकर जैन की उम्र 38 साल है. दोनों बाप बेटे ने हिंदू पूजा स्थलों से जुड़े 100 से अधिक मामलों में कानूनी सलाह दी है. ये हिंदू धर्म के केस फ्री में लड़ते हैं.

एडवोकेट श्री हरिशंकर जैन ने सन 1978 – 79 में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में कानूनी प्रैक्टिस शुरू की थी. हालांकि बाद में वे सुप्रीम कोर्ट में शिफ्ट हो गए. श्री हरिशंकर जैन मूल रूप से प्रयागराज के रहने वाले हैं. अब उनकी फैमिली दिल्ली में रहती है. हरिशंकर जैन को हिंदू समुदाय के हित में काम करने की प्रेरणा अपनी मां से मिली है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक हरिशंकर जैन बताते हैं कि मेरे पिता नेम चंद्र जैन जुडिशियल सर्विस में थे. लेकिन वो इसके खिलाफ थे. वो चाहते थे कि मैं हाई कोर्ट में जज बनूं. उन्होंने बताया कि जब मैंने श्री राम जन्मभूमि मामले में पैरवी करने का फैसला किया तो मेरे पिता ने दो दिन तक खाना नहीं खाया. लेकिन भाग्य को जैसा मंजूर था, मैंने अपनी मां के दिखाए रास्ते को चुना.

सन 1989 में जब श्री हरिशंकर जैन अयोध्या विवाद में हिंदू महासभा के वकील बने तब उनको राष्ट्रीय पहचान मिली. उसके बाद से अब तक पिता-पुत्र की जोड़ी ने हिंदू धर्म से जुड़े सौ से अधिक मामलों में कानूनी सलाह दी है.

श्री विष्णु शंकर ने सन 2016 में वकालत शुरू की थी. उन्होंने अपने कानूनी करियर की शुरुआत अयोध्या विवाद से की. श्री हरिशंकर जैन जी के मुताबिक उनके बेटे ने समुदाय से जुड़े मामलों को नतीजों तक पहुंचाने का वादा किया है,

पिता-पुत्र की ये जोड़ी हिंदू हितों से जुड़े मामलों में अपनी सेवाएं देने के लिए कोई फीस नहीं लेते हैं. एडवोकेट हरिशंकर जैन का कहना है कि जिस दिन हम अपनी सेवाओं के बदले पैसे लेने या किसी पद की लालसा रखेंगे, उस दिन हिंदू कल्याण का मूल मकसद विफल हो जाएगा.

बाप-बेटे की यह जोड़ी हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस, हिंदू महासभा, गोवा की सनातन संस्था, भगवा रक्षा वाहिनी और हिंद साम्राज्य पार्टी जैसे कई संस्थाओं से जुड़े हुए हैं. यह दोनोंकी जोड़ी “कानूनी जागरूकता से हिंदू क्रांति” लाना चाहती है. ऐसे सनातन धर्म प्रेमी के लिए एक सैलूट तो जरूर बनता है.

About पत्रकार : सदाशिव माछी -"शिव सर्जन"

View all posts by पत्रकार : सदाशिव माछी -"शिव सर्जन" →