मीरा भाईंदर की झोपडियों की समस्या.

मुंबई से सटे मीरा भाईंदर महा नगर पालिका शहर क्षेत्र में लाखो गरीब लोग झुग्गी-झोपड़ियोंमें बसते हैं. उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी ना होनेकी वजह से उनको झोपड़पट्टी में रहने के लिए जबरन मजबूर होना पड़ता हैं. वर्तमान में मीरा भाईंदर नगर पालिका क्षेत्र में जय अम्बे नगर, भोला नगर, गणेश देवल नगर, नेहरू नगर, मुर्धा खाड़ी स्थित झोपड़पट्टी, शिवनेरी नगर – राई, भाठी आगर – मोरवा, आजाद नगर की झोपड़पट्टी, भोलानगर, काशी गांव की झोपड़पट्टी जैसी कई जुग्गी झोपड़ी वसाहत में लोग वसाहत करते हैं.

ये सभी लोग सरकारी कर अदा करते हैं. यहाके लोग शहर की मुख्य धारा के साथ शामिल होकर भाईंदर के विकास में अपना योगदान देते हैं. मगर उनको नागरी सुविधा उपलब्ध हो रही हैं ? पालिका ने उसके बारेमें कभी सर्वे किया हैं ?

दस – बारा सालमे मीरा भाईंदर महा नगर पालिका क्षेत्र में निवासो के दाम दस गुना बढ़ा हैं. दूसरी तरफ महंगाई आसमान छु रही हैं. ऐसे में घर बसाना लोहेके चने चबाना जैसा हैं. आजकल सामान्य लोगों की परिस्थिति आमदनी अठ्ठन्नी और खर्चा रूपया जैसी हो गई हैं, ऐसे में ज्यादातर लोगोंको मजबूरन झोपड़पट्टी में रहने के लिए मजबूर होना पडता हैं.

मुंबई एक ऐसा शहर हैं जहाँ लोगों को रोटी तो आसानीसे मिल जाती हैं पर रहनेके लिए ओटला नहीं मिलता. फिर भी रोजना हजारों लोग नसीब आजमाने मुंबई, ठाणे और मीरा भाईंदरमें मुक्काम करते हैं. शहरों में बसे इन गरीब इलाकों के कुछ निवासी तो स्थानीय प्राधिकरण में ऊँचे ओहदों पर काम करते हैं.

झुग्गी-झोपड़ियों के नगर सेवक इसी कोशिश में रहते हैं कि इन बस्तियों को खाली न कराया जा सके. इनकी बराबर हमेशा यही माँग रहती है कि इन बस्तियों में सार्वजनिक सुविधाएँ मुहैय्या कराई जाएँ. कई नगर सेवक तो अपनी वोटबैंक के लिए पुरे के पूरी झोपड़पट्टी बसा देते हैं.

भारत में झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोगों की संख्या साल 2001 और 2011 के बीच बढ़ी है. सन 2001 में भारत में करीब 42.6 मिलियन लोग झुग्गी-झोपड़ियों में रहते थे. सन 2011 में भारत में करीब 68 मिलियन लोग झुग्गी-झोपड़ियों में रहते थे.

ये भारी आँकड़े तो अर्जेंटिना, दक्षिण अफ्रीका और स्पेन जैसे देशों की सारी आबादी से भी अधिक हैं.

झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोगों को कई चुनौतियों का डटकर सामना करना पड़ता है, जैसे कि , आर्थिक चुनौतियां, अपर्याप्त बुनियादी ढांचा, स्वच्छ पानी की कमी, स्वच्छता और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी.

भारत में झुग्गी-झोपड़ियों से जुड़ी कुछ और बातें :

*** भारत में, दस लाख से ज़्यादा आबादी वाले शहरों में रहने वाली आबादी का 30-50% हिस्सा झुग्गियों में रहता है.

*** मुंबई की धारावी को दुनिया की सबसे बड़ी झुग्गी-झोपड़पट्टी माना जाता है. इसका क्षेत्रफल 2.39 वर्ग कि.मी. से ज़्यादा है और यहां करीब 10 लाख लोग रहते हैं.

*** दिल्ली में करीब 750 बड़ी और छोटी झुग्गियां हैं, जिनमें कम से कम 3.5 लाख परिवार और 20 लाख लोग रहते हैं.

*** सन 2001 में कोलकाता में करीब 5,500 झुग्गियां थीं और इनमें रहने वाले लोगों की संख्या करीब 1.5 मिलियन थी. यह कोलकाता की कुल आबादीका करीब 35% था. कोलकाता में कुल ज़मीन के करीब 7% हिस्से पर झुग्गियां बनी हुई थी.

*** चेन्नई में झुग्गियों में रहने वाले लोगों की संख्या साल 2001 की जनगणना के मुताबिक, चेन्नई की झुग्गियों में कुल 10,79,414 लोग रहते थे. यह शहर की कुल आबादी का 25.6% था.

यहां चेन्नई की झुग्गी आबादी में 70,689 (56.23%) घर खुद के थे, (40.38%) किराए के घर और 4,272 (3.39%) अन्य घर थे. झुग्गी आबादी में केवल 26% लोगों के घरों में पानी की सुविधा थी. तथा झुग्गी आबादी में लगभग 34% घरों में शौचालय नहीं थे.

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