आर्कियोलॉजिस्ट प्राचीन रहस्यों से पर्दा उठाने के लिए जमीन की खुदाई करते रहते हैं. इनकी खुदाई से पता चलता है कि हजारों साल पहले लोगों की लाइफ स्टाइल कैसी थी. साथ ही वो दौर कितना विकसित और समृद्ध था. ऐसी तलाश में कई बार चौंकाने वाली चीजें भी सामने आ जाती हैं.
आर्कियोलॉजिस्ट के अलावा भी कई लोग स्वंतत्र रुप से खजाने की तलाश करते रहते हैं. ये लोग खजाना मिलते ही उसका वीडियो भी सोशल मीडिया ( यू ट्यूब ) पर शेयर करते हैं.
भारत देश को ” सोने की चिड़िया ” कहा जाता था. आज भी लाखों टन सोना हमारे प्राचीन मंदिरों के अंदर गड़ा हुआ हैं. इसका पुख्ता प्रमाण हमारे साऊथ के मंदिर हैं. आज हम बात करेंगे जमीन में गड़े खजाने के बारेमें.
जमीन के नीचे किसी भी धातु का पता , दो तरह से लगाया जा सकता है. इसमें पहला तरीका है जीपीआर यानी ग्राउंड पेनीट्रेटिंग रडार तकनीक और दूसरा तरीका है वीएलएफ यानी वेरी लो फ्रीक्वेंसी तकनीक. आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की टीमें इन्हीं की मदद से जमीन के अंदर सोना या किसी भी धातु का पता लगाती हैं.
अब प्रश्न निर्माण होता हैं कि, “धातु डिटेक्टर कितनी गहराई तक पता लगा सकते हैं?” आम तौर पर, धातु डिटेक्टर करीब 10 से 16 इंच की गहराई में दबी वस्तुओं को ढूंढ़ने में सक्षम होते हैं.
अगर आपको कभी सपने में कलश दिखाई देता है तो स्वप्नशास्त्र के अनुसार अचानक से आपको धन मिल सकता है. ये गड़ा धन या गुप्त धन मिलने का संकेत होता है. अगर आपको रास्ते में चलते हुई बार-बार नेवला दिखाई दे रहा है और आपका रास्ता काट रहा है तो आपको गुप्त धन कहीं से प्राप्त हो सकता है.
अक्सर आप लोगोंने देखा होगा कि जमीन में गड़े धन के उपर नाग बैठ जाते हैं. यक्ष प्रश्न हैं कि आखिर जमीन के नीचे इतने सालों तक खजाने की रक्षा करने के बाद भी सांप कैसे जीवित रहते होगा.
इस संबंध में ज्योतिषाचार्य पंडितों का कहना है कि नाग देवता हमेशा धर्म के साथ रहे हैं. चाहे वह भगवान शंकर के गले में लिपटा हुआ सांप हो या फिर भगवान विष्णु की शय्या के रूप में. देवासुर संग्राम में नाग देवता ही समुद्र मंथन की रस्सी बने थे.
यहां तक कि भगवान के अवतारों में भी नाग देवता हमेशा उनके साथ मौजूद रहते थे. जब भगवान राम ने अवतार लिया तो शेषनाग उनके भाई लक्ष्मण के रूप में अवतरित हुए. इसी तरह ही भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम भी शेषनाग के ही अवतार हैं. हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार भी पृथ्वी सांप के फन पर टिकी हुई है.
जहां तक खज़ाना, धन, सोना-चांदी के साथ नाग या नागिन मिलने की बात है तो नाग या नागिन हमेशा से ही धन के रक्षक रहे हैं. भगवान विष्णु ने देवी लक्ष्मी की रक्षा के लिए उनके साथ एक सांप भी भेजा है. अत: जहां लक्ष्मी होगी, वहां सर्प अवश्य होंगे. साँप ही धन की रक्षा करते हैं. इसीलिए साँपों को धन का रक्षक कहा गया है.
कहा जाता है कि देवी लक्ष्मी गति शील हैं, वहीं अगर सांप कुंडली मारकर बैठ जाए तो यह स्थिरता का प्रतीक बन जाता है. इसलिए जहां खजाना या बड़ी मात्रा में धन होता है, वहां सांप जरूर होते हैं. जो कोई भी उस पैसे को पाने की कोशिश करता है उसे उन सांपों से निपटना पड़ता है.
हिंदू धर्म में नाग देवता की पूजा की जाती है इसलिए सांप को मारना अक्षम्य अपराध माना गया है. सांप को मारने का पाप कई पीढ़ियों तक पीछा नहीं छोड़ता. यही कारण है कि खजानों की चर्चा तो होती रहती है लेकिन इन्हें पाना आसान नहीं होता. साथ ही जहर के कारण लोगों के मन में सांपों का डर सबसे ज्यादा होता है.
अब सवाल यह है कि जमीन के नीचे या दुर्गम स्थानों पर खजानों की रक्षा करने वाले सांप वर्षों तक जीवित कैसे रहते हैं ? दरअसल, सांप जमीन के अंदर रहने के आदी होते हैं, वे अपना बिल भी जमीन के अंदर ही बनाते हैं. उन्हें जीवित रहने के लिए मिट्टी में ऑक्सीजन और भूमिगत जल भी मिलता है.
ये छोटे-छोटे जीवों को अपना भोजन बनाते हैं और अपने लचीले शरीर के कारण कहीं भी अंदर-बाहर आ-जा सकते हैं. साथ ही सांपों का जीवनकाल भी बहुत लंबा होता है. सांप 100 से 200 साल तक जीवित रह सकते हैं.
सांप हमेशा से धन के रक्षक रहे हैं. भगवान विष्णु ने माता लक्ष्मी की रक्षा के लिए नाग को उनके साथ भेजा है. इसलिए जहां कहीं लक्ष्मी होंगी वहां सांप जरूर होंगे. सांप ही धन की रक्षा करते हैं.
उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में 3 हजार टन सोने का भंडार छिपा होने की चर्चा पूरे देश में है. लेकिन इसे निकालना इतना आसान नहीं है. क्योंकि सोने के इस खजाने के उपर हजारो भयंकर और जहरीले सांपों का पहरा है. बात बेहद अजीब और रहस्यमय है. लेकिन सत्य है. जिसकी कीमत 12 लाख करोड़ से ज्यादा है. यह सोना भारत सरकार के खजाने में मौजूद सोने से भी ज्यादा है. यहां तक कि दुनिया के कई देशों में जमा कुल सोने से भी सोनभद्र के सोने की मात्रा ज्यादा है. इलाके में ये सोने के भंडार सोन पहाड़ी और हरदी इलाके में मौजूद हैं.
ये एक अजीब संयोग है कि जहां पर खजानों की चर्चा होती है, वहां पर सांपों का अस्तित्व भी सामने आ जाता है. चाहे वह सोना किसी के द्वारा इकट्ठा किया हुआ खजाना हो या तो फिर प्राकृतिक अवस्था में. हर बार सोने के साथ सांप जरुर दिखाई देते हैं. यूपी के सोनभद्र में भी ऐसा ही दिखाई दे रहा है.
जिस स्थान पर सोना मौजूद है वहां पर रसेल वाइपर, कोबरा और करैत जैसे जहरीले सांपों का पहरा है. सांपों की ये प्रजातियां इतनी जहरीली हैं कि इनका काटा पानी भी नहीं मांगता. इन सभी में घातक रसेल वाइपर तो सिर्फ सोने के खजाने वाली जगह पर ही पाया जाता है. इसके जहर में खून को जमा देने वाला हीमोटॉक्सिन मौजूद होता है. जो इंसान के लिए बेहद घातक है.
अगर आपको गड़ा हुआ खजाना मिलता है, तो आपको इसकी जानकारी स्थानीय प्रशासनको देनी होती है.कानून के मुताबिक, खजाने पर अधिकार पूरी तरह से उस व्यक्ति का नहीं होता जिस ने उसे पाया है, बल्कि राज्य सरकार इसका मालिकाना हक रखती है.
अगर आपकी ज़मीन से खनिज पदार्थ जैसे सोना, तांबा, लोहा वगैरह निकलते हैं, तो उन पर आपका पूरा अधिकार नहीं होता. सरकार को इसकी रॉयल्टी देनी होती है और इसके लिए लाइसेंस या पट्टा लेना पड़ता है. बिना अनुमति खनन करना अवैध होता है.