“सेवॉय” – मसूरी देश का पहला होटल. | Mussoorie is the country’s first hotel

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देशका पहला सेवॉय होटल – मसूरी.

सेवॉय होटल – मसूरी भारत के उत्तराखंड राज्य के मसूरी नाम के हिल स्टेशन का एक प्रसिद्ध लक्जरी होटेल है. इसका स्वामित्व होटेल कंट्रोल्स प्राइवेट लिमिटेड, आई टी सी वेलकम ग्रुप ऑफ होटेल्स के पास है. इंग्लीश गॉतिक वास्तु शैली मे बना यह होटेल पूर्णतः लकड़ी से बना है.

सन 1902 मे स्थापित यह होटेल करीब 11 एकड़ (45000 वर्ग मीटर) मे फैला हुआ है और इसके 50 के आस पास कमरो से हिमालय पर्वत शृंखला का नयनरम्या नजारा साफ-साफ नज़र आती है. देहरादून के पास स्थित मसूरी, जिसे पहाड़ों की रानी के नाम से भी जाना जाता है. गढ़वाल के पास पड़ाहों के बीच बसी यह एक बहुत ही खूबसूरत जगह है, जिसे पर्यटक लाखों की तादात में देखने के लिए आते हैं.

केवल हमारे देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी टुरिस्ट इस यहां के नजारे को अपने कैमरे में कैद करने आते हैं और यहां के मनमोहक दृश्यों का आनंद उठाने के लिए काफी भीड़ में उमड़ते हैं. आज हमें बात करनी हैं, यहां की सेवॉय होटल के बारेमें जिसे कुछ लोग भारत के सबसे डरावने होटल्स में गिनती करते है.

सेवॉय होटल 11 एकड़ में बना हुआ एक बेहद आलिशान होटल है. कुल 21 कमरे वाला यह होटल किसी राजसी महल से कम नहीं हैं, जहां पहले कभी आलिशान पार्टीज हुआ करती थी.

इस होटल के बारे में लोग बताते हैं कि होटल सेवॉय 19वीं शताब्‍दी का एक मसूरी नाम का स्‍कूल था, बाद में स्कूल का नाम बदलकर मेडॉक स्‍कूल रखा गया. इसकी इमारत बड़ी ही जर्जर हो चुकी थी. इसके बाद इंग्‍लैंड से आए लखनऊ के सेसिल डी लिंकन नामक एक बैरिस्टर ने इसे सन 1890 में खरीद लिया और 12 साल तक इस पर बहुत मेहनत किया. इतने वर्षों की मेह‍नत के बाद साल 1902 में यह होटल बनकर तैयार हो गया, जो देखने में किसी विदेशी महल से कम नहीं था.

होटल सेवॉय को देश का पहला होटल माना जाता है. इस होटल में पहले सिर्फ अंग्रेजों को प्रवेश मिलता था. यह होटल अपने समय का एक प्रतिष्ठित स्थान था, जो आज भी अपनी ऐतिहासिकता के लिए प्रसिद्ध है.

सन 1920 में होटल में आयोजित अफगान कांफ्रेंस ने इसे ऐतिहासिक पहचान दी. इस दौरान नेपाल के शमशेर जंग बहादुर और कपूरथला के महाराज जगजीत सिंह जैसी शख्सियतों ने यहां की प्राकृतिक सुंदरताकी तारीफ की थी.

अंग्रेजों के शासनकाल में मसूरी को गर्मियों की राजधानी की तरह इस्तेमाल किया जाता था और उस वक्त सेवॉय होटल मसूरी की शान था. हालांकि, शुरूआत में भारतीयों को यहां प्रवेश नहीं दिया जाता था, जो बाद में बदल गया. सन 1906 में क्वीन मैरी के दौरे के दौरान होटल ने शाही मेहमाननवाजी का अनुभव किया. उन्होंने क्राइस्ट चर्च के पास एक पेड़ भी लगाया, जो आज भी उनकी यात्रा की याद दिलाता है.

सन 1905 के कांगड़ा भूकंप से होटल की इमारत को नुकसान पहुंचा. 1907 में मरम्मत के बाद इसे फिर से खोला गया. 1907 में ही यहां पहली बार बिजली आई. उससे पहले इस ऐतिहासिक होटल के बॉलरूम और डाइनिंग रूम के झूमर मोमबत्तियों से ही जगमगाते थे. और आमतौर पर स्प्रिट लैंप का इस्तेमाल होता था.

इस होटल ने मोतीलाल नेहरू, पंडित जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी सहित कई नामी हस्तियों की मेजबानी की हैं . इसके अलावा, ईरान के शाह और पंचम दलाई लामा जैसे अंतरराष्ट्रीय मेहमान भी यहां की मेहमाननवाजी का लुत्फ ले चुके हैं.

होटल के गौरवशाली इतिहास पर आधारित डॉक्यूमेंट्री “सेवॉय: सागा ऑफ एन आइकन” को दादा साहेब फाल्के बेस्ट डॉक्यूमेंट्री और बेस्ट सिनेमेटोग्राफी अवॉर्ड मिला है. इसे किशोर काया के निर्देशन में बनाया गया है, जिसमें प्रख्यात लेखक गणेश शैली ने एंकरिंग की है.

इलाके के सबसे पुराने इस होटल में 1910 में एक लेडी मेहमान बनकर आई, जिसका नाम था लेडी गार्नेट ऑरमे. अगले दिन वह जिस कमरे में ठहरी हुई थी उसमें कुछ दिन बाद मृत पाई गई. लोगों का कहना है कि लेडी गार्नेट की मौत प्राकृतिक नहीं थी बल्कि ये एक गहरी साजिश थी. दरअसल, उनकी दवा में एक सबसे खतरनाक जहर मिलाया गया था, जिसकी वजह से उनकी मौत हो गई.

बताया जाता है कि लेडी के मरने के कुछ ही दिन बाद उनकी बॉडी का पोस्‍टमार्टम करने वाले डॉक्टर और एक पेंटर जो लेडी के लिए पेंट करता था उन दोनों की भी लाश रहस्‍यमयी रूप में उसी होटल में पाई गई. इसके बाद यहां ठहरने वालों के साथ में कोई न कोई अजीबो गरीब बातें होने लगी और लोगों ने यहां आना कम कर दिया. लोगों का कहना था कि यहां आत्माओं का वास है, जो अपने होने का एहसास दिलाती रहती हैं.

होटल सेवॉय को कई खरीददारों, फिल्म निर्माताओं और बड़े से बड़े कई बिजनेस मैन ने खरीदा लेकिन कोई भी इसे आबाद नहीं कर पाया,. वारदात की शुरुआत लेडी ऑरमे के कत्‍ल से हुई लेकिन धीरे-धीरे बात भटकती हुई रुहों पर पहुंच गई. यही वजह थी कि होटल सेवॉय की बर्बादी हो गई और एक दिन ऐसा भी आया कि ये होटल पूरी तरह कुछ समय तक बंद कर दिया गया.

आज भी आती हैं आवाजें

आज भी इस होटल के आसपास लोगों को कोई न कोई हलचल दिख ही जाती है. इस इलाके में रहने वाले लोगों का कहना है कि आज भी उस लेडी की आत्मा अपने कातिल को ढूंढ रही है. वहीं इंडियन पैरानॉर्मल सोसायटी का भी कहना है कि उनकी ओर से एक महिला की आवाज रिकॉर्ड की गई थी.

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